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BHOPAL. लो जी...माननीयों के लिए दिल्ली से बड़ी खबर आ गई है। मोदी सरकार ने सांसदों की सैलरी में 24 फीसदी का इजाफा कर दिया है। मौजूदा सांसदों को अब 1 लाख 24 हजार रुपए प्रति माह वेतन मिलेगा। पहले उन्हें 1 लाख रुपए हर महीने मिलते थे। वहीं, डेली अलाउंस 2 हजार रुपए से बढ़ाकर 2500 कर दिया गया है। पूर्व सांसदों को अब पेंशन के रूप में 31 हजार रुपए मिलेंगे। पहले यह राशि 25 हजार रुपए प्रति माह थी। कितना गजब है सरकार करोड़पति सांसदों को सैलरी देती है। भत्ते देती है।
इधर, अपने मध्य प्रदेश में भी गजबई चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश को यूं ही अजब-गजब प्रदेश नहीं कहते। यहां ऐसे फैसले लिए जाते हैं, जो नई बहस खड़ी कर देते हैं। अब ताजातरीन मामला विधायकों को घर और गाड़ी खरीदने के लिए दोगुना कर्ज दिए जाने की तैयारी से जुड़ा है। ये तब है, जब 230 विधानसभा सीटों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा में 89 प्रतिशत विधायक करोड़पति हैं। अब इसमें दो सवाल खड़े होते हैं। अव्वल तो करोड़पति विधायकों को कर्ज लेने की नौबत क्यों पड़ेगी, दूसरा यदि उन्हें खर्च लेना भी है तो उसके ब्याज की आधी रकम सरकार क्यों भरेगी? अब इसी मुद्दे ने नई बहस छेड़ दी है। चूंकि इससे सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों दलों के विधायकों को फायदा होगा। लिहाजा, राजनीतिक रूप से इसका विरोध होने की गुंजाइश ही नहीं है। अब इसे क्या कहा जाए?
इस तरह दोगुना कर्ज देने की तैयारी
दरअसल, सरकार की नई तैयारी है कि माननीयों को घर और गाड़ी खरीदने के लिए पहले से दोगुना कर्ज दिया जाए। नई कवायद के अमल में आने के बाद विधायक घर खरीदने के लिए 50 लाख रुपए और गाड़ी खरीदने के लिए 30 लाख तक का कर्ज ले सकेंगे। यही नहीं, जो विधायक 25 लाख और 15 लाख तक कर्ज लेंगे, उन्हें मात्र 4 फीसदी ब्याज देना होगा, बाकी ब्याज सरकार भरेगी। वहीं, जो विधायक 50 लाख और 30 लाख तक कर्ज लेंगे, उन्हें केवल 2 फीसदी ब्याज देना होगा, बाकी ब्याज का भार सरकार उठाएगी।
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कैबिनेट की मंजूरी के बाद अमल
विधायक यदि कर्ज लेते हैं तो इसे चुकाने की मियाद 5 साल से बढ़ाकर 10 साल करने की तैयारी की जा रही है। इसका सीधा असर राज्य के वित्तीय स्थिति पर पड़ेगा, लेकिन विधायकों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। अब इसी में आगे की कहानी यह है कि विधानसभा की सदस्य सुविधा समिति की ओर से सरकार को यह प्रस्ताव भेजा गया था, जिसे हाल ही में वित्त विभाग ने कुछ संशोधनों के साथ हरी झंडी दे दी है। संसदीय कार्य विभाग ने संशोधन के साथ यह फाइल विधानसभा को भेज दी है। अब यह प्रस्ताव कैबिनेट की मंजूरी के बाद लागू किया जाएगा।
अब बताएं, इन करोड़पतियों को राहत देने जा रही सरकार
- 'द सूत्र' आपको जो बताने जा रहा है, वह चिंताजनक है। हमारी पड़ताल में सामने आया कि मध्य प्रदेश में 230 में से 205 विधायक करोड़पति हैं। इनमें भी 102 विधायकों की कुल संपत्ति 5 करोड़ रुपए से ज्यादा है। 71 विधायक 2 करोड़ से 5 करोड़ की संपत्ति के आसामी हैं।
- एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में 48 विधायक 50 लाख से 2 करोड़ रुपए की संपत्ति वाले हैं। यदि दलवार औसतन संपत्ति देखें तो BJP के 163 विधायकों की औसतन संपत्ति 12.35 करोड़ रुपए है। वहीं, कांग्रेस के 66 विधायकों की औसतन संपत्ति 10.54 करोड़ है।
- एक और तथ्य यह भी है कि 2023 में चुने गए 89 फीसदी एमएलए करोड़पति हैं, जबकि 2018 के विधानसभा चुनाव में करोड़पति विधायकों की संख्या 81 फीसदी थी।
- मौजूदा विधानसभा में बीजेपी के 144 तो कांग्रेस के 61 विधायक करोड़पति हैं। वहीं, स्थिति ऐसी है कि अपने आप को सबसे गरीब विधायक बताने वाले रतलाम जिले की सैलाना विधानसभा सीट से विधायक कमलेश्वर डोडियार के पास भी कुल 18 लाख रुपए की चल अचल संपत्ति है।
मध्य प्रदेश के टॉप 20 अमीर विधायक
विधायक | सीट | कुल संपत्ति |
चेतन कश्यक | Ratlam City | 296 करोड़+ |
संजय पाठक | Vijayraghavgarh | 242 करोड़+ |
कमलनाथ | Chhindwara | 134 करोड़+ |
भूपेंद्र सिंह | Khurai | 84 करोड़+ |
सुदेश राय | Sehore | 74 करोड़+ |
दिव्यराज सिंह | Sirmour | 74 करोड़+ |
सुरेंद्र पटवा | Bhojpur | 66 करोड़+ |
जयवर्धन सिंह | Raghogarh | 64 करोड़+ |
गोलू शुक्ला | Indore-3 | 61 करोड़+ |
राजेंद्र कुमार सिंह | Amarpatan | 44 करोड़+ |
डॉ. मोहन यादव | Ujjain Dakshin | 42 करोड़+ |
हेमंत खंडेलवार | Betul | 41 करोड़+ |
अजयसिंह राहुल भैया | Churhat | 39 करोड़+ |
जयंत मालवीय | Damoh | 39 करोड़+ |
सचिन यादव | Kasrawad | 38 करोड़+ |
दिनेश राय मुनमुन | Seoni | 35 करोड़+ |
अभय मिश्रा | Semariya | 34 करोड़+ |
रजनीश हर्षवंश सिंह | Keolari | 34 करोड़+ |
राजेंद्र शुक्ला | Rewa | 30 करोड़+ |
चिंतामणि मालवीय | Alot | 29 करोड़+ |
(आंकड़े association for democratic reforms यानी एडीआर के अनुसार)
2023 के चुनाव में दी थी जानकारी
अब ये संपत्ति तो वो है, जो विधायकों ने चुनाव लड़ते वक्त 2023 में चुनाव आयोग को अपने शपथ पत्र में दी थी। तब से अब तक डेढ़ बरस बीत गया है। लिहाजा, निश्चित तौर पर इन 15 महीनों में विधायकों की संपत्ति में इजाफा हुआ होगा।
टैक्स खुद भरेंगे सीएम और मंत्री
अब बताइए ऐसे करोड़पति विधायकों की सहूलियत के लिए सरकार कर्ज की सीमा बढ़ा रही है। उसे भरने की मियाद बढ़ाई जा रही है और ब्याज की आधी राशि भी भरने की तैयारी है। इसके उलट प्रदेश के मुख्यमंत्री और मंत्री अब खुद अपना आयकर यानी इनकम टैक्स भरेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जून 2024 में इसका ऐलान किया था, तब इस फैसले की काफी सराहना की गई थी। साल 1972 में मंत्रियों का इनकम टैक्स सरकार द्वारा भरने का नियम बना था। 52 साल बाद मोहन सरकार ने इसे बदला है। कैबिनेट ने इस पर मुहर लगा दी है। लेकिन यहां इस विधानसभा सत्र के बीच विधायकों को कर्ज देने की राशि को लेकर सरकार की आलोचना हो रही है। सवाल खड़े किए जा रहे हैं।