TET अनिवार्य: MP सरकार की चुप्पी, लेकिन UP सरकार का बड़ा कदम, टीईटी के खिलाफ जाएगी सुप्रीम कोर्ट

उत्तर प्रदेश सरकार ने TET अनिवार्यता के खिलाफ प्रदर्शन के बीच सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। अब माना जा रहा है कि जल्द एमपी सरकार भी इस मामले में बड़ा फैसला ले सकती है।

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Dablu Kumar
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सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितंबर को आदेश दिया कि सभी शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास करना जरूरी होगा। उत्तर प्रदेश में लगभग 2 लाख और मध्य प्रदेश में लगभग 3 लाख शिक्षक इस नियम से प्रभावित हैं, जिन्होंने अभी तक टीईटी परीक्षा पास नहीं की है। इस बीच TET की अनिवार्यता के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन के बीच यूपी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है।

इस फैसले से टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों को राहत मिलेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेसिक शिक्षा विभाग को सुप्रीम कोर्ट का रुख करने का निर्देश दिया है। यह जानकारी मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से सामने आई है। 

मुख्यमंत्री कार्यालय के आधिकारिक सोशल मीडिया एक्स पर लिखा- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेसिक शिक्षा विभाग के सेवारत शिक्षकों के लिए TET की अनिवार्यता पर उच्चतम न्यायालय के आदेश का रिवीजन दाखिल करने का विभाग को निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि प्रदेश के शिक्षक अनुभवी हैं और समय-समय पर सरकार द्वारा उन्हें प्रशिक्षण प्रदान किया जाता रहा है। ऐसे में उनकी योग्यता और सेवा के वर्षों को नजरअंदाज करना उचित नहीं है।

मध्य प्रदेश में भी जारी है शिक्षकों का विरोध

इधर, मध्य प्रदेश में भी शिक्षक लगातार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध कर रहे हैं। साथ ही, अब यूपी सरकार के फैसले को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई। माना जा रहा है कि मध्यप्रदेश सरकार भी जल्द यूपी सरकार की तरह बड़ा फैसला ले सकती है और सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने टीईटी पास करने का आदेश दिया है। जिसके चलते मध्य प्रदेश में लगभग 3 लाख शिक्षकों की योग्यता पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। 

सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितंबर को आदेश दिया कि सभी शिक्षकों को TET पास करना जरूरी होगा। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने यह निर्देश दिया। जिन शिक्षकों की नौकरी में 5 साल से ज्यादा वक्त बचा है, उन्हें TET क्वालिफाई करना होगा। ऐसा न करने पर उन्हें इस्तीफा देना होगा या कंपल्सरी रिटायरमेंट लेना होगा। 

5 साल से कम सेवा वाले शिक्षकों को राहत

कोर्ट की बेंच ने कहा कि जिन शिक्षकों की सेवा अवधि 5 साल से कम बची है, उन्हें TET पास करने की आवश्यकता नहीं होगी। वे रिटायरमेंट तक अपनी नौकरी पर बने रह सकते हैं। हालांकि, प्रमोशन चाहने वाले शिक्षकों के लिए TET पास करना अनिवार्य होगा।

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टीचर्स के लिए टीईटी अनिवार्य

👉 सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितंबर को आदेश दिया कि सभी शिक्षकों को TET पास करना अनिवार्य होगा। जिन शिक्षकों की सेवा में 5 साल से ज्यादा का समय बचा है, उन्हें TET क्वालिफाई करना होगा।

👉जिन शिक्षकों की सेवा में 5 साल से कम समय बचा है। उन्हें TET पास करने की आवश्यकता नहीं होगी और वे रिटायरमेंट तक अपनी नौकरी पर बने रह सकते हैं। 

👉 2009 से पहले नियुक्त हुए शिक्षकों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 2 साल का समय दिया है। ऐसे शिक्षकों को 2 साल के भीतर TET पास करना होगा। 

👉सुप्रीम कोर्ट ने अल्पसंख्यक दर्जे वाले शैक्षणिक संस्थानों को फिलहाल इस आदेश से राहत दी है। इस आदेश को अल्पसंख्यक स्कूलों पर लागू नहीं किया जाएगा। 

👉 यह आदेश शिक्षकों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उनके करियर की दिशा को प्रभावित करेगा। TET पास न करने की स्थिति में शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षकों को इस्तीफा देना या अनिवार्य रिटायरमेंट लेना होगा।

पुराने शिक्षकों को 2 साल की मोहलत

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि जो शिक्षक 2009 से पहले नियुक्त हुए हैं और जिनके पास 5 साल से अधिक सेवा बची है, उन्हें 2 साल के भीतर TET पास करना होगा। ऐसा न करने पर उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। ऐसे शिक्षकों को केवल टर्मिनल बेनिफिट्स मिलेंगे।

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अल्पसंख्यक संस्थानों को राहत

अल्पसंख्यक दर्जे वाले शैक्षणिक संस्थानों को फिलहाल इस आदेश से राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस आदेश को फिलहाल अल्पसंख्यक स्कूलों पर लागू नहीं किया जाएगा। इस पर अंतिम फैसला तब तक नहीं लिया जाएगा जब तक कोर्ट की बड़ी बेंच आरटीई एक्ट के अल्पसंख्यक स्कूलों पर लागू होने के सवाल पर अंतिम निर्णय नहीं देती।

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