इंदौर के एडिशनल DCP और TI ने सुप्रीम कोर्ट में करण को आरोपी अनवर बताया, दुष्कर्म की धारा जोड़ मारी

सुप्रीम कोर्ट में इंदौर पुलिस के अधिकारियों की लापरवाही ने हंगामा मचाया दिया है। अधिकारियों ने आरोपी अनवर हुसैन का नाम गलत तरीके से हलफनामे में जोड़ा और दुष्कर्म का आरोप भी लगा दिया। कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को नोटिस दिया है।

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Sanjay Gupta
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INDORE. सुप्रीम कोर्ट में इंदौर पुलिस के दो अफसरों की करतूत सामने आई, जिनकी गलती ने पूरे मामले की तस्वीर बदल दी। इन अधिकारियों ने कोर्ट में एक झूठा हलफनामा पेश किया था। इसमें उन्होंने दूसरे आरोपी के केस याचिकाकर्ता आरोपी के केस में जोड़ दिए। वहीं, दुष्कर्म का आरोप तक लगा दिया। इसे द सूत्र ने दस्तावेज निकालकर चेक किया है। यह सफाई की जगह हद दरजे की लापरवाही अधिक है।

सुप्रीम कोर्ट ने बेहद गंभीर माना

सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में 4 नवंबर को सुनवाई की थी। सुनवाई के बाद लिखित आदेश में कहा कि यह नागरिक के जीवन और स्वतंत्रता से जुड़े मामले हैं। वहीं कोर्ट में मामले को लेकर गलत दस्तावेज पेश किए गए है। ऐसे में हम पुलिस थाने के एडिशनल डीसीपी दिशेष अग्रवाल और टीआई इंद्रमणि पटेल को नोटिस जारी करना उचित समझते हैं।

 उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर यह बताने का निर्देश दिया जाता है कि उनकी इस लापरवाही भरे आचरण के लिए उन पर कार्रवाई क्यों न की जाए। वहीं, मामले की सुनवाई 25 नवंबर को होगी।

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दोनों अधिकारियों ने यह दिए तर्क

आरोपी अनवर हुसैन पिता इशाक हुसैन के जमानत केस में एडिशनल डीसीपी दिशेष अग्रवाल और चंदननगर टीआई इंद्रमणि पटेल को सुप्रीम कोर्ट ने 4 नवंबर को सुनवाई में फटकार लगाई।

जस्टिस संदीप मेहता और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की युगल पीठ में सुनवाई हुई। सुनवाई में खुलासा हुआ कि हलफनामे में बताए गए आठ में से चार मामलों में, अनवर हुसैन आरोपी ही नहीं है। जबकि पुलिस ने उस पर यह फर्जी केस बताए थे। जब सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में पूछा तो जवाब दिया गया कि कम्प्यूटर की गलती से यह हुआ था। आरोपी और पिता का नाम अन्य आरोपी और उसके पिता के नाम से मिलते-जुलते थे।

आरोपी करण पर दर्ज आर्म एक्ट की यह FIR आरोपी अनवर हुसैन के नाम पर बताई गई।
इसमें दुष्कर्म जैसी गंभीर धाराएं बताई गईं।

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ADCP अग्रवाल और TI पटेल का ऐसा शपथपत्र

अनवर हुसैन पिता इशाक हुसैन पर चार केस हैं। इसमें तीन केस मल्हारगंज थाने में, एक चंदननगर थाने में है।

महलरागंज थाने में क्राइम नंबर 214/18 जो धारा 323, 294 में है, क्राइम नंबर 480/23 जो 3/7 आवश्यक वस्तु अधिनियम में और 282/24 जो फिर आवश्यक वस्तु अधिनियम में हैं।

चंदननगर थाने में केस 1302/23 है, जो 294, 323, 506 धारा में है।

गलत शपथ पत्र में ये 8 केस बताए गए

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यह केस फर्जी जोड़े गए

वहीं सुप्रीम कोर्ट में 28 अक्टूबर 2025 को पेश किए गए हलफनामे में अनवर हुसैन पर आठ केस बताए गए। फिर 4 नवंबर को सफाई देते हुए सुनवाई में गलत हलफनामे की बात मानी और इसे कम्प्यूटर से हुई मिस्टेक बताया।

मंडलेशवर जिला खरगोन में 282/08 केस जो धारा 379 में। क्राइम नंबर 283/08 यह आर्म एक्ट 25 में लगाया गया। सनावद खरगोन जिले में 419/09 केस नंबर, जो 379 आईपीसी धारा में बताया गया।

यह तीनों केस अनवर खान पिता इशाक खान के नाम पर हैं, यह व्यक्ति करीब 32 साल का है, जिस पर यह केस है। वहीं पुलिस अधिकारियों ने जो तर्क बताए कि आरोपी और पिता का नाम एक जैसे होने से यह हुआ।

इसमें सुप्रीम कोर्ट में आपत्ति हुई कि अनवर खान और अनवर हुसैन एक जैसा नाम कैसे हो गया है। वहीं उम्र एक की 32 साल दूसरे सही आरोपी की 60 साल है। वहीं दोनों के पते अलग-अलग हैं। मूल आरोपी अनवर हुसैन तो कभी खरगोन जिले में गया ही नहीं और ना ही रहता है।

नामजद नोटिस

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चौथे केस में तो हद ही कर दी दुष्कर्मी बताया

उधर चौथा जो फर्जी केस आरोपी अनवर पर बताया गया इसमें तो पुलिस ने हद कर दी। चंदननगर थाने में क्राइम नंबर 300/23 जो करण पंवार नाम के 23 साल के युवा पर है। वह भी आर्म एक्ट 25 में उसे शपथपत्र में पुलिस ने आरोपी अनवर हुसैन के नाम पर होना बता दिया।

साथ ही इसमें धाराएं भी आर्म एक्ट की जगह दुष्कर्म की धारा 376 के साथ ही अन्य गंभीर धाराएं 276(2), 506 और 34 जोड़ दी। जबकि इस क्राइम नंबर पर तो केस करण पंवार के नाम पर है। वहीं, केस भी केवल आर्म एक्ट का है, जिसमें इतनी गंभीर धाराएं दिखाई गई।

यह है पूरा केस

यह पूरा केस आवश्यक वस्तु अधिनियम का है। जिला प्रशासन की फूड टीम ने 19 अक्टूबर 2024 में मयूर बाग जवाहर टेकरी चंदननगर के वेयरहाउस पर छापा मारा। यहां उन्हें पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) का गेहूं-चावल मिला।

इसे जब्त किया गया। यह वेयरहाउस राजेश पहाड़िया ने किराए पर लिया था। इसमें अनवर हुसैन, आसिफ, यश राठौर, संदीप कुमार और राजेश पहाड़िया को आरोपी बनाया गया। जबकि इसमें अनवर का कहीं नाम, बिल नहीं मिले थे।

इस मामले में अधिकारियों ने चंदननगर थाने में 24 अक्टूबर 2024 को एफआईआर कराई। इसके बाद तत्कालीन कलेक्टर आशीष सिंह ने अनवर पर पुराने इसी तरह के मामले देखते हुए 8 नवंबर 2024 में डिटेंशन ऑर्डर जारी कर दिया था।

हालांकि इसे हाईकोर्ट ने गलत मानते हुए 24 फरवरी 2025 को क्वैश कर दिया। बाकी आरोपियों को एक-एक कर जमानत मिल गई लेकिन अनवर हुसैन पर अधिक केस के चलते नहीं मिली। फिर मामला सुप्रीम कोर्ट गया, जहां पर यह गलत हलफनामा पुलिस अधिकारियों ने पेश कर दिया।

अग्रवाल और पटेल दोनों ही पहुंच वाले अधिकारी

एडिशनल डीसीपी दिशेष अग्रवाल और टीआई इंद्रमणि पटेल दोनों ही पहुंच वाले अधिकारी माने जाते हैं। अग्रवाल इसके पहले जूनी इंदौर सीएसपी, देवास सीएसपी रह चुके हैं। अब इंदौर में एडिशनल डीसीपी हैं। वहीं पटेल एक आईपीएस के रिश्तेदार हैं जो राज्यपाल के ओएसडी भी रहे हैं। यह इंदौर के लसूडिया, बाणगंगा थाने में रह चुके हैं और अब चंदननगर थाना प्रभारी हैं।

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