इंदौर में पिपलियाहाना तालाब के पास बन रही जिला न्यायालय की नई इमारत के काम की गति अत्यंत धीमी होने से वकील भी परेशान हैं। 1700 वकीलों ने कोर्ट परिसर में बनने वाले वकीलों के चैंबर्स के रजिस्ट्रेशन के नाम पर सालों पहले दस-दस हजार रुपये जमा करवाए थे। चैंबर्स मिलना तो दूर वकीलों को तो अब तक यह भी नहीं पता है कि आखिर उन्हें कितना बड़ा चैंबर्स मिलेगा और वकीलों के चैंबर इस कोर्ट परिसर में कहां पर स्थित होंगे। इसके चलते ही इंदौर अभिभाषक संघ के द्वारा मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की मुख्य पीठ में याचिका दायर की गई थी। जिसकी सुनवाई आज चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डबल बेंच में हुई।
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अधिवक्ता चैंबर्स की जगह नहीं हुई है तय
इस मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता पंकज सोनी ने कोर्ट को बताया कि इस निर्माण की प्रक्रिया बहुत ही धीमी गति से चल रही है। इसके साथ ही जिला कोर्ट से निवेदन किए जाने के बाद भी अब तक वह जगह निश्चित नहीं हुई है जहां पर वकीलों के चैंबर्स अलॉट होंगे। उन्होंने कोर्ट को एक अन्य मामले का हवाला देते हुए बताया कि इसी तरह का मामला देवास डिस्टिक कोर्ट से भी सामने आया था जिसके बाद आदेश के तहत देवास जिला बार एसोसिएशन के लिए जगह सुनिश्चित करने सीमांकन का आदेश दिया गया था। उन्होंने हाईकोर्ट को इस मामले का हवाला देते हुए इंदौर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में भी वकीलों के चैंबर्स की जगह सुनिश्चित करने का निवेदन किया।
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पहले बिल्डिंग तो बनने दो, याचिका हुई खारिज
इस मामले में मौखिक टिप्पणी करते हुए चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने बताया कि उन्होंने इस बिल्डिंग का खुद निरीक्षण किया है। उन्होंने याचिकाकर्ता से कहा कि पहले इस बिल्डिंग को बन कर तैयार हो जाने दीजिए उसके बाद यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वकीलों को किस स्थान पर चैंबर्स दिए जाएंगे। याचिकाकर्ताओं को उन्होंने स्वतंत्रता दी है की बिल्डिंग बन जाने के बाद वह इस मामले से जुड़ी अन्य याचिका दायर करने के लिए स्वतंत्र हैं और इस रिट याचिका को हाईकोर्ट के द्वारा खारिज कर दिया गया।
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