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INDORE. इंदौर रियल सेक्टर बीते कुछ महीनों से सुस्ती में था। वहीं, अब इसे एक और बड़ा झटका लगा है। इंदौर इन्वेस्टिगेशन विंग ने एक-दो नहीं, ढाई सौ से ज्यादा नोटिस/समन जारी किए हैं। इन सभी को बयान और जवाब के लिए विभाग में बुलाया जा रहा है।
किन्हें भेजे जा रहे हैं नोटिस
यह नोटिस ज्वाइंट डेवलपमेंट एग्रीमेंट (JDA) वालों को भेजे गए हैं। इसमें किसान के साथ बिल्डर/डेवलपर्स टाउनशिप काटने का एग्रीमेंट करते हैं। यह एग्रीमेंट रजिस्टर्ड होता है। इस एग्रीमेंट के बाद आगे सौदों पर कैपिटल गेन टैक्स लगता है। इसी टैक्स वसूली के लिए यह नोटिस जारी हुए हैं।
किसान खेती की जमीन का टैक्स नहीं देता
इन सौदों पर नोटिस देने का कारण यह है कि किसान खेती की जमीन को टैक्स फ्री मानता है। इसी के चलते इसमें अधिकांश टैक्स देते ही नहीं हैं। इसी को लेकर लगातार करोड़ों की टैक्स चोरी की सूचनाएं आयकर विभाग को मिल रही थीं।
वहीं, विभाग ने पंजीयन विभाग से इंदौर में हुए सारे ज्वाइंट डेवलपमेंट एग्रीमेंट की कॉपी ली। इसके बाद इन सौदों के आधार पर एक-एक कर सभी को नोटिस जारी कर दिए।
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इस एक्ट के तहत जारी किए गए नोटिस
इन्वेस्टिगेशन विंग इंदौर की ओर से आयकर एक्ट 1961 की धारा 131(ए) के तहत संबंधितों को नोटिस/समन जारी किए गए हैं। इन सभी को एक-एक कर समय देकर विभाग में आकर बयान देने के निर्देश दिए गए हैं।
साथ ही चेतावनी दी गई है कि यदि नोटिस के बाद भी संबंधित दस्तावेजों के साथ नहीं आते हैं, तो इसके लिए दस हजार की पेनल्टी लगेगी।
यह सारे दस्तावेज लेकर विभाग में जाना होगा
संबंधित व्यक्ति को खुद या अपने प्रतिनिधि के जरिए विभाग में उपस्थिति देना होगी और साथ में यह दस्तावेज भी लाने होंगे-
ज्वाइंट डेवलपमेंट एग्रीमेंट (JDA) की कॉपी
कार्यपूर्णता प्रमाणपत्र
संबंधित सालों का आयकर रिटर्न
एग्रीमेंट के संबंध में बैंक स्टेटमेंट, अकाउंट डिटेल व अन्य वित्तीय दस्तावेज
इस संबंध में लिखित स्पष्टीकरण व अन्य दस्तावेज जो इसके लिए पेश करना चाहें।
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इंदौर में अब एग्रीमेंट से हो रहा काम
इंदौर में हाल के समय में जिस तरह से जमीन के दामों में तेजी आई है। इसके बाद बिल्डर/डेवलपर्स भी अब जेडीए में अधिक डील कर रहे हैं। इसमें किसान की जमीन रहती है और बिल्डर इसमें समझौता कर कॉलोनी विकास मंजूरी, नक्शा पास कराने से लेकर डेवलपमेंट करने, कॉलोनी काटने और फिर बिक्री तक की जिम्मेदारी लेता है।
इसके बदले में एक रेशो डील रहती है जिसमें डेवलप जमीन यानी उसके तय हिस्से के प्लॉट वह ले लेता है। खेती की जमीन बेचने पर आयकर नहीं है, लेकिन इस तरह जेडीए के जरिए सौदा कर खरीदी-बिक्री कैपिटल गेन टैक्स के दायरे में आती है। इसी के चलते आयकर विभाग ने यह नोटिस जारी किए हैं। इसमें किसान और बिल्डर दोनों उलझे हैं और जवाब मांगा गया है।
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