मध्य प्रदेश में कर्जमाफी के बाद भी 4.5 लाख किसान डिफॉल्टर, नहीं मिल पा रहा खाद-बीज

मध्यप्रदेश में 13 हजार करोड़ से अधिक की कर्जमाफी के बावजूद 4.5 लाख किसान डिफॉल्टर हैं। इन किसानों पर 2700 करोड़ रुपए बकाया हैं। अब इन्हें खाद नहीं मिल रही है। इससे यह डिफॉल्टर किसान परेशान हो रहे हैं।

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Sanjay Dhiman
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Photograph: (the sootr)

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BHOPAL.मध्यप्रदेश के करीब पौने तीन लाख किसानों को सहकारी समितियों से खाद नहीं मिल पा रही है। यह किसान बाजार से महंगे दाम पर खाद खरीदने को मजबूर हो रहे हैं। कारण यह है कि इन किसानों पर अभी भी राज्य सरकार का लगभग 2,700 करोड़ रुपए का कर्ज बाकी है। जिला सहकारी समितियां इन्हें डिफॉल्टर मान रही हैं। इसके कारण इन्हें सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं मिल पा रहा है।

हैरानी की बात यह है कि ये वही किसान हैं जिनका कर्ज पहले माफ किया गया था और फिर ब्याज भी। इसके बाद भी ये डिफॉल्टर बने हुए हैं। इन किसानों पर सरकार का 2,700 हजार करोड़ रूपए बकाया बताया जा रहा है। 

कब-कब हुआ किसानों का कर्ज माफ

मध्यप्रदेश में करीब 64 लाख किसानों ने 2019 में लोन लिया था। कमलनाथ सरकार ने लगभग 27 लाख किसानों का कर्ज माफ किया, जिसमें कुल 11,646 करोड़ रुपए का कर्ज माफ हुआ। हालांकि, यह माफी सिर्फ 50 हजार की दो किश्तों तक सीमित रही और इसके बाद ही सरकार गिर गई।

शिवराज सरकार ने 2023 में किसानों के कर्ज पर ब्याज माफ किया। 2,123 करोड़ रुपए का ब्याज माफ किया गया। लेकिन किसानों का मूल कर्ज वैसा का वैसा बना रहा, जिसके कारण अभी भी लाखों किसान डिफॉल्टर बने हुए हैं। 

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कर्जमाफी के बाद भी परेशानी बढ़ी

इस कर्जमाफी के बावजूद, अब लगभग 4.5 लाख किसान डिफॉल्टर की श्रेणी में आ चुके हैं। इन किसानों पर कुल 2,000 करोड़ रुपए से अधिक का बकाया है। इसके कारण उन्हें सहकारी बैंकों से खाद मिलना बंद हो गया है। इस स्थिति में किसान न तो खाद ले पा रहे हैं और न ही अपनी फसल बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन करा पा रहे हैं।

राजगढ़ में सबसे ज्यादा डिफॉल्टर किसान

एक अखबार में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश के लगभग सभी जिलों में किसान डिफॉल्टर हुए हैं, लेकिन राजगढ़ में सबसे ज्यादा हैं। राजगढ़ में 43,296 किसान डिफॉल्टर हैं। बुरहानपुर में सबसे कम 8,567 किसान डिफॉल्टर मिले हैं।

सबसे अधिक बकायादार किसान खरगोन में हैं। यहां के किसानों पर 593 करोड़ रुपए देना बाकी है। इसी प्रकार रायसेन में 34,704 किसानों पर 201 करोड़ रुपए बकाया है। उज्जैन के 41,007 किसानों पर 368 करोड़ बकाया है। सागर के 40 हज़ार किसानों पर 138 करोड़ का कर्जा बताया जा रहा है।

अब परिवार के नाम पर ले रहे कर्ज-रजिस्ट्रेशन

सहकारी समितियों से डिफॉल्टर होने के बाद किसान अब परिवार के दूसरे लोगों के नाम से कर्ज ले रहे हैं। फसल बेचने के लिए भी किसान भाई-भतीजों के नाम पर रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं। इधर, सरकारी समितियां इन किसानों पर लोन चुकाने का दबाव बना रही हैं। अपेक्स बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर मनोज कुमार गुप्ता के अनुसार, कर्ज वसूली कई सालों से अटकी हुई है। इस साल भी 8 प्रतिशत वसूली होना बाकी है। रिकवरी नहीं होने के कारण ही डिफॉल्टर की कार्रवाई होती है।

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इस साल अबतक वसूली की स्थिति 

  • इस साल सरकार ने किसानों को 15,000 करोड़ रुपए का लोन दिया।

  • इसमें से 1,200 करोड़ रुपए की वसूली अभी बाकी है।

  • 2024–25 में 21,000 करोड़ रुपए का नया ऋण दिया गया, जिसमें से 1,500 करोड़ रुपए की वसूली शेष है।

  • कुल मिलाकर, 2,700 करोड़ रुपए का कर्ज (सरकार को अब भी वसूलना है।

कृषि ऋण वसूली आंकड़े 

वर्षदिया गया ऋण (₹ करोड़)बकाया (₹ करोड़)वसूली प्रतिशत
2023-2415,0001,20092%
2024-2521,0001,50089%
कुल36,0002,70090%

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