Lok Sabha Election : इंदौर में बमकांड का असर, सबसे कम 61.75% वोटिंग, 7.58 फीसदी की गिरावट

मध्‍य प्रदेश में चौथे चरण में 8 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है। मालवा निमाड़ की इन सीटों पर सबसे ज्यादा वोटिंग खरगोन में और सबसे कम इंदौर में दर्ज की गई। इंदौर में बमकांड का ऐसा असर हुआ कि मतदान प्रतिशत 7.58% घट कर रह गया।

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Vikram Jain
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संजय गुप्ता @INDORE. मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव ( Lok Sabha Election ) के चौथे चरण ( fourth phase voting) में मालवा निमाड़ की 8 सीटों के साथ सभी 29 सीटों पर मतदान संपन्न हो चुका है। इंदौर लोकसभा सीट ( Indore Lok Sabha seat ) के लिए आए शाम 6 बजे तक के आंकड़े के अनुसार 61.75% फीसदी मतदान हुआ है। यानि 25.26 लाख रजिस्टर्ड मतदाताओं में से करीब 15.28 लाख ने वोट डाला और 10 लाख मतदाता वोट डालने नहीं गए। यह मालवा-निमाड़ की सभी 8 सीट पर सबसे कम है। हालांकि वोटिंग प्रतिशत में अंतिम मिलाने के बाद कुछ बदलाव हो सकता है। साल 2019 में इंदौर में 69.33 फीसदी वोटिंग हुई थी। यानि इस बार 7.58% फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। यह आंकड़े सीईओ चुनाव आयोग अनुपम राजन ने प्रेस कांफ्रेंस में बताए।

वोट प्रतिशत में 3.93 फीसदी गिरावट

मालवा निमाड़ की 8 लोकसभा सीटों पर साल 2019 में औसत वोटिंग 75.65  फीसदी थी जो इस बार गिरकर 71.72 फीसदी हो गई यानी वोट प्रतिशत में 3.93 फीसदी की गिरावट आई है। चौथे चरण में हुए 8 सीटों पर कितना मतदान... 

देवास- 74.86 फीसदी

उज्जैन- 73.05 फीसदी

मंदसौर- 74.50 फीसदी

रतलाम- 72.86 फीसदी

धार- 71.50 फीसदी

इंदौर- 60.53 फीसदी

खरगोन- 75.79 फीसदी

खंडवा- 70.72 फीसदी

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इंदौर में सबसे कम और खरगोन में ज्यादा वोटिंग

इंदौर लोकसभा क्षेत्र प्रदेश में सबसे कम वोटिंग वाला क्षेत्र रहा है, मालवा-निमाड़ में सबसे ज्यादा वोटिंग खरगोन में 75.79 फीसदी रही है। वहीं इंदौर लोकसभा में शामिल विधानसभाएं ही इन आठ लोकसभा में शामिल 64 विधानसभाओं में सबसे कम वोटिंग वाली रही है। इंदौर में वोटिंग प्रतिशत ( Voting percentage in Indore)  61.75% फीसदी रहा।

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सबसे कम वोटिंग वाली सभी विधानसभाएं इंदौर की

इंदौर 3- 56.54 फीसदी

इंदौर 5- 57.19 फीसदी

इंदौर दो- 58.03 फीसदी

इंदौर एक- 59.84 फीसदी

इंदौर चार- 61.89 फीसदी

अक्षय बम कांड से वोटिंग हुई प्रभावित

कांग्रेस के प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने 29 अप्रैल को नाम वापस लेकर बीजेपी ज्वाइन कर ली थी। इस बमकांड के बाद बीजेपी के लिए फ्री फील्ड चुनाव रहा और घटना के बाद से ही मतदाताओं की रूचि चुनाव में कम हो गई। बीजेपी ने अंत तक काफी कोशिश की उनका वोट बैंक बाहर आए और अधिक वोटिंग करके बमकांड के बाद बैकफुट पर आई रिकवरी को पूरा किया जा सके। उधर कांग्रेस की कोशिश रही कि उसका वोट बैंक नोटा पर जाए जिससे बीजेपी की अधिक वोट की जीत दागदार हो जाए। पूरे चुनाव में और इसके पहले किसी भी प्रत्याशी से ज्यादा नोटा ही चर्चा में रहा। बमकांड के कारण वोटिंग इंदौर में बुरी तरह प्रभावित हुई।

इंदौर में साल 2014 से भी कम वोटिंग हुई

इंदौर में साल 2014 में 62.26 करीब वोटिंग थी, वहीं 2019 में यह बढ़कर 69.33 फीसदी हो गई थी, लेकिन इस बार यह गिरकर 61.75 फीसदी हो गई है, जो करीब 7.58 फीसदी कम है। 

देपालपुर, राउ, सांवेर जैसे ग्रामीण क्षेत्र में गिरा वोटिंग

शहरी क्षेत्रों में वोटिंग कम ही होती है, और इसका औसत लोकसभा में 60-62 फीसदी ही रहता है। लेकिन ग्रामीण में यह 75 फीसदी और इससे ज्यादा होता है लेकिन इस बार दोपहर बाद देपालपुर, राउ, सांवेर ग्रामीण विधानसभा में भी वोटिंग प्रतिशत कम हुआ है।

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सबकी नजरें कांग्रेस का वोट बैंक किधर जाएगा

बीते चुनाव 2019 में कुल 16.29 लाख वोट गिरे थे, इसमें से बीजेपी के शंकर लालवानी को 65 फीसदी यानि 10.68 लाख वोट मिले थे वहीं कांग्रेस प्रत्याशी को 32 फीसदी यानि 5.20 लाख वोट मिले थे। बाकी मात्र 3 फीसदी वोट अन्य को मिले थे। नोटा को 5045 वोट यानि 0.30 फीसदी वोट थे। इस बार कांग्रेस का वोट किधर गया इस पर सभी की नजरें हैं। क्योंकि खुद कांग्रेस इसे नोटा में गिराने पर लगी हुई है। नोटा में अभी तक गोपालगंज बिहार की लोकसभा का रिकार्ड रहा है जो 51600 वोट का था।

इस बार इंदौर के नाम यह रिकार्ड संभव

माना जा रहा है कि इस बार फ्री फील्ड होने के चलते बीजेपी के प्रत्याशी की सबसे बड़ी जीत होगी जो 2019 में नवसारी से पाटिल की 6.89 लाख वोट की थी। यदि बीजेपी को उनका वोट बैंक भी मिला तो यह रिकार्ड बनाने से कोई नहीं रोक सकता है। वहीं दूसरा रिकार्ड नोटा में सबसे ज्यादा वोट का संभव है।

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कांग्रेस नोटा के प्रचार में जुटी, बीजेपी ज्यादा वोटिंग में लगी

उधर कांग्रेस नोटा के प्रचार में जुटी है और अपने समर्थकों को अधिक से अधिक नोटा में वोट डलवाने की अपील कर रहे हैं। कांग्रेस तीन लाख वोट नोटा में डलवाने का लक्ष्य लेकर चल रही है। वहीं बीजेपी लगातार मैदानी कार्यकर्ताओं के जरिए अधिक से अधिक वोट डलवाने मे जुटी है और उनका लक्ष्य 70 फीसदी वोटिंग का रखा गया था।  

बारिश से मतदान केंद्रों की बिजली गई, टार्च रोशनी में वोटिंग

वहीं बारिश के चलते कई क्षेत्रों में बिजली जाने से ने मतदान केंद्र अंधेरे में आ गए। इसके बाद टार्च और मोबाइल की रोशनी में वोटिंग कराई गई। हालांकि ईवीएम में लंबा बैटरी बैकअप रहता है इसलिए वोटिंग मशीन में कोई समस्या नहीं है।

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