MP में हर दिन 21 बेटियों से जुल्म, 1374 दिनों में पॉक्सो के 29506 मामले
मध्यप्रदेश में 2021 से लेकर 7 अक्टूबर 2024 तक करीब चार वर्षों में पॉक्सो के 29 हजार 506 केस दर्ज हुए हैं। इस अवधि में 2022 में सर्वाधिक 8 हजार 126 मामले सामने आए थे। अब यदि इसे औसत रूप से देखें तो चार साल की इस अवधि में 1374 दिन होते हैं...
MP 21 daughters tortured every day Photograph: (thesootr)
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BHOPAL. मध्यप्रदेश में बच्चियां हैवानियत का शिकार हो रही हैं। हर साल औसतन सात हजार बेटियों से जुल्म हो रहा हैं। आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं। क्या गांव और क्या शहर... कहीं बच्चियां सुरक्षित नहीं हैं। ज्यादातर मामलों में बेटियां परिचित या रिश्तेदार की हैवानियत का शिकार हो रही हैं।
मध्यप्रदेश में 2021 से लेकर 7 अक्टूबर 2024 तक करीब चार वर्षों में पॉक्सो के 29 हजार 506 केस दर्ज हुए हैं। इस अवधि में 2022 में सर्वाधिक 8 हजार 126 मामले सामने आए थे। अब यदि इसे औसत रूप से देखें तो चार साल की इस अवधि में 1374 दिन होते हैं। इस तरह प्रदेश में हर दिन करीब 21 बेटियों से अपराध हो रहे हैं।
यह चिंता तब और बढ़ जाती है, जब पॉक्सो एक्ट के बढ़ते मामलों पर केंद्र और राज्य सरकार गंभीर नजर न आएं। हाल ही में इस तरह के प्रकरणों पर हाईकोर्ट ने चिंता जाहिर करते हुए स्वत: संज्ञान लिया है। कोर्ट ने केंद्रीय सचिव, महिला बाल विकास विभाग, प्रदेश के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव महिला बाल विकास, पुलिस महानिदेशक, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और बाल अधिकार संरक्षण आयोग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने मामले पर संज्ञान लेते हुए कहा कि अधिकांश प्रकरणों में पीड़िता की आयु 16 से 18 वर्ष के बीच है, जबकि आरोपियों की आयु 19 से 22 वर्ष के बीच पाई गई है। अपराधों में इस बढ़ोतरी की सबसे बड़ी वजह पॉक्सो एक्ट के प्रावधानों के बारे में पर्याप्त जागरूकता का अभाव है।
चीफ जस्टिस कैत ने कहा, पॉक्सो अधिनियम की धारा 43 के तहत केंद्र और राज्य सरकार का यह दायित्व है कि इस अधिनियम के प्रावधानों का प्रचार-प्रसार मीडिया के माध्यम से नियमित अंतराल पर किया जाए, ताकि इस पर व्यापक जागरूकता फैले। उच्च न्यायालय ने पुलिस अधिकारियों और संबंधित व्यक्तियों को इस अधिनियम के प्रावधानों के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षण देने के भी निर्देश दिए हैं।
इसके उलट सरकार का दावा है कि पॉक्सो के मामलों में कमी आई है। 1 जनवरी से 31 जुलाई तक की स्थिति की समीक्षा के बाद सरकार की ओर से कहा गया था कि बच्चों (पॉक्सो एक्ट) के विरूद्ध घटित अपराधों में 14 प्रतिशत की कमी आई है। यह परिणाम मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा महिलाओं और बच्चों की सहायता, सुरक्षा के लिए चलाए गए विभिन्न कार्यक्रमों जैसे ऊर्जा महिला डेस्क, आशा, मुस्कान, मैं हूं अभिमन्यु अभियान के कारण सामने आए हैं।