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JABALPUR.मध्यप्रदेश के मंडला जिले से भ्रष्टाचार का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। EOW जबलपुर ने नगर परिषद निवास और बिछिया क्षेत्र के तत्कालीन सीएमओ और अधिकारियों के साथ एक निजी संस्था के खिलाफ करोड़ों रुपए के गबन का केस दर्ज किया है। जांच में खुलासा हुआ है कि परिषद की करोड़ों की राशि को बैंक एफडी के नाम पर निजी खातों में ट्रांसफर किया गया और ब्याज में मिली लाखों की रकम हड़प ली गई। इस घोटाले में परिषद के तत्कालीन जिम्मेदार अफसरों और निजी संस्था की मिलीभगत सामने आई है।
3 करोड़ 80 लाख की राशि निजी संस्था में ट्रांसफर
ईओडब्ल्यू की जांच के अनुसार नगर परिषद निवास के तत्कालीन प्रभारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी राजेश मार्को और प्रभारी लेखापाल शिव कुमार झारिया ने परिषद की सरकारी राशि से 3 करोड़ 80 लाख रुपए की फिक्स डिपॉजिट (एफडी) कराई। इसके लिए आरोपी शिवकुमार झरिया के द्वारा बनाई गई नोट शीट को राजेश मार्को ने अप्रूव किया और यह एफडी राष्ट्रीयकृत बैंक की जगह एक निजी संस्था शिवांशी इंडिया निधि लिमिटेड मंडला के एक्सिस बैंक खाते में करा दी गई। इस 3.80 करोड़ की राशि पर मिलने वाला ब्याज 15,50,892 रुपए था।
जांच में पाया गया कि यह ब्याज परिषद के खाते में जमा करने की बजाय अधिकारियों और निजी संस्था के कब्जे में ही रहा। यानी मूल राशि का इस्तेमाल कर उसका ब्याज हड़प लिया गया। नियमों के मुताबिक, सरकारी विभाग की राशि केवल राष्ट्रीयकृत बैंकों में ही जमा हो सकती है, लेकिन आरोपियों ने जानबूझकर नियमों को तोड़ा। इस तरह जनता के विकास कार्यों के लिए आई निधि को सीधे निजी फायदे के लिए इस्तेमाल किया गया।
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दूसरा मामला: नीलामी की रकम से खेल
जांच में यह भी सामने आया कि परिषद द्वारा की गई नीलामी की 1,73,82,448 रुपए की राशि का भी दुरुपयोग किया गया। इस रकम को भी फर्जी नोटशीट जारी कर शिवांशी इंडिया निधि लिमिटेड बिछिया के axis बैंक के खाते में डाल दिया गया। इस मामले में कुल दो एफडी कराई गई थी। यह पूरा फर्जीवाड़ा प्रभारी लेखापाल शिव कुमार झारिया, राजेश मार्को और परिषद के ग्रेड-3 कर्मचारी दीपक राज ने मिलकर किया। इन दोनों FD की रकम पर ब्याज के रूप में 44,023 रुपए मिले लेकिन यह रकम कभी परिषद को वापस नहीं की गई।
रिजर्व बैंक के नियमों की हुई अनदेखी
आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ की जांच रिपोर्ट ने साफ किया कि यह पूरा खेल आरबीआई के नियमों का खुला उल्लंघन है। रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों के अनुसार, सरकारी राशि केवल अधिकृत बैंकों में ही जमा की जा सकती है। बावजूद इसके, नगर परिषद की रकम को एक निजी संस्था के खाते में डाला गया। जांच में यह भी सामने आया कि इस शिवांशी इंडिया निधि लिमिटेड ने इन पैसों का इस्तेमाल बड़ी मात्रा में ऋण वितरण और ऊंची ब्याज दर पर कारोबार करने में किया। यानी परिषद की राशि का सीधे निजी धंधे में दुरुपयोग हुआ।
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जनता की गाढ़ी कमाई पर डाका
गौरतलब है कि जनपद परिषद को मिलने वाली यह राशि सरकार की योजनाओं और ग्रामीण विकास के कार्यों के लिए होती है। लेकिन भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों और निजी संस्था ने मिलकर इस पैसे को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया। करोड़ों की इस रकम से मिलने वाले ब्याज को हजम कर आरोपियों ने न केवल सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया है बल्कि ग्रामीण जनता की उम्मीदों और विकास कार्यों को भी गहरी चोट पहुंची।
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तीन आरोपियों पर दर्ज हुई FIR
ईओडब्ल्यू ने इस मामले में गंभीर अपराध की धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। आरोपी राजेश मार्को सहित दीपक रजक और शिव कुमार झारिया पर धारा 409 भा.दं.सं. (आपराधिक विश्वासघात),धारा 120-बी भा.दं.सं. (आपराधिक षड्यंत्र),भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (संशोधित 2018) की धारा 7(सी) इन धाराओं के तहत केस दर्ज करने के बाद अब आरोपियों की संपत्ति और अन्य वित्तीय लेनदेन की भी जांच की जा रही है।
आगे और खुलासे की उम्मीद
अनुमान है कि यह मामला केवल कुछ करोड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि जांच में और भी गड़बड़ियों का पर्दाफाश हो सकता है। अधिकारियों और निजी संस्था की मिलीभगत से किए गए इस खेल में कई फर्जीवाड़े और नाम सामने आने की संभावना है।