मध्य प्रदेश को सोया स्टेट का ताज, अब जाकर होगी समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीदी, 25 सितंबर से किसान करवा सकेंगे पंजीयन

मध्य प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सोयाबीन नहीं खरीदा जाता था। इसके बाद द सूत्र ने यह मामला प्रमुखता से उठाया। सीएम डॉ. मोहन की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने एमएसपी पर सोयाबीन खरीदने का फैसला किया है...

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Ravi Kant Dixit
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समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीदी
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मोहन यादव सरकार 25 अक्टूबर से समर्थन मूल्य पर सोयाबीन खरीदेगी। किसानों को प्रति क्विंटल 4892 रुपए मिलेंगे। मार्कफेड नोडल एजेंसी रहेगी। इसके लिए 25 सितंबर से 15 अक्टूबर तक ऑनलाइन पंजीयन होंगे। खरीदी 31 दिसंबर तक चलेगी। यह पहला मौका होगा, जब एमएसपी पर सोयाबीन की खरीदी होगी। इसका फायदा 58 लाख हेक्टेयर में बुआई करने वाले किसानों को मिलेगा।

द सूत्र ने प्रमुखता से उठाया था सोयाबीन का मुद्दा 

मध्य प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सोयाबीन नहीं खरीदा जाता था। इसके बाद द सूत्र ने यह मामला प्रमुखता से उठाया। सीएम डॉ.मोहन की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने एमएसपी पर सोयाबीन खरीदने का फैसला किया था। इसके बाद केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया। अगले ही दिन केंद्र ने मध्यप्रदेश को एमएसपी पर सोयाबीन खरीदने की मंजूरी दे दी थी।

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पहले किसानों को कराना होगा पंजीयन 

अब प्रदेश सरकार ने पूरा शेड्यूल जारी कर दिया है। इसके मुताबिक 25 अक्टूबर से एमएसपी पर सोयाबीन की खरीदी शुरू होगी। पूरा सिस्टम गेहूं खरीदी की तरह ही होगा। पहले किसानों को पंजीयन कराना होगा। यह प्रक्रिया 25 सितंबर से शुरू होगी और 15 अक्टूबर तक चलेगी। इसके बाद 25 अक्टूबर से 31 दिसंबर तक किसानों से सोयाबीन खरीदा जाएगा।

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42 फीसदी उत्पादन मध्यप्रदेश में 

देश के कई राज्यों में सरकार एमएसपी पर सोयाबीन खरीदती है, पर मध्यप्रदेश में ऐसा नहीं था। महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों ने समर्थन मूल्य पर सोयाबीन खरीदी की मांग की थी। इसके बाद केंद्र ने उन्हें अनुमति दे दी। अब मध्यप्रदेश के किसानों को भी सरकार ने बड़ी सौगात दी है। आपको बता दें कि मध्यप्रदेश के हिस्से सोया स्टेट का ताज भी है। सोयाबीन उत्पादन में राज्य की हिस्सेदारी करीब 42 प्रतिशत है। मतलब, देश में जितना सोयाबीन पैदा होता है, उसमें आधे से ज्यादा की भरपाई मध्यप्रदेश के किसान करते हैं।

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6 लाख हेक्टेयर घट गया रकबा

इधर, आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले पांच सालों में सोयाबीन की बोवनी का रकबा घटकर 53 लाख हेक्टेयर पर आ गया है, 2020 में यह 59 लाख हेक्टेयर था। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह सोयाबीन के वाजिब दाम न मिलना ही था। हालांकि अब उम्मीद जताई जा रही है कि एमएसपी पर सोयाबीन की खरीदी होने से इसके दामों में इजाफा होगा। बाजार में भी किसानों को अच्छी कीमतें मिलेंगी।

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