मंत्री विजय शाह केस में एसआईटी करेगी जांच, शाह को मिलेगी राहत या बढ़ेगी मुसीबत

सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री विजय शाह के केस में कहा कि मगरमच्छ के आंसू मंजूर नहीं और मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की। एसआईटी में दो आईपीएस अधिकारी और एक महिला अधिकारी शामिल होंगी।

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Jitendra Shrivastava
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Photograph: (THESOOTR)

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मध्यप्रदेश के मंत्री विजय शाह (Minister Vijay Shah) की कर्नल सोफिया कुरैशी (Colonel Sophia Qureshi) को लेकर की गई विवादित टिप्पणी के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तक पहुंचा। कोर्ट ने इस मामले में विजय शाह को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि माफी नहीं मानी जाएगी। मगरमच्छ के आंसू बहाकर छूट नहीं मिल सकती। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच टीम (SIT - Special Investigation Team) गठित करने का आदेश दिया।

एसआईटी में दो आईपीएस अधिकारी और एक महिला अधिकारी शामिल होंगी, इसमें महिला अधिकारी प्रदेश के बाहर से चुनी जाएंगी। इसका मकसद निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करना है।

क्या एसआईटी मंत्री विजय शाह के लिए राहत बनकर आई है या फिर आफत...

इस समय दोनों ही तरह के तर्क वितर्क आम जनता के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं। माननीय सुप्रीम कोर्ट के किसी भी निर्देश पर सवाल उठाए बिना 'द सूत्र' उन चर्चाओं को आपके सामने ला रहा है जो विजय़ शाह के लिए राहत या आफत का सबब बन सकते हैं।

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राहत या आफत?

SIT जांच से आ सकती है आफत...

  • माफी मांगना जा सकता है खिलाफ: मंत्री विजय शाह के मामले में माफी मांगना उनके खिलाफ जा सकता है। 
  • वीडियो से छेड़छाड़ का भी नहीं बन सकता मामला: एसआईटी जांच से पहले ही वीडियो हर जगह उपलब्ध है। इस वीडियो से किसी तरह की छेड़छाड़ की बात भी नहीं कही जा सकती है जो मंत्री विजय शाह के खिलाफ ही जाएगा।  
  • सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच: SIT की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में ही होगी। इस वजह से मामले में निष्पक्ष जांच की पूरी संभावना है।

SIT जांच के दौरान मिल सकती है राहत...

  • भाजपा को समय मिला: सुप्रीम कोर्ट ने मामले में एसआईटी जांच की स्टेटस रिपोर्ट 28 मई तक देने के निर्देश से BJP को विजय शाह को लेकर फैसला करने के लिए समय मिल गया है।
  • कानूनी तर्क रखने के लिए मिला समय: चूकि सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को 28 मई तक अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा है। इससे विजय शाह को अपना कानूनी तर्क मजबूती से रखने के लिए पर्याप्त समय मिल जाएगा। यह उनके लिए राहत जैसा है।
  • तत्काल गिरफ्तारी पर रोक: मंत्री विजय शाह की गिरफ्तारी पर रोक से उन्हें फौरी राहत मिली है। इस वजह से उनके मंत्री पद पर फिलहाल कोई खतरा नहीं है।

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क्या होती है SIT (Special Investigation Team)?

SIT एक खास जांच टीम होती है, जो आम पुलिस जांच से अलग होती है। इसे तब बनाया जाता है जब कोई मामला बहुत कठिन या महत्वपूर्ण होता है। 

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SIT कब बनाई जाती है...

  1. कठिन या हाई-प्रोफाइल मामले: जैसे बड़े भ्रष्टाचार, राजनीतिक घोटाले या संवेदनशील सामाजिक मामले।
  2. पुलिस संसाधनों की कमी: जब पुलिस के पास जांच के लिए सही संसाधन या विशेषज्ञ की कमी हो।
  3. निष्पक्ष जांच की जरूरत: जब किसी मामले में पक्षपात या दबाव की आशंका हो।
  4. सुप्रीम कोर्ट या सरकार के आदेश पर: जब अदालत या सरकार जांच के सही तरीके पर सवाल उठाती है।

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SIT जांच कैसे होती है...

1. सबूत जुटाना: SIT टीम सारे जरूरी दस्तावेज, साक्ष्य और गवाहों के बयान एकत्रित करती है।
2. विशेषज्ञों की मदद: जांच में तकनीकी और कानूनी विशेषज्ञों की भी मदद ली जाती है।
3. रिपोर्ट बनाना: समय के अंदर जांच पूरी होने के बाद SIT अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट या संबंधित अधिकारी को देती है।
4. कानूनी कार्रवाई: रिपोर्ट के आधार पर जरूरी कानूनी कार्रवाई शुरू होती है।

विजय शाह केस का सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

यह मामला न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक रूप से भी अत्यंत संवेदनशील है। मंत्री की टिप्पणी ने व्यापक चर्चा छेड़ दी है, जिसमें कई वर्गों की भावनाएं जुड़ी हैं। एसआईटी की जांच इस विवाद को शांत करने और सत्य उजागर करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

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