फैक्ट्री की चिमनी पर लिखो उद्योग का नाम, प्रदूषण बोर्ड कहां से लाता है ऐसे आदेश

इंदौर में उद्योगपतियों ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेशों पर नाराजगी जताई, कोयला उपयोग के प्रतिबंध से लागत बढ़ने की समस्या उठाई। पढ़ें पूरी खबर इस लेख में...

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Sanjay Gupta
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एसोसिएशन आफ इंडस्ट्री मप्र

एसोसिएशन आफ इंडस्ट्रीज मध्य प्रदेश

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फैक्ट्री की चिमनी पर उद्योगों का नाम लिखिए। अब गर्म चिमनी पर कौन सा पेंट टिकेगा। यह फितूर वाला आदेश और किसी का नहीं मप्र प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों का है, जो इंदौर में उन्होंने उद्योगपतियों को दिया है। ऐसा सिर्फ एक नहीं बल्कि कई आदेश है। जिसे लेकर उद्योगपतियों ने शुक्रवार को एसोसिएशन आफ इंडस्ट्रीज मध्य प्रदेश (एआईएमपी) के बैनर तले प्रमुख सचिव पर्यावरण नवनीत कोठारी के साथ खुले संवाद में गुस्सा निकाला। पीएस ने कहा कि उनकी समस्याओं का उचित निराकरण किया जाएगा। 

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यह बोले उद्योगपति-

  • एसोसिएशन आफ इंडस्ट्री के अध्यक्ष योगेश मेहता ने कहा कि फैक्ट्री की चिमनी पर उद्योग का नाम कैसे लिख सकते हैं, पहले तो लाखों खर्च कर सौ फीट ऊंची चिमनी निकालो और फिर गर्म चिमनी पर नाम टिकेगा कैसे, वह पेंट ही नहीं बना। उद्योगपति खरबूजा बन गए हैं, वह चाकू पर गिरे या चाकू उस पर, कटना हमे ही है।
  • बोर्ड ने कोयले के उपयोग को प्रतिबंधित किया है लेकिन धातु उद्योगों में तो कार्बोथर्मिक रिएक्शन के लिए कोयला जरूरी होता है। 
  • रोलिंग मिल एसोसिएशन के सतीश मित्तल ने कहा कि रोलिंग मिल में बॉयलर में कोयले के बिना जरूरी तापमान नहीं आ सकता है, एक टन लोहा उत्पादन के लिए 700 रुपए कोयले पर लगते हैं, वहीं पीएनजी में 2 हजार 400 रुपए।  
  • कई बार छोटे ग्रीन कैटेगरी उद्योगों के आवेदनों को बिना कारण दिए रिजेक्ट कर दिया जाता है या उनकी आईडी लॉक कर दी जाती है इससे उद्योग परेशान होते है। 
  • पूर्व अध्यक्ष  प्रमोद डफरिया ने विभागीय प्रक्रियाओं को सरलीकृत कर ईज ऑफ डुइंग बिजनेस की तर्ज पर ऑनलाइन करने का सुझाव रखा। पालदा से सुरेश नुहाल ने कोर्ट केस का मामला बताया और राहत प्रदान करने का अनुरोध किया। टेक्सटाइल से नवीन धूत ने बताया कि प्रदूषण विभाग की विभागीय बैठक में जो दिशा निर्देश दिए गए थे उनके पालन करने के बाद भी बिना प्रकरण पंजीबद्ध किए गए। 

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यह मुद्दे भी उठे

प्रताप स्नैक्स से अजय शर्मा ने सीएनजी की दरों का का मामला उठाया। जश इंजीनियरिंग लि. से भुवनेश पांडे, अशोक जैन ने कहा कि इकाई में उनके द्वारा बनाया जाने वाला उत्पाद दुनिया में कहीं नहीं बनता है और यह काम कोयले के बिना नहीं हो सकता है, क्योंकि सीएनजी इतनी क्षमता से काम नहीं कर पाता है। उनके इकाई में सीएनजी कनेक्शन भी है फिर भी उन्हें नोटिस देकर खानापूर्ति कराई जाती है।

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कब केस हो गया पता ही नहीं चला

वरिष्ठ उद्योगपति सुभाष खानवलकर ने कहा कि मेरी उम्र 74 वर्ष की है और मेरे इकाई के नाम कोर्ट का समन जारी हुआ है जिसकी कोई जानकारी मुझे नहीं दी गई। उन्होंने पूछा कि 2012 में किस कारण से कोर्ट में प्रकरण पंजीबद्ध किया गया। बैटरी उद्योग से मनीष चौधरी ने कहा कि बैटरी गलाने में कोयला केमिकल के रूप में प्रयुक्त होता है, न कि जलाने के लिए। ओमटेक लैब से देवलाल शर्मा और पायनियर इंडस्ट्रीज से भावना जैन ने बताया कि उनके पिता की उम्र 73 वर्ष है और उनके ऊपर भी कोर्ट प्रकरण लगाया गया है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस उम्र में वे इकाई चलाए या कोर्ट के चक्कर लगाए।

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सीएनजी के कारण लागत पांच गुना

 कन्फेक्शनरी उद्योग के दिनेश चौधरी ने कहा कि कन्फेक्शनरी की छोटी इकाइयां जिनमें बॉयलर बदलने और सीएनजी का उपयोग करने से चार से पांच गुना लागत बढ़ेगी इससे व्यापार प्रभावित होगा। नमकीन उद्योग के अनुराग बोथरा ने कहा कि सरकार विदेशों में जाकर इंदौर में उद्योग निवेश हेतु आमंत्रित कर रही है, जबकि यहां के उद्योगों को कोयला उपयोग करने का प्रतिबंध लगाया जा रहा है। कार्यक्रम का संचालन सचिव तरुण व्यास मानद ने किया और आभार प्रमोद डफरिया ने माना। इस अवसर पर प्रदूषण विभाग से एस एन द्विवेदी क्षेत्रीय अधिकारी, एस के जैन, जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक एस एस मंडलोई, एमपीआयडीसी के महाप्रबंधक आर के भंवर, एमएसएमई विभाग के गौरव गोयल सहित एसोसिएशन के हरीश भाटिया, प्रकाश जैन, अनिल पालीवाल, हेमेन्द्र बोकाडिया, हेमंत मेहतानी, जे पी नागपाल, अनिल जोशी, सी एम जैन, दीपक दरियानी आदि सहित बड़ी संख्या में 200 से ज्यादा उद्योगपति मौजूद रहे।

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