EWS आरक्षण में सामने आया नया झोल, सामान्य वर्ग और OBC में आय के अलग-अलग पैमाने

मध्य प्रदेश में ओबीसी सहित ईडब्ल्यूएस आरक्षण का मामला कानूनी विवादों में उलझा हुआ है। अब, ईडब्ल्यूएस आरक्षण के आय मानक को लेकर एक नई गड़बड़ी सामने आई है। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है।

author-image
Neel Tiwari
New Update
jabalpur ews reservation new issue high court petition

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट।

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

JABALPUR.  मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में EWS आरक्षण के लिए आय के मानक तय करने के लिए बनाए गए नियम को चुनौती दी गई है। जबलपुर पनागर विधानसभा से पूर्व विधायक नरेंद्र त्रिपाठी के द्वारा दायर की गई जनहित याचिका की सुनवाई में यह सामने आया कि 8 लाख रुपए से कम आय तय करने के लिए अलग-अलग वर्गों के लिए अलग-अलग नियम बनाए गए। 

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता शिवकुमार कश्यप ने कोर्ट को बताया कि जहां सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी के माता-पिता की जमीन जायदाद से होने वाली कमाई और सैलरी सहित यदि उसके घर में 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे भी हैं, और वह कुछ कमाते हैं तो उसे भी जोड़ा जाएगा। वहीं ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए केवल माता-पिता एवं अभ्यर्थी की आय को जोड़ा जाएगा। लेकिन, ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थी के परिवार के अन्य सदस्यों सहित एग्रीकल्चर और अन्य संसाधनों से हो रही आय को इसमें नहीं जोड़ा जाएगा। 

आसान शब्दों में समझिए क्या कहते हैं नियम

सामान्य वर्ग कैंडिडेट यदि ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई करते हैं तो अभ्यर्थी की आय सहित उसकी पत्नी/पति सहित उसके माता-पिता की संपत्ति से होने वाली और सैलरी का आंकलन किया जाता है। इसके साथ ही यदि उस अभ्यर्थी के घर में 18 साल से कम उम्र के भी बच्चे हैं, और वह कोई जॉब कर रहे हैं, तो उनकी आय को भी शामिल किया जाने के बाद यदि यह सालाना आय 8 लाख से कम निकलती है तो उसे ईडब्ल्यूएस का सर्टिफिकेट मिलेगा।

ये खबर भी पढ़ें... MPPSC असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में ये नियम पड़ रहा भारी, छात्रों ने आयोग को सौंपा ज्ञापन

ओबीसी में अलग हैं नियम

ओबीसी आरक्षण के तहत क्रीमी लेयर डिसाइड  (Creamy Layer) करने के लिए जो आय तय करने संबंधी नियम है, उनके अनुसार सिर्फ अभ्यर्थी एवं उसके माता-पिता की सैलरी का आंकलन किया जाएगा। यदि यह टोटल इनकम 8 लाख रुपए से कम है तो उसे इस कैटेगरी में आरक्षण का लाभ मिल जाएगा। यहां अभ्यर्थी के माता-पिता की एग्रीकल्चर एवं अन्य संपत्ति से होने वाली आय को नहीं जोड़ा जाता। साथ ही परिवार में काम करने वाले अन्य सदस्यों की आय का भी कोई उल्लेख नहीं है।

ये खबर भी पढ़ें... ESB की ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी की जॉइनिंग में फंसा ओबीसी महिला पद का पेंच

केंद्र और राज्य सरकार को जवाब देने 6 सप्ताह का समय

इस मामले की सुनवाई के दौरान शासकीय अधिवक्ता की ओर से यह पक्ष रखा गया कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण का मामला केवल सामान्य वर्ग से जुड़ा हुआ है जिसे कोर्ट ने गलत मानते हुए यह बताया कि ओबीसी में क्रीमी लेयर में ना होना भी ईडब्ल्यूएस कैटेगरी में ही आता है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैद और जस्टिस विवेक जैन की डिविजनल बेंच ने केंद्र सरकार सहित मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करते हुए इस मामले में जवाब देने के लिए 6 सप्ताह का समय दिया है अब इस मामले की अगली सुनवाई 8 अप्रैल 2025 को होगी।

ये खबर भी पढ़ें...

ओबीसी EWS कैंडिडेट्स को UPSC में 9 अटेम्प्ट मामले में हाइकोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

इंदौर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में वकीलों के चेंबर मामले में याचिका हुई खारिज

ईडब्ल्यूएस आरक्षण जनहित याचिका जबलपुर न्यूज EWS reservation जबलपुर हाईकोर्ट ओबीसी आरक्षण क्रीमी लेयर Jabalpur High Court OBC RESERVATION