एमपी में 70, 80, 90 परसेंट वेतन का नियम कर्मचारियों पर भारी, काम समान लेकिन वेतन में लाखों का नुकसान

MP में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को कमलनाथ सरकार के 2019 के आदेश से 4 लाख तक का नुकसान हो रहा है। 2 से 3 साल की परिवीक्षा अवधि के कारण वेतन में कटौती हो रही है। कर्मचारीयों ने सीएम डॉ. मोहन यादव से आदेश निरस्त की मांग की है।

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Anjali Dwivedi
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मध्य प्रदेश में कर्मचारियों के साथ भेदभाव हो रहा है। कमलनाथ सरकार का छह साल पुराना एक आदेश अब तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को रुला रहा है। 2019 के बाद नियुक्त हुए इन कर्मचारियों को परिवीक्षा अवधि (Probation Period) के वेतन में सीधा चार लाख रुपए तक का भारी नुकसान हो रहा है। यह आदेश 'काम एक समान, वेतन में भारी असमानता' पैदा कर रहा है।

इन पॉइंट्स से समझिए पूरा मामला

  • कमलनाथ सरकार का दिसंबर 2019 का आदेश कर्मचारियों को लाखों का नुकसान करा रहा है।

  • तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की परिवीक्षा अवधि 2 साल से बढ़ाकर 3 साल कर दी गई थी।

  • इस अवधि में कर्मचारियों को 70%, 80% और 90% ही वेतन मिल रहा है।

  • लोक सेवा आयोग से भर्ती कर्मचारियों की परिवीक्षा अवधि 2 वर्ष है, जिससे 'न्याय का हनन' हो रहा है।

  • 36 हजार 200 मूल वेतन वाले तृतीय श्रेणी कर्मचारी संघ को 4 लाख 7 हजार 78 तक का नुकसान हो रहा है।

तीन साल की परिवीक्षा बनी परेशानी

इस आदेश से एमपी में कर्मचारियों की परिवीक्षा अवधि का वेतन लाखों कम हो गया है। तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के महामंत्री उमाशंकर तिवारी ने बताया। 12 दिसंबर 2019 को यह आदेश जारी हुआ था। इसमें परिवीक्षा अवधि को दो साल से बढ़ाकर तीन साल किया गया था। यह नियम केवल कर्मचारी चयन मंडल से भर्ती होने वालों पर लागू है।

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एमपी में 70,80,90 परसेंट वेतन का नियम क्या है?

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग से नियुक्त कर्मचारी दो साल में पूर्ण वेतन पाते हैं। जबकि एमपी कर्मचारी चयन मंडल से नियुक्त को तीन साल लगते हैं। पहले साल 70%, दूसरे में 80% और तीसरे साल 90% वेतन मिलता है। 3 वर्ष बाद ही 100% वेतन शुरू होता है।

एमपी में कर्मचारी वेतन नुकसान ऐसे समझें

इस आदेश से हर कर्मचारी को बड़ा आर्थिक नुकसान हो रहा है। 2023 में जो कर्मचारी जनवरी सेवा में आए हैं, उन्हें दिसंबर 2025 तक घाटा होगा। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी 15 हजार 500 के मूल वेतन पर 1 लाख 74 हजार 840 खो रहे हैं। तृतीय श्रेणी के 36 हजार 200 मूल वेतन वाले कर्मचारी को 4 लाख 7 हजार 78 तक का नुकसान हो रहा है।

सीएम डॉ. मोहन यादव से मदद की गुहार

कर्मचारी नेता उमाशंकर तिवारी ने सीएम डॉ मोहन यादव को पत्र लिखा है। उन्होंने आदेश निरस्त करने की मांग की है। साथ ही परिवीक्षा अवधि को वापस दो साल करने को कहा है। इससे कर्मचारियों का लाखों का नुकसान कम किया जा सकेगा।
 

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