एमपी के इस अस्पताल में लापरवाही, डॉक्टर ने मोबाइल टॉर्च की रोशनी में किया इलाज

अस्पताल में उपचार के दौरान बिजली गुल थी, जिससे अस्पताल के भीतर अंधेरा छा गया था। घायलों को उपचार देने के लिए डॉक्टर को मोबाइल की टॉर्च की रौशनी का सहारा लेना पड़ा।

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Sandeep Kumar
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मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के अंबाह कस्बे में एक दर्दनाक हादसा घटित हुआ। एक मकान का छज्जा अचानक गिर जाने से उसके नीचे बैठे 6 लोग घायल हो गए। इस हादसे में तीन बच्चे भी घायल हो गए और उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अंबाह में उपचार के लिए भर्ती किया गया। इस घटना के बाद अस्पताल में जो नजारा देखा गया, वह बेहद चौंकाने वाला था।

मोबाइल की टॉर्च से इलाज

अस्पताल में उपचार के दौरान बिजली गुल थी, जिससे अस्पताल के भीतर अंधेरा छा गया था। घायलों को उपचार देने के लिए डॉक्टर को मोबाइल की टॉर्च की रौशनी का सहारा लेना पड़ा। परिजनों ने भी बच्चों का इलाज करने में मदद की और टॉर्च की रोशनी से उनकी चोटों का इलाज किया। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और लोगों ने इसे स्वास्थ्य सेवा की लापरवाही के रूप में देखा।

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मंत्री करण सिंह वर्मा की जिम्मेदारी पर सवाल

मुरैना जिले के प्रभारी मंत्री करण सिंह वर्मा इस घटनाक्रम पर सवालों के घेरे में हैं। हाल ही में स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार के कई दावे किए गए थे, लेकिन इस घटना ने उनकी कथित उपलब्धियों की पोल खोल दी। यह साफ हो गया है कि स्वास्थ्य सेवाएं अत्यधिक दयनीय स्थिति में हैं और वहां की व्यवस्थाएं पूरी तरह से विफल हो चुकी हैं।

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अस्पताल में जनरेटर तो है, लेकिन खराब

अंबाह के उप स्वास्थ्य केंद्र में जनरेटर की व्यवस्था तो है, लेकिन वह खराब पड़ा हुआ है।जिसके कारण बिजली की कमी से डॉक्टरों को टॉर्च से काम करना पड़ा। इस जनरेटर की खराबी ने अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं की असलियत को उजागर किया है। सरकार द्वारा लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद, इस अस्पताल की अव्यवस्थाएं किसी से छिपी नहीं हैं।

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मीडिया से बचने की कोशिश की

मीडिया ने इस मुद्दे पर जिला स्वास्थ्य अधिकारी पद्मेश उपाध्याय से सवाल करने की कोशिश की, लेकिन वे कैमरों से बचते नजर आए। अधिकारी ने इस गंभीर लापरवाही पर कोई जिम्मेदार बयान देने से मना किया, जिससे सवाल उठने लगे कि प्रशासन इस मामले में कितनी सख्ती से कार्रवाई करेगा।

क्या होगी कार्रवाई?

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस घोर लापरवाही पर प्रशासन कौन सी कार्रवाई करेगा। क्या जिम्मेदारों को सख्त सजा मिलेगी, या फिर इस अस्पताल की इसी तरह की अव्यवस्था जारी रहेगी? क्या सरकार अपनी योजनाओं को सही तरीके से लागू कर पाएगी, या अधिकारी उनके नाम पर केवल कागजों में ही काम करते रहेंगे?

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