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चौसठ योगिनी मंदिर मध्य प्रदेश।
मध्य प्रदेश की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को वैश्विक पहचान मिल रही है। यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) ने प्रदेश की 4 और ऐतिहासिक धरोहरों को सीरियल नॉमिनेशन के तहत टेंटेटिव सूची में शामिल किया है। इनमें सम्राट अशोक के शिलालेख, चौसठ योगिनी मंदिर, गुप्तकालीन मंदिर और बुंदेला शासकों के महल और किले शामिल हैं। अब मध्य प्रदेश में यूनेस्को द्वारा घोषित धरोहर की संख्या बढ़कर 18 हो गई है। इस उपलब्धि पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रदेशवासियों को बधाई दी और इसे एमपी के पर्यटन और संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया।
टेंटेटिव सूची में शामिल हुईं 4 नई धरोहरें
मध्य प्रदेश की 4 और ऐतिहासिक धरोहर के यूनेस्को (UNESCO) की टेंटेटिव सूची में शामिल होने पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खुशी जताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में मध्य प्रदेश की समृद्ध ऐतिहासिक धरोहरों को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल हुई है। यूनेस्को ने एमपी की 4 ऐतिहासिक धरोहरों को सीरियल नॉमिनेशन के तहत टेंटेटिव लिस्ट में शामिल किया है, जो प्रदेश के लिए अत्यंत गर्व और हर्ष का विषय है। जो प्रमाणित करता है कि मध्य प्रदेश अपनी सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के कारण देश में विशेष स्थान रखता है। ये धरोहरें भारत की समृद्ध संस्कृति और वास्तुकला का प्रमाण हैं।
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एमपी में अब यूनेस्को द्वारा घोषित 18 धरोहर
मध्य प्रदेश में अब यूनेस्को द्वारा घोषित धरोहरों की संख्या बढ़कर 18 हो गई हैं। पिछले साल यूनेस्को ने प्रदेश की 6 धरोहर ग्वालियर किला, बुरहानपुर का खूनी भंडारा, चंबल घाटी के शैल कला स्थल, भोजपुर का भोजेश्वर महादेव मंदिर, मंडला स्थित रामनगर के गोंड स्मारक और धमनार का ऐतिहासिक समूह को टेंटेटिव लिस्ट में शामिल किया था। जिसमें 15 टेंटेटिव सूची में और साथ ही 3 स्थाई है।
यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में प्रदेश के खजुराहो के मंदिर समूह, भीमबेटका की गुफाएं एवं सांची स्तूप यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल स्थाई सूची में शामिल है। वहीं यूनेस्को की टेंटेटिव सूची में मांडू में स्मारकों का समूह, ओरछा का ऐतिहासिक समूह, नर्मदा घाटी में भेड़ाघाट-लमेटाघाट, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और चंदेरी भी शामिल है। यह उपलब्धि हमारी धरोहरों के संरक्षण और संवर्धन के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
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मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को दी बधाई
इस महत्वपूर्ण अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एमपी टूरिज्म बोर्ड, संस्कृति विभाग, पुरातत्वविदों, इतिहास प्रेमियो, संस्थाओं के साथ ही प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई दी है। सीएम ने कहा कि यह उपलब्धि मध्य प्रदेश को विश्व पर्यटन मानचित्र पर एक नए आयाम तक पहुंचाएगी और हमारे गौरवशाली अतीत को नई पहचान दिलाएगी। मुख्यमंत्री प्रदेशवासियों से आह्वान कि हम सब मिलकर अपनी धरोहरों के संरक्षण के लिए संकल्पबद्ध रहें।
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जानों प्रदेश की 4 धरोहर क्यों लिस्ट में शामिल की गई?
1. सम्राट अशोक के शिलालेख
मौर्य काल के दौरान बनाए गए सम्राट अशोक के शिलालेख भारत की प्राचीनतम लिखित धरोहरों में से एक हैं। इन शिला और स्तंभ लेखों पर सम्राट अशोक द्वारा बौद्ध धर्म, शासन और नैतिकता के जुड़े संदेश अंकित हैं, जो 2200 से भी ज्यादा सालों से संरक्षित हैं। प्रदेश में स्थित प्रमुख शिलालेखों में सांची स्तंभ अभिलेख, जबलपुर का रूपनाथ लघु शिलालेख, दतिया का गुज्जरा लघु शिलालेख और सीहोर का पानगुरारिया लघु शिलालेख शामिल हैं। ये शिलालेख बौद्ध धर्म, नैतिकता और शासन के संदेशों को दर्शाते हैं।
2. चौसठ योगिनी मंदिर
चौसठ योगिनी मंदिर मध्य प्रदेश की अनूठी तांत्रिक स्थापत्य कला को दर्शाते हैं। 9वीं से 12वीं शताब्दी के बीच निर्मित इन मंदिरों की गोलाकार संरचनाएं और जटिल शिल्पकला इन्हें अद्वितीय बनाती हैं। खजुराहो, मितावली (मुरैना), जबलपुर, बदोह (जबलपुर), हिंगलाजगढ़ (मंदसौर), शहडोल और नरेसर (मुरैना) के चौसठ योगिनी मंदिर इस सूची में शामिल किए गए हैं।
3. उत्तर भारत के गुप्तकालीन मंदिर
गुप्तकाल को भारतीय मंदिर वास्तुकला का स्वर्ण युग कहा जाता है। सांची, उदयगिरि (विदिशा), नचना (पन्ना), तिगवा (कटनी), भूमरा (सतना), सकोर (दमोह), देवरी (सागर) और पवाया (ग्वालियर) में स्थित मंदिर गुप्तकालीन वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। यूनेस्को ने इन मंदिरों को भारतीय स्थापत्य कला के महत्वपूर्ण चरण के रूप में मान्यता दी है।
4. बुंदेला काल के किले और महल
बुंदेला शासनकाल की स्थापत्य कला और सैन्य कुशलता के प्रतीक गढ़कुंडार किला, राजा महल, जहाँगीर महल, दतिया महल और धुबेला महल को यूनेस्को की टेंटेटिव सूची में शामिल किया गया है। ये महल राजपूत और मुगल स्थापत्य कला के मिश्रण का अनूठा उदाहरण हैं।
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