इंदौर विकास प्राधिकरण कॉलोनियों और स्कीम 171 की मुक्ति में बना रहा भोपाल का बहाना, ACS की फटकार

इंदौर में स्कीम 171 के तहत मिलने वाले प्लॉट काफी समय से अटके हुए हैं। इसके लिए इंदौर विकास प्राधिकरण भोपाल का बहाना बना रहा है। वहीं अब इसको लेकर ACS ने आईडीए को फटकार लगाई है।

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Sanjay Gupta
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INDORE. इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) की लेटलतीफी और हर बार गेंद भोपाल के पाले में फेंकने की आदत से अब एसीएस संजय दुबे भी नाराज हैं। इस मामले में उन्होंने दो दिन पहले ही भरी बैठक में साफ कह दिया कि यह मुद्दा तो आपको (आईडीए) ही सुलझाना है, फिर भोपाल क्यों भेज रहे हैं?

बताया जाता है कि आईडीए की 23 स्कीमों में करीब 271 कॉलोनियां वैध नहीं हो पा रही हैं। स्कीम 171 का मामला तो कई बार बोर्ड में भी आ चुका है। यहां के रहवासी 30 साल से अधिक समय से परेशान हैं।

मामला अवैध कॉलोनियों के डिनोटिफिकेशन का

मामला सबसे पहले महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने उठाया था। उन्होंने इसे मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की अध्यक्षता में हुई बैठक में रखा था। भार्गव ने कहा कि 160 से ज्यादा कॉलोनियां हैं जिन्हें निगम चाहकर भी वैध नहीं कर पा रहा है।

कारण यह है कि इसके लिए आईडीए से डिनोटिफिकेशन चाहिए। इसका मतलब यह है कि ये कॉलोनियां उनकी स्कीम से बाहर हैं, लेकिन आईडीए ऐसा नहीं कर रहा है। जानकारी के अनुसार, आईडीए की विविध 23 स्कीमों में 271 कॉलोनियां फंसी हुई हैं।

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इसके बाद भड़क गए विधायक हार्डिया

इसके बाद इंदौर विधानसभा-5 के विधायक महेंद्र हार्डिया भी भड़क गए। उन्होंने कहा कि स्कीम 171, पुष्पविहार व अन्य कॉलोनियों के हजारों रहवासी 30 साल से परेशान हैं। बोर्ड में भी संकल्प पारित है। रहवासियों ने राशि 5.89 करोड़ भी महीनों पहले जमा करा दी है। इसके बाद भी इसे डिनोटिफाई नहीं किया जा रहा है।

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आईडीए ने कहा भोपाल भेजा है

इसके बाद आईडीए सीईओ डॉ. परीक्षित झाड़े ने कहा कि इस मामले में भोपाल पत्र भेजा गया है। इस पर एसीएस संजय दुबे ने दो टूक कह दिया कि इस मामले में फैसला प्राधिकरण को करना है। यह भोपाल स्तर का मामला ही नहीं है। इस पर सीईओ ने कहा कि इस फाइल को मैं एक बार और देख लेता हूं।

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बोर्ड के अधूरे फैसले से उलझी है 171 की कहानी

आईडीए की 8 अगस्त को हुई बोर्ड मीटिंग में स्कीम 171 को लेकर आधा-अधूरा फैसला हुआ। इसके संकल्प में लिखा गया कि आईडीए की योजना 171 में शामिल 151.33 हेक्टेयर निजी भूस्वामियों की है। इसके साथ ही, 35.725 हेक्टेयर सरकारी भूमि है।

कुल भूधारकों की संख्या 221 है। इसमें से 13 संस्थाओं की कुल 78.443 हेक्टेयर भूमि है। बोर्ड का मत है कि योजना में निजी भूमि (संस्थाओं की भूमि छोड़कर) व शासकीय भूमि को सर्वे कराकर नियोजन किया जाना उचित होगा।

योजना के तहत सहकारी गृह निर्माण संस्थाओं की भूमियों की वैधानिक स्थिति संस्थावार स्पष्ट की जाए। संस्थाओं की भूमियों को योजना से मुक्त करने के संबंध में विस्तृत प्रतिवेदन भू-अर्जन शाखा, नियोजन शाखा व तकनीकी शाखा से संयुक्त रूप से प्राप्त किया जाए। इसमें वैधानिक स्थिति व प्राधिकरण के हित को देखते हुए प्रतिवेदन प्रस्तुत करें।

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