ग्वालियर खंडपीठ हाईकोर्ट ने श्रम विभाग के एडिशनल लेबर कमिश्नर (Additional Labor Commissioner) प्रभात दुबे को पदोन्नति नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में दो पद नीचे रिवर्ट (Revert) करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने उन्हें अब असिस्टेंट लेबर कमिश्नर (Assistant Labor Commissioner) पद पर नियुक्त करने के निर्देश भी दिए हैं। साथ ही प्रभात दुबे से 20 हजार रुपये कॉस्ट (Cost) और प्रमोशन से प्राप्त लाभ पर 6% ब्याज सहित रकम वसूलने का भी आदेश दिया गया।
मामला क्या है?
यह मामला श्रम विभाग में पदोन्नति से जुड़ा है। प्रभात दुबे को 1 जनवरी 2004 को सहायक श्रम आयुक्त से उप श्रम आयुक्त (Deputy Labor Commissioner) के पद पर पदोन्नत किया गया था। लेकिन इस पदोन्नति को रोशन सिंह यादव ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। यादव दुबे से वरिष्ठ थे और उनका तर्क था कि दुबे ने पदोन्नति के लिए आवश्यक पाँच साल की सेवा पूरी नहीं की थी।
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प्रमोशन नियमों का उल्लंघन कैसे हुआ?
कोर्ट ने पाया कि दुबे को एक साल की छूट दी गई थी, जो पदोन्नति नियमों के तहत केवल कैबिनेट या राज्यपाल ही दे सकते हैं। श्रम विभाग ने इस नियम की अनदेखी की और बिना वैध छूट के उन्हें पदोन्नत किया। इससे नियमों का उल्लंघन हुआ और कोर्ट ने पदोन्नति आदेश को खारिज कर दिया।
कोर्ट के आदेश और इसका असर...
- प्रभात दुबे को दो पद नीचे असिस्टेंट लेबर कमिश्नर बनाया जाएगा।
- 20 हजार रुपए का जुर्माना प्रभात दुबे पर लगाया गया है।
- प्रमोशन से प्राप्त लाभों की राशि 6% ब्याज सहित वसूल की जाएगी।
- यह फैसला विभागीय पदोन्नति नियमों का कड़ा पालन सुनिश्चित करता है।
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श्रम विभाग में पदोन्नति नियम क्यों महत्वपूर्ण हैं?
पदोन्नति नियम कर्मचारियों के करियर विकास और विभागीय अनुशासन के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। नियमों का पालन सुनिश्चित करने से न केवल न्याय मिलता है बल्कि विभागीय कार्यशैली में पारदर्शिता भी आती है। यदि नियमों का उल्लंघन होता है तो इससे न केवल वरिष्ठ कर्मचारियों का अधिकार हनन होता है, बल्कि विभाग की विश्वसनीयता भी प्रभावित होती है।
डिप्टी लेबर कमिश्नर | मध्यप्रदेश