मप्र सूचना आयोग में आयुक्तों के पद खाली, कर्मचारी भी आधे, 20 हजार अपीलों को निराकरण का इंतजार

सरकारी कामकाज में पारदर्शिता के लिए बना सूचना का अधिकार अधिनियम मध्य प्रदेश में अब भी कमजोरी का शिकार है। आयोग में सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों के आधे से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। इसका असर आयोग की कार्यशैली पर नजर आ रहा है।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. सरकारी कामकाज में पारदर्शिता के लिए बना सूचना का अधिकार अधिनियम मध्य प्रदेश में अब भी कमजोरी का शिकार है। प्रदेश में आयोग के 10 पदों पर सरकार अब तक एक मुख्य सूचना आयुक्त और तीन सूचना आयुक्तों की नियुक्ति ही कर सकी है। यानी अब भी आयोग में सूचना आयुक्तों के छह पद रिक्त हैं। आयोग में सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों के आधे से ज्यादा पद खाली पड़े हैं।
इसका असर आयोग की कार्यशैली पर नजर आ रहा है। काम की रफ्तार धीमी होने से आयोग के पास लंबित अपीलों की संख्या 20,800 तक पहुंच गई है। जबकि विभागों से संबंधित 1400 शिकायतों का भी अंबार लगा हुआ है। अपीलों की सुनवाई नियमित न होने से जहां आयोग पर दबाव बढ़ रहा है वहीं अपनी अपीलों को लेकर लोगों को भी भटकना पड़ रहा है।  

नियुक्ति में सरकार का हाथ तंग

सूचना का अधिकार अधिनियम साल 2005 में लागू होने के बाद अब इसे 20 साल हो चुके हैं। सरकार के विभाग और अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के लिए यह एक्ट लोकतांत्रिक व्यवस्था में बेहद अहम कानून है। यह कानून हर विभाग और सरकारी अधिकारी को जनता को जानकारी उपलब्ध कराना तय करता है। इस अधिनियम के तहत शासकीय व्यवस्था संबंधित लोकसेवकों को देना जरूरी है, लेकिन सरकार इस कानून का पालन कराने में पिछड़ रही है।
प्रदेश में राज्य सूचना आयोग की हालत दूसरे विभाग या निगम-मंडलों जैसी हो गई है। आयोग में सूचना आयुक्तों के साथ ही कर्मचारियों की नियुक्ति के मामले में सरकार का हाथ तंग नजर आ रहा है। मार्च 2025 से पहले आयोग में सवा पांच माह तक मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के सभी 10 पद खाली रहे थे। 

कर्मचारियों के 55 में से 30 पद खाली

2024 की स्थिति में राज्य सूचना आयोग में काम करने वाले कर्मचारियों की खासी कमी है। आयोग में उप सचिव, अवर सचिव, निज सचिव, विधि अधिकारी और एसडीओ के अलावा निज सहायक, कम्प्युटर ऑपरेटर, प्रोग्रामर, लिपिक, स्टेनो टाइपिस्ट के 55 पद स्वीकृत हैं।
इनमें से 30 खाली हैं। जिन 25 पदों पर कर्मचारी कार्यरत हैं उनमें से 13 आउटसोर्स हैं। आयोग में जो अपील और शिकायतें पहुंच रही हैं उनके निराकरण के लिए 55 की जगह 25 कर्मचारी ही काम कर रहे हैं। यानी आयोग में कर्मचारियों की तैनाती स्वीकृति के मुकाबले आधी भी नहीं है। 
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आयोग में सुनवाई की गति धीमी

सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत अपीलों का आंकड़ा मध्य प्रदेश में सूचना आयोग की हालत बयां करता नजर आता है। राज्य आयोग में साल 2025 तक 20,847 अपील लंबित हैं। वहीं 1412 शिकायतों की भी सुनवाई नहीं हो पा रही है। अपीलों का यह पहाड़ अचानक ही खड़ा नहीं हो गया है बल्कि हर साल सुनवाई अटकने की वजह से इसमें इजाफा हो रहा है।
साल 2020 में आयोग में अपीलों की संख्या 5744 थी। इसके बाद साल 2021 में आयोग में 7624, साल 2022 में 7647, साल 2023 में 8354, साल 2024 में 6874 और 2025 में जनवरी से अक्टूबर की शुरूआत तक 7731 अपीलें पहुंची हैं। यानी अपीलों की संख्या 41,774 थी। इनमें से साल-दर साल आयोग में सुनवाई के बाद अब तक आधी यानी 20,927 अपीलों का निराकरण ही कर पाया है।  
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भोपाल से हो रहीं ज्यादा अपील

मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग अपीलों के बोझ से बेहाल है। अपील और शिकायतों का आंकड़ा उछल रहा है वहीं आयुक्तों के अलावा उनके सहयोगी कर्मचारियों की संख्या घट रही है। आयोग में अपील करने के मामले में भोपाल संभाग प्रदेश में पहले पायदान पर है। दूसरा नंबर ग्वालियर-चंबल संभाग का है। भोपाल संभाग की 4848 आरटीआई अपील राज्य सूचना आयोग के पास लंबित हैं। वहीं ग्वालियर- चंबल संभाग के जिलों की  3656 अपीलों को निराकरण का इंतजार है। 
जबलपुर संभाग की 2876, रीवा संभाग की 2419, इंदौर संभाग की 2383, सागर की 1907, उज्जैन संभाग की 1176, नर्मदापुरम की 801 और शहडोल संभाग की 781अपील लंबित हैं। वहीं सभी 10 संभाग से पहुंची 1412 शिकायतें समाधान का इंतजार कर रही हैं। वहीं अपनी अपीलों के निराकरण के लिए आमजन से लेकर आरटीआई एक्टिविस्ट भी चक्कर काट रहे हैं।
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सूचना आयुक्तों के 6 पद खाली 

मध्य प्रदेश में मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर सेवानिवृत्त डीजी आईपीएस विजय यादव की नियुक्ति की गई है। वहीं सूचना आयुक्त के तीन पदों पर डॉ.उमाशंकर पचौरी, डॉ.वंदना गांधी और सेवानिवृत्त जज ओमकार नाथ कार्यरत हैं। यानी राज्य आयोग में सूचना आयुक्तों के 9 पद हैं जिनमें से 6 अभी भी खाली हैं।
सूचना आयुक्त के पद पर नियुक्ति के लिए आए 185 में से सरकार केवल 3 का ही चयन कर पाई है। इन नियुक्तियों को छह माह बीत चुके हैं और अब भी 6 पद सूचना आयुक्तों की नियुक्ति की प्रत्याशा लगाए हैं। सूचना आयुक्तों की नियुक्ति का मामला हाईकोर्ट भी पहुंचा था। 
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अपने संभाग के सूचना आयुक्त को जानिए 

                                                                     संभाग                                   जिले
विजय यादव, राज्य मुख्य सूचना आयुक्त :      भोपाल संभाग :         भोपाल, विदिशा, रायसेन, सीहोर, राजगढ़
                                                                  ग्वालियर-चंबल:        ग्वालियर, गुना, शिवपुरी, दतिया,अशोकनगर,  मुरैना, भिंड, श्योपुर   
डॉ. वंदना गांधी, राज्य सूचना आयुक्त :           नमर्दापुरम :              बैतूल, हरदा, नर्मदापुरम
                                                                  सागर :                    सागर, छतरपुर, दमोह, पन्ना, टीकमगढ़, निवाड़ी
डॉ. उमाशंकर पचौरी, राज्य सूचना आयुक्त :   इंदौर :                     इंदौर, खंडवा, खरगोन, झाबुआ, अलीराजपुर,  बुरहानपुर, बड़वानी, धार
                                                                 उज्जैन :                    आगर मालवा, उज्जैन, देवास, नीमच, मंदसौर, रतलाम, शाजापुर
                                                                 शहडोल :                  अनूपपुर, उमरिया, शहडोल
ओंकार नाथ, राज्य सूचना आयुक्त :             जबलपुर :                  कटनी, छिंदवाड़ा, पांढुर्णा, जबलपुर, नरसिंहपुर, बालाघाट, मंडला, सिवनी, डिंडौरी
                                                                 रीवा :                       रीवा, सतना, सिंगरौली, सीधी, मऊगंज, मैहर
भोपाल सूचना का अधिकार ग्वालियर-चंबल संभाग आरटीआई अधिनियम मुख्य सूचना आयुक्त आउटसोर्स एक्टिविस्ट मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग
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