एमपी में कार्बाइड गन बैन, खरीदने-बेचने पर होगी FIR, 300+ लोगों की आंखों को पहुंचाया नुकसान

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अब मध्यप्रदेश में कार्बाइड गन बनाना और इस्तेमाल करना पूरी तरह से बैन कर दिया है। उन्होंने कहा है कि जिन लोगों की आंखें या शरीर को नुकसान हुआ है, उनके इलाज के लिए मुख्यमंत्री फंड से मदद दी जाएगी।

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Sanjay Dhiman
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BHOPAL. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कार्बाइड गन से हुए हादसों को लेकर बड़ा और सख्त फैसला लिया है। अब पूरे मध्यप्रदेश में इस गन को बनाना या इस्तेमाल करना पूरी तरह से बैन कर दिया गया है। उन्होंने साफ कहा है कि अगर कोई नियम तोड़ेगा, तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई होगी। 

शुक्रवार को मुख्यमंत्री अस्पताल पहुंचे और घायल बच्चों व मरीजों से मुलाकात की। निर्देशों के बाद मुख्य सचिव अनुराग जैन ने मंत्रालय में एक हाई लेवल मीटिंग कर सभी जिलों के लिए गाइड लाइन जारी की है।

इधर इस कार्बाइड गन से प्रदेश में अब तक 300 से ज्यादा लोग घायल हो गए। घायलों में ज्यादातर बच्चें है। कई बच्चों की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, सिर्फ भोपाल में ही 23 बच्चों को आंखों और चेहरे पर गंभीर चोटें आई हैं।

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कार्बाइड गन का कहर, 300 से ज्यादा बच्चे घायल

इस साल दिवाली पर मध्य प्रदेश में देसी कार्बाइड गन ने पूरे प्रदेश में जमकर तबाही मचाई। यह कार्बाइड गन भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और विदिशा जैसे शहरों की सड़कों पर खुलकर बेची गई। पटाखा बताकर बेची गई गन से 300 से ज्यादा बच्चे घायल हुए। इनमें से कई बच्चों की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई। 

सोशल मीडिया पर इसे "ग्रीन पटाखा" के नाम से दिखाया गया था। यह Instagram Reels और YouTube पर वायरल हो गया। बच्चों और उनके पैरेंटस ने इसे सिर्फ एक खिलौना समझ कर खरीद लिया। लेकिन यह खिलौना नहीं, बल्कि एक खतरनाक विस्फोटक साबित हुआ। सबसे ज्यादा मरीज भोपाल, ग्वालियर जैसे शहरों में सामने आऐं है। 

कार्बाइड गन टोटल बैन-जीरो टॉलरेंस नीति

सीएम मोहन यादव ने कहा कि राज्य में कार्बाइड गन का निर्माण, बिक्री और उपयोग किसी भी रूप में नहीं होगा। कार्बाइड गन को लेकर प्रदेश में जीरो टॉलरेंस पॉलिसी अपनाई जा रही है। अब जो भी व्यक्ति इस उपकरण का निर्माण या बिक्री करते पाए जाएंगे, उनके खिलाफ तत्काल एफआईआर (FIR) दर्ज की जाएगी।

सीएम के मुख्य निर्देश:

  1. सभी जिलों में धारा 163 बीएनएसएस के अंतर्गत प्रतिबंध आदेश लागू किया जाएगा।

  2. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और ई-कॉमर्स वेबसाइटों (E-commerce Websites) पर भी निगरानी रखी जाएगी।

  3. साइबर शाखा (Cyber Unit) को अवैध विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। 

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कार्बाइड गन पर सीएस अनुराग जैन का एक्शन  

मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव के सख्त आदेश के बाद, मुख्य सचिव (Chief Secretary) अनुराग जैन ने भी इस मामले में तुरंत एक्शन लिया है। उन्होंने मंत्रालय में एक मीटिंग करके अधिकारियों को कार्बाइड गन के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने साफ किया कि कार्बाइड गन कोई खिलौना नहीं, बल्कि पूरी तरह से प्रतिबंधित (Banned) उपकरण है। 

उन्होंने कहा कि कार्बाइड गन प्रतिबंधित श्रेणी का उपकरण है। इसके खिलाफ कार्रवाई शस्त्र अधिनियम 1959, विस्फोटक अधिनियम 1884 तथा विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 1908 के तहत की जाएगी। 

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कार्बाइड गन पर अब जिलों में तुरंत लगेगी रोक

मुख्यमंत्री के आदेश के बाद, मुख्य सचिव अनुराग जैन ने सभी जिलों को कार्बाइड गन पर तुरंत रोक लगाने के आदेश दिए है।

क्या हैं नए निर्देश?

  1. हर जिले में तत्काल प्रतिबंध: सभी जिलों को कहा गया है कि वे तुरंत आदेश जारी करके इस गन को बनाने, बेचने, रखने और इस्तेमाल करने पर पूरी तरह रोक लगा दें।

  2. बिक्री पर सीधी FIR: जो भी व्यक्ति इसे बनाते या बेचते पकड़ा जाएगा, उस पर तुरंत केस (FIR) दर्ज होगा और सख्त सजा दी जाएगी।

  3. ऑनलाइन निगरानी: साइबर पुलिस को भी एक्टिव कर दिया गया है। ई-कॉमर्स वेबसाइटों और सोशल मीडिया पर अगर कोई कार्बाइड गन या उसके पार्ट्स बेच रहा है, तो उस पर भी कड़ी नजर रखी जाएगी। 

पुलिस मुख्यालय की बड़ी चेतावनी: कार्बाइड गन कोई खिलौना नहीं

मुख्यमंत्री के सख्त आदेश के बाद, पुलिस मुख्यालय (PHQ) ने भी सभी जिलों को एक कड़े निर्देश दिए है। पुलिस ने साफ कर दिया है कि कार्बाइड गन को अब बिल्कुल भी हल्के में नहीं लिया जाएगा।

कार्बाइड गन क्यों है खतरनाक?

पुलिस ने अपने सर्कुलर में बताया है कि यह गन कोई साधारण पटाखा नहीं है। यह एसिटिलीन गैस के दबाव से चलने वाला एक विस्फोटक (बम) उपकरण है। यह गन इस्तेमाल करने वाले और आसपास खड़े लोगों, दोनों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।

अब लगेगा एक्सप्लोसिव (विस्फोटक) केस:

पुलिस ने स्पष्ट किया है कि कार्बाइड गन के इस्तेमाल या बिक्री पर अब सीधे विस्फोटक अधिनियम (Explosive Act) और शस्त्र अधिनियम (Arms Act) की गंभीर धाराएं लगेंगी।

सजा का प्रावधान:

इन सख्त धाराओं के तहत अगर कोई दोषी पाया जाता है, तो उसे कठोर सजा और भारी जुर्माना भरना होगा। पुलिस मुख्यालय ने साफ संकेत दे दिया है कि इस खतरनाक उपकरण को लेकर अब जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाएगी।

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