हाईकोर्ट में डायरी पेश करने में सीबीआई की हीलाहवाली और झूठ बोलने पर जांच अधिकारी को हाइकोर्ट की फटकार के साथ ही नर्सिंग मान्यता में रिश्वतखोरी के आरोपी सीबीआई इंस्पेक्टर को अभियोजन की स्वीकृति ना मिलने पर जमानत मिल गई है।
जबलपुर हाई कोर्ट में जस्टिस जीएस अहलूवालिया की कोर्ट में सीबीआई के जांच अधिकारी को झूठ बोलने ओर संबंधित केस डायरी को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत न करने के मामले में फटकार लगी है। कोर्ट ने सीबीआई डायरेक्टर से पूछा है कि ऐसे अधिकारियों को सीबीआई में होना चाहिए या नहीं।
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यह था पूरा मामला
दरअसल नर्सिंग मान्यता फर्जीवाड़े में रिश्वतखोरी के आरोप में फंसे सीबीआई इंस्पेक्टर सुनील कुमार मजोका पर 2 लाख रुपए की रिश्वत लिए जाने के आरोप लगे थे। इस मामले में हाईकोर्ट में जमानत याचिका पर सुनवाई चल रही थी। मामले के CBI के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर गौरव सोम को पिछले आदेश के अनुसार कोर्ट के समक्ष केस डायरी पेश करनी थी। लेकिन अधिकारी के द्वारा संबंधित मामले की केस डायरी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत नहीं की गई और बगैर जांच किए चार्जशीट को भी दाखिल कर आरोपी को पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। कोड के सामने जब यह बात आई कि सीबीआई के जांच अधिकारी को कोर्ट का आदेश पता होने के बाद भी वह पेश नहीं हुए और पूरे मामले की लाइव सनी देख रहे हैं तो उसके बाद उन्हें जमकर फटकार लगी।
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वीडियो कांफ्रेंस में झूठ बोलकर फंसे गौरव सोम
कोर्ट ने जांच अधिकारी गौरव सोम से पूछा कि क्या पहले किसी मामले में अभियोजन की मंजूरी ना होने के कारण जमानत की मंजूरी दी गई है। तो जानकारी होते हुए भी अधिकारी के द्वारा न्यायालय के समक्ष झूठ बोला गया कि ऐसे कोई भी आदेश पूर्व में जारी नहीं किए गए हैं। इसके बाद कोर्ट ने दोबारा यह पूछा कि क्या आपने कभी कुछ ऐसा किया है जिससे कोर्ट ने आपकी आलोचना की हो इस पर भी गौरव सोम ने इनकार कर दिया। वीडियो कॉन्फ्रेंस मैं कोर्ट के सामने झूठ बोलने वाले सीबीआई के जांच अधिकारी यह भी भूल गए कि वह रिकॉर्डेड वीडियो कॉल पर बात कर रहे हैं। जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें जमकर फटकारा।
लाइव स्ट्रीमिंग में वीडियो चालू ना करने पर भी फटकार
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अजय गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि गौरव सोम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े हुए हैं। इसके बाद कोर्ट ने यह पाया कि वह अपना ऑडियो और वीडियो बंद करके वकील की बहस सुन रहे हैं। इसके बाद कोर्ट ने पहले तो उन्हें ऑडियो वीडियो शुरू करने के लिए कहा और उसके बाद यह कहा कि आपको यह पता था कि आज जबलपुर में केस डायरी पेश करनी है। उसके बाद भी आप भोपाल में होने का बहाना बना रहे हैं। सीबीआई के ढीलेपन का नतीजा यह नहीं हो सकता कि किसी व्यक्ति को जेल के अंदर बंद करके रखा जाए।
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पहले भी कोर्ट कर चुका है आलोचना
जस्टिस आहलूवालिया की कोर्ट में ही प्रीति तिलकवार मामले की सुनवाई में जब जज आदेश लिख रहे थे तो इसी अधिकारी ने हाथ खड़ा कर बोलने कोशिश की थी और कोर्ट ने इस व्यवहार की आलोचना करते हुए तब भी गौरव सोम को फटकार लगाई थी।
सीबीआई निदेशक को जारी हुए निर्देश
कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा कि इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर गौरव सोम के द्वारा इसके पहले भी कोर्ट के समक्ष आदेश लिखते समय हाथ खड़ा कर बीच में बोलने की कोशिश की गई थी और उसके बाद भी दोबारा उन्होंने इसी तरह का आचरण दोहराने में भी संकोच नहीं किया। गौरव सोम ने पिछले मामले में कोर्ट के द्वारा उनके खिलाफ की गई टिप्पणी के संबंध में भी झूठ कहा। इस बात की जानकारी देते हुए कोर्ट ने सीबीआई के डायरेक्टर को आदेश दिया है कि गौरव सोम के आचरण पर विचार करे कि इस अधिकारी को सीबीआई में रहना भी चाहिए या नहीं। इसके साथ ही जस्टिस आहलूवालिया ने जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए आरोपी को जमानत दे दी।