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Photograph: (thesootr)
BHOPAL.आज से ठीक 15 दिन बाद सीएम मोहन यादव की सरकार अपने कार्यकाल के दो साल पूरे कर लेगी। साफ है कि सरकार का प्रचार तंत्र इन दो वर्षों की उपलब्धियों को बड़े उत्साह से गिनाने में कोई कमी नहीं छोड़ेगा। इसी हलचल के बीच एक पुराना सवाल फिर चर्चा में आ गया है। क्या मुख्यमंत्री यादव भोपाल और इंदौर का नया मास्टर प्लान लागू कर पाएंगे या फिर शिवराज सिंह चौहान के 18 साल लंबे कार्यकाल की तरह यह फाइलों में ही कैद रह जाएगा?
शिवराज सिंह चौहान तमाम कोशिशों के बाद भी अपने पूरे कार्यकाल में भोपाल का मास्टर प्लान ( master plan Bhopal ) लागू नहीं कर पाए थे। भोपाल का मास्टर प्लान 20 साल से टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (T&CP) के दफ्तर से मंत्रालय और मंत्रालय से फिर टीएंडसीपी के कार्यालयों के बीच चक्कर लगाते-लगाते धूल खा रहा है। डॉ.मोहन यादव ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही कहा था कि उनकी सरकार शहरों के विकास को गंभीर प्राथमिकता देगी और जल्द ही दोनों बड़े शहरों का मास्टर प्लान लागू किया जाएगा।
मुख्यमंत्री के बाद नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने लोकसभा चुनाव के बाद इसे लागू करने की बात कही थी। वहीं मुख्य सचिव ने दिसंबर 2024 से पहले प्लान लागू करने का भरोसा दिया था। हकीकत यह है कि अब तक यह प्लान जमीन पर नहीं उतरा।
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क्या खास होगा नए मास्टर प्लान में? आइए समझते हैं…
1. नए मास्टर प्लान-2047 में सड़क की चौड़ाई के हिसाब से एफएआर (FAR) तय किया गया है। हर प्लॉट मालिक को 1 FAR मुफ्त मिलेगा। इससे ज्यादा FAR लेना है तो उसके लिए पैसा देना होगा, जो कलेक्टर गाइडलाइन का 20 प्रतिशत तक हो सकता है। उदाहरण के लिए— यदि कोई आवासीय या कमर्शियल प्लॉट 2 FAR के योग्य है, तो 1 मुफ्त मिलेगा और अतिरिक्त 1 FAR के लिए भुगतान करना होगा।
2. प्रस्तावित प्लानिंग एरिया को 1016.90 वर्ग किलोमीटर तक बढ़ा दिया गया है, जिसमें अब 254 गांव शामिल किए गए हैं। यह 2010 में बने मास्टर प्लान-2021 के ड्राफ्ट से 58 गांव ज्यादा है। पुराने ड्राफ्ट में 813 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र और 196 गांव शामिल थे, लेकिन बाद में इसे वापस ले लिया गया था।
3. मेन रोड से हटकर भीतरी कॉलोनियों की अंदरूनी सड़कों के पास के आवासीय इलाकों को जनसंख्या घनत्व के आधार पर 5 जोन में बांटकर रेसिडेंशियल जनरल (RG) श्रेणी में रखा गया है।
4. एग्रीकल्चर जोन को मल्टी-यूज़ जोन बना दिया गया है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, वेयरहाउसिंग और सामुदायिक गतिविधियों को भी अनुमति मिलेगी, जिससे गांवों में रोजगार के साथ संगठित विकास को रफ्तार मिलेगी।
5. शहर के चारों कोनों में कमर्शियल हब बनाए जाने का मॉडल रखा गया है। इससे छोटे-मोटे कामों के लिए शहर के एक छोर से दूसरे छोर तक जाने का समय और ट्रैफिक दबाव कम होगा। अयोध्या नगर, रायसेन रोड, एयरपोर्ट की तरफ, मौरी और करोंद के आसपास ऐसे कमर्शियल हब विकसित करने की योजना है।
6. पार्किंग समस्या हल करने के लिए अतिरिक्त FAR दिए जाने का प्रावधान रखा गया है। बेसमेंट पार्किंग को FAR में नहीं गिना जाएगा और यदि बेसमेंट का उपयोग सिर्फ पार्किंग के लिए है, तो वह प्लॉट एरिया का 50% तक बनाया जा सकेगा।
7. प्लान में पहली बार झुग्गी-मुक्ति का अलग प्रावधान जोड़ा गया है। सरकारी जमीन के री-डेवलपमेंट पर झुग्गी इलाकों को शिफ्ट करने और पुनर्विकास के लिए 2-3 FAR वृद्धि और TDR (0.25) की अनुमति मिलेगी।
8. अब 20,000 वर्ग मीटर से बड़ी कॉलोनियों में ग्रीन एरिया और वुडेड एरिया रखना अनिवार्य किया गया है। इसमें 12% ओपन ग्रीन (पार्क/मैदान/खेल क्षेत्र) और 6% वुडेड एरिया रखा जाएगा।
9. कमर्शियल मिक्स्ड-यूज जोन की भी योजना है, जिसमें एक ही इलाके में आवासीय, व्यावसायिक, संस्थागत और मनोरंजन सुविधाओं को मंज़ूरी मिलेगी। मकसद, शहरी फैलाव को रोकना और कार्यस्थल के पास आवास को बढ़ावा देना।
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शिवराज सरकार में दो बार निरस्त हुआ था मास्टर प्लान
पिछले 50 वर्षों में भोपाल के छह मास्टर प्लान बने, लेकिन केवल दो ही लागू हो पाए। फिलहाल शहर 2005 तक के लिए बने 20 साल पुराने मास्टर प्लान के हिसाब से चल रहा है। शिवराज सरकार ने दो बार भोपाल का मास्टर प्लान लागू करने की कोशिश की, लेकिन दोनों बार ऐन मौके पर उसे रद्द करना पड़ा।
पहली बार 2012 में - भोपाल मास्टर प्लान-2031 का ड्राफ्ट निरस्त किया गया।
दूसरी बार 2020 में - मास्टर प्लान फाइनल होने के बाद वापस लिया गया।
50 साल में बने मास्टर प्लान-एक नजर
भोपाल विकास योजना 1991
1975 में लागू हुआ
क्षेत्रः 240.87 वर्ग किलोमीटर (24,087 हेक्टेयर)
विकासः 8000 हेक्टेयर में पूरा हुआ
नेतृत्वः नगर तथा ग्राम निवेश आयुक्त एमएन बूच
1991 का प्लान भविष्य की जरूरतों, ट्रैफिक, नगरीय सीमा और अनुपयोगी भूमि का साफ-साफ खाका पेश करता था। इसे आदर्श प्लान कहा गया।
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भोपाल विकास योजना 2005
1997 में लागू हुआ
क्षेत्रः 601.06 वर्ग किलोमीटर (60,106 हेक्टेयर)
विकासः 22,000 हेक्टेयर में पूरा हुआ
नेतृत्वः टीएंडसीपी डायरेक्टर पीवी देशपांडे
इस प्लान ने बड़ा तालाब FTL से 50 मीटर तक मनोरंजन उपयोग के नाम पर निर्माण और वनक्षेत्र के पास निर्माण की राह को खुली मंजूरी दे दी। हरियाली क्षेत्र 13% तक सिमट गया।
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भोपाल विकास योजना 2021
2012 में ड्राफ्ट रद्द हुआ
क्षेत्रः 885 वर्ग किलोमीटर (88,500 हेक्टेयर)
विकासः 36,000 हेक्टेयर में पूरा हुआ
नेतृत्वः बीपी कुलश्रेष्ठ और एसएस राठौर
प्लान में लेक फ्रंट, तालाबों के पास निर्माण और वनभूमि में निजी निर्माण की राह खोल दी गई थी। हरियाली 10% तक गिर गई। सरकार ने अंतिम फैसला नहीं लिया और प्लान रद्द कर 2031 की घोषणा कर दी थी।
भोपाल विकास योजना 2031
2020 में ड्राफ्ट रद्द हुआ
क्षेत्रः 1016.90 वर्ग किलोमीटर (1,01,690 हेक्टेयर)
विकासः अनियोजित और अव्यवस्थित हुआ
नेतृत्वः संयुक्त संचालक सुनीता सिंह और एसएन मिश्रा, साथ में एसएन मिश्रा
इस प्लान में कैचमेंट में निर्माण, नालों से 150 मीटर पर निर्माण, केरवा-कलियासोत में 5-6 लेन सड़क, ग्रीनरी 7% तक गिरना और जनसंख्या का गलत अनुमान सबसे बड़े विवाद रहे। ड्राफ्ट फाइनल होने के बाद वापस ले लिया गया।
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विकास बन गया कंक्रीट का जंगल
1991 के बाद जितने भी मास्टर प्लान के ड्राफ्ट बने, उन्होंने हरियाली के बीच निर्माण को खुली छूट दे दी। नतीजा- भोपाल तेजी से कंक्रीट के जंगल में बदल गया। बारिश का पानी जमीन में नहीं उतर पा रहा है। तालाबों और कैचमेंट क्षेत्रों पर दबाव बढ़ता जा रहा है।
अब सवाल फिर वही है, क्या मुख्यमंत्री मोहन यादव इतिहास बदल पाएंगे? क्या 20 साल से लटकी फाइल इस बार मास्टर प्लान की शक्ल लेकर शहर की सड़कों, गांवों, तालाबों और कॉलोनियों में उतर पाएगी? या फिर… बातें और तारीखें बदलने के बावजूद मंजिल पुरानी रहेगी?
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