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Photograph: (THESOTR)
भारत में विभिन्न राज्य सरकारें समय-समय पर कर्ज लेती रहती हैं, लेकिन मोहन सरकार द्वारा लिया गया कर्ज इस वित्तीय वर्ष में एक बड़ी घटना है। 24 सितंबर 2023 को, सरकार ने रिजर्व बैंक से तीन हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया। यह कर्ज 18 और 21 साल की लंबी अवधि के लिए लिया गया है। इस कर्ज के बाद सरकार का कुल कर्ज अब 34900 करोड़ तक पहुंच चुका है।
कर्ज की समयसीमा
इस कर्ज के साथ, मोहन सरकार पर अब कुल कर्ज 456640.27 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा। इससे पहले, 9 सितंबर को सरकार ने चार हजार करोड़ रुपए के तीन कर्ज लिए थे, जिनकी अवधि 17 से 20 साल के बीच थी। सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 12487.78 करोड़ रुपए के रेवेन्यू सरप्लस की घोषणा की थी। इसका मतलब यह है कि सरकार की आय और खर्च दोनों ही संतुलित थे, बावजूद इसके कर्ज में इजाफा हुआ।
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कर्ज लेने की प्रक्रिया
मध्यप्रदेश सरकार रिजर्व बैंक से कर्ज लेने के लिए नियमित रूप से ऑक्शन प्रक्रिया का पालन करती है। इस प्रक्रिया के तहत सरकार निर्धारित अवधि के लिए कर्ज प्राप्त करती है, जिसे ब्याज के साथ चुकाना होता है। मोहन सरकार ने सितंबर में 1500-1500 करोड़ रुपए के दो कर्ज लिए हैं, जिनकी अवधि 18 और 21 साल निर्धारित की गई है। सरकार ने पहले भी इस प्रकार के कर्ज लिए हैं, और ये सभी कर्ज कर्ज की सीमा के भीतर हैं।
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कर्ज लेने का उद्देश्य
कर्ज का मुख्य उद्देश्य सरकार के वित्तीय घाटे को पूरा करना और आवश्यक सरकारी योजनाओं को पूरा करना है। यह कर्ज मध्यप्रदेश के विकास कार्यों के लिए लिया जाता है, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं से संबंधित होते हैं। इस कर्ज का भुगतान ब्याज के रूप में समय-समय पर किया जाता है, और इसका मुख्य उद्देश्य सरकार की स्थिर वित्तीय स्थिति को बनाए रखना है।
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सरकार की जिम्मेदारी
एमपी सरकार के कर्ज में लगातार बढ़ोतरी, विशेष रूप से 34900 करोड़ तक पहुंचने से, यह संकेत देता है कि सरकार के लिए एमपी में वित्तीय प्रबंधन चुनौतीपूर्ण हो सकता है। हालांकि, सरकार ने अपनी आय को बढ़ाने के लिए रेवेन्यू सरप्लस का दावा किया है, जिससे कर्ज का भुगतान समय पर हो सके। कर्ज की अदायगी के दौरान सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसका वित्तीय प्रबंधन सक्षम और पारदर्शी हो।
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कैसे बढ़ा कर्ज
अब तक, मोहन सरकार ने कई बार कर्ज लिया है, और यह कर्ज इस वर्ष के लिए लगातार बढ़ता जा रहा है। 9 सितंबर को सरकार ने 4000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था, वहीं इससे पहले 26 अगस्त को 4800 करोड़ रुपए के दो कर्ज लिए गए थे। इन सभी कर्जों की अवधि 16 साल से लेकर 23 साल तक रही है। सरकार के पास कर्ज लेने की सीमा तय है, और यह सभी कर्ज उसी सीमा के भीतर आते हैं।