भगवान के साथ भी बेईमानी, भक्तों ने इंदौर खजराना गणेश मंदिर में दान किए बंद हो चुके नोट, नकली आभूषण

इंदौर के खजराना गणेश मंदिर की दानपेटियों से 1 करोड़ 78 लाख रुपए की राशि प्राप्त हुई है। इसमें बंद हो चुके नोट और नकली आभूषण भी मिले हैं, जो आस्था और भक्ति पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहे हैं।

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Rahul Dave
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Indore khajarana mandir dan patti

Photograph: (the sootr)

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INDORE. भक्त अब भगवान को भी नहीं छोड़ रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण इंदौर का खजराना गणेश मंदिर की दान पेटियों की गणना ने दिया है। मंदिर की दानपेटियों से भक्तों द्वारा ऐसी वस्तुएं दान की गई हैं जो सोचने पर मजबूर कर देती हैं।

मंदिर की 43 दानपेटियों से अब तक 1 करोड़ 78 लाख रुपए की राशि प्राप्त हुई है। इसके साथ ही दानपेटियों से देश में बंद हो चुके नोट, बड़ी मात्रा में नकली नोट और नकली सोने-चांदी के आभूषण भी निकल रहे हैं। इन्हें देखकर लोग सोच में पड़ गए हैं कि अब भक्त भगवान को भी चूना लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं।

खजराना गणेश मंदिर की दान पेटियों से निकले सोने-चांदी के जेवर, विदेशी मुद्रा  और 75

कड़ी सुरक्षा में हुई गिनती 

खजराना गणेश मंदिर प्रबंधन समिति पिछले सप्ताह से दानपेटियों की गणना कर रहा था। मंदिर परिसर में लगी 43 दानपेटियों की गिनती कड़ी सुरक्षा और सीसीटीवी निगरानी में की गई। इस दौरान विदेशी मुद्रा, सोना-चांदी के आभूषण और बड़ी संख्या में भक्तों द्वारा लिखे गए पत्र भी मिले। पत्रों में नौकरी, पारिवारिक विवाद और मनोकामनाओं से जुड़े भावनात्मक संदेश दर्ज थे। 

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सामने आया आस्था के बीच बेईमानी का सच

दानपेटियों से मिले नकली नोट और अमान्य करंसी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। मंदिर प्रबंधन का कहना है कि हर बार की तरह इस बार भी बंद हो चुके नोट बड़ी संख्या में मिले हैं। 

इसके साथ ही असली-नकली आभूषणों की पहचान अलग से की जा रही है। भगवान के दरबार में भी कुछ लोग नियमों और आस्था को नजरअंदाज कर फर्जी चीजें चढ़ा रहे हैं। यह स्थिति चिंताजनक है।

पिछली बार से बढ़ी दान राशि

1 अगस्त को हुई पिछली गणना में 1 करोड़ 68 लाख रुपए निकले थे। इस बार दान राशि में करीब 10 लाख रुपए की बढ़ोतरी हुई है। इससे साफ है कि श्रद्धालुओं की आस्था लगातार बढ़ रही है। साथ ही दान के नाम पर गलत चीजें चढ़ाने की प्रवृत्ति भी बनी हुई है।

गिनती में पूरी पादर्शिता 

मंदिर प्रबंध समिति के मैनेजर घनश्याम शुक्ला ने बताया कि दानपात्रों की गिनती पूरी पारदर्शिता के साथ की गई। पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग की गई। प्राप्त राशि को पीएनबी व यूनियन बैंक के मंदिर खातों में जमा कराया गया है। 

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उठ रहे सवाल 

दानपेटियों से निकली यह राशि मंदिर की धार्मिक, सामाजिक और जनकल्याणकारी गतिविधियों में खर्च की जाएगी। लेकिन सवाल यही है कि जब भगवान के दरबार में भी कुछ लोग नकली नोट और बंद करंसी चढ़ा रहे हैं, तो आस्था और ईमानदारी की कसौटी आखिर कहां खड़ी है?

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