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New Delhi: लद्दाख के DGP एसडी सिंह जामवाल ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि सोनम वांगचुक का पाकिस्तान और बांग्लादेश से कनेक्शन है। उन्होंने कहा कि वांगचुक से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी पाकिस्तान भेजने के आरोप में पाकिस्तान इंटेलिजेंस ऑपरेटिव (PIO) के एक सदस्य को पकड़ा गया था। यह जानकारी वांगचुक से जुड़ी हुई थी। इसके साथ ही वांगचुक के पाकिस्तान के प्रमुख समाचार पत्र 'डॉन' के एक इवेंट में भाग लेने का भी जिक्र किया गया। इसके अलावा, वांगचुक के बांग्लादेश यात्रा की भी चर्चा हुई है।
लेह हिंसा पर क्या बोले डीजीपी
24 सितंबर को लेह में हुई हिंसा में चार युवकों की मौत हो गई थी और 80 लोग घायल हुए थे, जिनमें 40 पुलिसकर्मी भी शामिल थे। इस हिंसा के बाद, डीजीपी ने बताया कि पुलिस ने "सेल्फ डिफेंस" में फायरिंग की थी, अन्यथा पूरा लेह जल सकता था। उन्होंने इस हिंसा में विदेशियों के हस्तक्षेप से इनकार किया, और कहा कि यह स्थानीय मुद्दा था, जो कुछ युवाओं द्वारा उकसाए जाने के कारण बढ़ गया था।
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इसलिए चलवानी पड़ी गोली: डीजीपी
डीजीपी ने कहा कि सोनम वांगचुक का भड़काने का इतिहास रहा है। उन्होंने अरब स्प्रिंग, नेपाल और बांग्लादेश का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि वांगचुक के वित्तपोषण की जांच एफसीआरए उल्लंघन के लिए की जा रही है। 5000-6000 लोगों के समूह ने सरकारी इमारतों को नुकसान पहुंचाया।
डीजीपी ने कहा कि बुधवार को लेह में भीड़ जमा हो गई, जबकि दिल्ली में सरकार के साथ बातचीत तय थी। उन्होंने दावा किया कि सीआरपीएफ जवानों को बेरहमी से पीटा गया। एक जवान अभी भी गंभीर चोट के साथ अस्पताल में भर्ती है। आग लगने के समय इमारत में चार महिला पुलिसकर्मी मौजूद थीं। आत्मरक्षा में गोलीबारी की गई, जिसमें चार लोगों की जान गई।
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सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी
सोनम वांगचुक को शुक्रवार दोपहर पुलिस ने उनके गांव उल्याकटोपो से गिरफ्तार किया। उन्हें जोधपुर सेंट्रल जेल भेजा गया और उनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लगाया गया। वांगचुक की गिरफ्तारी ने स्थानीय लोगों के बीच हलचल मचाई है। वांगचुक लद्दाख के अधिकारों की लड़ाई में एक प्रमुख चेहरा रहे हैं और उनकी गिरफ्तारी से लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं।
वांगचुक को पहले से अंदेशा था कि सरकार उन्हें गिरफ्तार कर सकती है। उन्होंने एक दिन पहले कहा था, "इस मुद्दे पर कभी भी गिरफ्तार होना पड़े तो मुझे खुशी होगी," लेकिन अब उनकी गिरफ्तारी से माहौल और बिगड़ सकता है, और यह लद्दाख के प्रतिनिधियों और केंद्र सरकार के बीच चल रही बातचीत को भी प्रभावित कर सकता है।
विदेशी फंडिंग और एनजीओ की जांच
हिंसा के बाद, गृह मंत्रालय ने वांगचुक की संस्था, स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) का विदेशी फंडिंग लाइसेंस रद्द कर दिया है। इसके अलावा, सीबीआई ने वांगचुक की दूसरी संस्था हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ ऑल्टरनेटिव्स लद्दाख (HIAL) के खिलाफ भी विदेशी फंडिंग (FCRA) मामले में जांच शुरू कर दी है। HIAL पर भी विदेशी चंदा कानून के उल्लंघन का आरोप है, और सीबीआई टीम ने इसकी अकाउंट्स और रिकॉर्ड की जांच शुरू कर दी है।
भविष्य की संभावनाएं
वांगचुक की गिरफ्तारी और इन जांचों से लद्दाख में सियासी स्थिति और संवेदनशील हो सकती है। स्थानीय लोगों का मानना है कि वांगचुक हिंसा के किसी भी रूप में शामिल नहीं थे, और वे एक शांतिपूर्ण आंदोलन के नेता थे। इस बीच, लद्दाख के भविष्य के लिए यह घटनाक्रम महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि यह केंद्र और स्थानीय सरकार के बीच के रिश्तों को प्रभावित कर सकता है।