अरुण तिवारी, BHOPAL. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पीसीसी में हुई कांग्रेस की अहम मीटिंग में वर्चुअली जुड़कर ये मैसेज देने की कोशिश की है कि अब उनका चैप्टर खत्म हो चुका है। यानी अब कमलनाथ बीजेपी में शामिल नहीं हो रहे। लेकिन पिक्चर अभी खत्म नहीं हुई है। कमलनाथ के पुत्र और सांसद नकुलनाथ (Nakulnath) की बीजेपी में जाने की संभावनाएं पूरी तरह से बरकरार हैं। संभावना ये भी जताई जा रही है कि नकुलनाथ छिंदवाड़ा से लोकसभा चुनाव बीजेपी की टिकट से लड़ सकते हैं। कमलनाथ एपीसोड की ये है इनसाइड स्टोरी...
कमलनाथ पर गुणा-भाग खत्म हुआ
राजनीति की रवायत ही कुछ ऐसी है कि कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता, लेकिन पिछले कुछ दिनों से चल रहा कमलनाथ एपीसोड फिलहाल खत्म हो गया है। पीसीसी में हुई प्रदेश प्रभारी जितेंद्र सिंह के साथ कांग्रेस नेताओं की बैठक में कमलनाथ ने वर्चुअली जुड़कर यह संदेश देने की कोशिश की है कि वे कांग्रेस के साथ हैं और बीजेपी नहीं जा रहे। आखिर ऐसा क्या हुआ कि बनी-बनाई स्थिति बिगड़ गई। यह तय हो गया था कि कमलनाथ और नकुलनाथ को कुछ विधायकों समेत बीजेपी में शामिल होना था, लेकिन हासिल आई शून्य पर पूरा गुणा-भाग खत्म हो गया। भोपाल आए प्रदेश प्रभारी भंपर जितेंद्र सिंह ने कहा कि कमलनाथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं 40 साल से ज्यादा समय से वे पार्टी और गांधी परिवार से जुड़े हैं। ये सब खबरें मीडिया ने चलाई हैं।
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जितेंद्र सिंह का संदेश किसके लिए...
राजनीति के चौसर पर जमी बाजी पलटने पर कमलनाथ ने मीडिया में तो खुद कुछ नहीं कहा, लेकिन दूसरे नेताओं के हवाले से अपनी स्थिति साफ करते रहे। उनकी सफाई को कांग्रेस नेता मीडिया के सामने अपनी-अपनी तरह से बताते रहे। जितेंद्र सिंह ने कमलनाथ के बारे में स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की, लेकिन कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले नेताओं की कतार पर कड़े शब्दों में नाराजगी जताई। जितेंद्र ने कहा कि पार्टी छोड़कर जाने वाले लोग उन लोगों के साथ धोखा करते हैं जिन्होंने उसको वोट दिया है। पार्टी की रीति नीति ने साथ न चलने वाले नेताओं के जाने के लिए कांग्रेस के दरवाजे हमेशा खुले हैं, लेकिन ये संदेश उन्होंने किसको दिया इस पर कयास लगाए जाने लगे हैं।
सब बना बनाया खेल बिगड़ गया
सूत्रों की मानें तो कमलनाथ के बीजेपी में शामिल होने का रायता फैला जिससे हालात पूरी तरह बदल गए। प्रदेश बीजेपी नेताओं को नकुलनाथ पर तो आपत्ति नहीं थी, लेकिन कमलनाथ के शामिल होने पर घोर विरोध जताया। दूसरी तरफ दिल्ली में किसानों के बढ़ते आंदोलन का असर भी इस डील पर पड़ा। बीजेपी कमलनाथ के ऐवज में सिख समुदाय को नाराज करना नहीं चाहती थी। कमलनाथ पर 1984 के दंगों के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे बीजेपी को डर था कि पंजाब, हरियाणा और दिल्ली जैसे राज्यों में उसको नुकसान हो सकता है। लिहाजा सब बना बनाया खेल बिगड़ गया और कमलनाथ के साथ खेला हो गया। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि बीजेपी और मीडिया के लिए कोई मसाला नहीं है।
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नकुलनाथ की संभावनाएं अभी हैं...!
सूत्रों की मानें तो इसमें एक और पेंच था। नकुलनाथ को मोदी कैबिनेट में जगह भी मांगी गई थी। लेकिन इसको लेकर प्रदेश इकाई ने भारी विरोध जताया। प्रदेश के नेताओं ने कहा कि नकुल का कद इतना बड़ा नहीं कि उनको केंद्र में मंत्री बनाया जाए। वे खुद कमलनाथ द्वारा स्थापित कराए जाने वाले नेता से ज्यादा कुछ नहीं हैं। तो यहां पर सवाल उठता है कि क्या अब नकुल की संभावनाएं भी खत्म हो गई हैं। कमलनाथ के करीबियों का कहना है कि नकुलनाथ खुद कांग्रेस की राजनीति नहीं करना चाहते और बीजेपी में शामिल होना चाहते हैं। आशंका की ये भी है कि कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ने से नकुलनाथ को नुकसान हो सकता है। यानी नकुलनाथ की संभावनाएं अभी बरकरार हैं। बाला बच्चन ने कहा कि कांग्रेस से चुनाव लड़ेंगे और सौ फीसदी जीतेंगे।
छिंदवाड़ा के विधायकों का बैठक से परहेज
पीसीसी में हुई बैठक में छिंदवाड़ा के विधायक शामिल नहीं हुए। सवाल तो ये भी उठा कि आखिर उन्होंने इस बैठक में शामिल होने से क्यों परहेज बरता। क्या कांग्रेस में अभी भी सब कुछ सामान्य नहीं हुआ है। जितेंद्र सिंह का अचानक आना और फिर कई नेताओं से वन टू वन चर्चा करना भी क्या इस पूरे एपीसोड पर नेताओं की नब्ज टटोलना है। सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि वो तो अलग तरह के लोग हैं जब कमलनाथ अध्यक्ष थे तब भी नहीं आते थे।
कुल मिलाकर पिक्चर अभी बाकी है...
तो कुल मिलाकर यह तय है कि पिक्चर अभी बाकी है। राजनीति में कब क्या हो जाए यह कोई नहीं कह सकता। यदि नकुलनाथ बीजेपी में शामिल होते हैं तो कमलनाथ के लिए बड़ी असहज स्थिति हो जाएगी। और यदि नकुल बीजेपी में नहीं जाते तो उनके राजनीतिक भविष्य भी दांव पर लग सकता है। सवाल कई हैं जिनका जवाब शायद वक्त के पास ही है।