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देश की राजनीति में परिवारवाद को लेकर जो बहस जारी है। इस बीच एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के अनुसार, देश में लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा में कुल 5204 सांसद और विधायक हैं। इनमें से 1107 यानी लगभग 21% ऐसे लोग हैं, जिनका राजनीतिक जुड़ाव किसी राजनीतिक परिवार से है। इसका मतलब यह है कि हर 5 में से एक जनप्रतिनिधि का संबंध किसी राजनीतिक परिवार से है, जो यह दर्शाता है कि भारतीय राजनीति में परिवारवाद एक बड़ा असर डाल रहा है।
वहीं, मध्य प्रदेश की राजनीति में भी परिवारवाद का असर देखने को मिल रहा है। एमपी की राजनीति को लेकर एडीआर रिपोर्ट में खुलासा हुआ है।
एमपी में कितने नेता परिवारवाद के शिकार
मध्य प्रदेश की स्थिति भी देश के अन्य हिस्सों से अलग नहीं है। राज्य के कुल 270 सांसदों और विधायकों में से 57 (21%) का राजनीतिक जुड़ाव परिवारवाद से है। इनमें से 41 पुरुष और 16 महिला जनप्रतिनिधि वंशवादी राजनीति को बढ़ावा दे रहे हैं। राज्य में कुल 230 विधायक हैं, जिनमें से 48 के परिवार राजनीति से जुड़े हुए हैं। इस आंकड़े में भाजपा के 28 और कांग्रेस के 20 विधायक शामिल हैं। इसके अलावा राज्य के सांसदों में से अधिकांश महिला सांसद वंशवाद की राजनीति को आगे बढ़ा रही हैं।
एमपी की राजनीति में परिवार का दबदबा वाली खबर पर एक नजर
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लोकसभा में 5 परिवारवादी नेता
मध्य प्रदेश में कुल 29 लोकसभा सांसद हैं, जिनमें से 5 सांसद परिवारवाद की राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं। इनमें से 4 महिला सांसद हैं। पुरुषों में एकमात्र सांसद गुना-शिवपुरी से केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं। उनका परिवार भी राजनीति में सक्रिय रहा है, उनके पिता माधवराव सिंधिया, दादी विजयाराजे सिंधिया, बुआ वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे सिंधिया भी राजनीति में योगदान दे चुके हैं।
बालाघाट की सांसद भारती पारधी के ससुर भोलाराम पारधी भी सांसद रह चुके हैं। रतलाम की सांसद अनिता चौहान के पति नागर सिंह चौहान राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। सागर की सांसद लता वानखेड़े के पति नंद किशोर वानखेड़े भाजपा में पदाधिकारी रह चुके हैं। शहडोल की सांसद हिमाद्री सिंह पूर्व सांसद दलबीर सिंह की बेटी हैं।
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राज्यसभा के 4 नेता परिवारवाद की विरासत बढा रहे आगे
मध्य प्रदेश की राज्यसभा में कुल 11 सीटें हैं, जिनमें से 8 सदस्य भाजपा के और 3 सदस्य कांग्रेस के हैं। इनमें से 4 सदस्य ऐसे हैं जो अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। इस संदर्भ में दिग्विजय सिंह का नाम सबसे प्रमुख है। दिग्विजय के पिता बलभद्र सिंह राघौगढ़ के शासक रहे थे। उनके बेटे जयवर्धन सिंह विधायक हैं, जबकि उनके भाई लक्ष्मण सिंह भी सांसद और विधायक रह चुके हैं।
मध्य प्रदेश एडीआर रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस के अशोक सिंह के पिता राजेंद्र सिंह प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे थे। भाजपा के सुमेर सिंह सोलंकी के चाचा माखन सिंह खंडवा-बड़वानी सीट से सांसद रहे थे। कविता पाटीदार के पिता भेरूलाल पाटीदार चार बार विधायक और विधानसभा उपाध्यक्ष रह चुके हैं।
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विधानसभा में क्या है हाल
बीजेपी के 163 विधायकों में से 28 विधायक ऐसे हैं जो अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। इनमें भाजपा प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, विश्वास सारंग, कृष्णा गौर, सुरेंद्र पटवा, सिद्धार्थ तिवारी, ओम प्रकाश सकलेचा, मालिनी गौड़, प्रतिभा बागरी, विक्रम सिंह, उमाकांत शर्मा, संजय पाठक, निर्मला भूरिया, दिव्यराज सिंह, अशोक रोहाणी, मनोज पटेल, महेंद्र सिंह यादव, जितेंद्र सिंह पंड्या, शिवनारायण सिंह, आशीष गोविंद शर्मा, प्रणय प्रभात पांडेय, गंगा सिंह उइके, सरला रावत, प्रतिमा बागरी, राधा सिंह, अर्चना चिटनीस, मंजू राजेंद्र दादू, गायत्री राजे पवार और नीना विक्रम वर्मा शामिल हैं।
कांग्रेस में भी 20 विधायक वंशवाद की राजनीति से जुड़े हुए हैं, जिनमें जयवर्धन सिंह, अजय सिंह, उमंग सिंघार, विक्रांत भूरिया, हेमंत कटारे, सिद्धार्थ डब्बू कुशवाह, सुरेंद्र सिंह हनी बघेल, संजय उइके, झूमा सोलंकी, सचिन यादव, अनुभा मुंजारे, नितेंद्र सिंह राठौर, रजनीश सिंह, आतिफ अकील, राजेंद्र भारती, रिषी अग्रवाल, अभिजीत शाह, विजय रेवनाथ चौरे, राजेंद्र कुमार सिंह और सेना महेश पटेल का नाम शामिल है।