MP में रोजगार मिशन फेल, 93 परसेंट जिले रोजगार देने के लक्ष्य से पिछड़े, सिर्फ 4 ही सफल

अप्रैल से अक्टूबर 2025 तक के आंकड़ों के मुताबिक, मध्य प्रदेश के 55 में से 51 जिले (93%) रोजगार और स्वरोजगार लक्ष्य पूरा नहीं कर पाए। इंदौर, भोपाल जैसे बड़े जिले भी पीछे हैं। सिर्फ 4 जिलों ने लक्ष्य पूरा किया।

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Anjali Dwivedi
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मध्य प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार युवाओं के लिए कई योजनाएं चला रही हैं। इनका मुख्य उद्देश्य युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार देना है। हालांकि, अप्रैल से अक्टूबर 2025 तक के ताजा आंकड़े चौंकाने वाले हैं। MP के कुल 55 जिलों में से 51 जिले अपने निर्धारित लक्ष्य हासिल नहीं कर पाए हैं। यह लगभग 93 प्रतिशत जिलों का पिछड़ापन दिखाता है।

इन 5 पॉइंट्स से समझें पूरा मामला

  • अप्रैल से अक्टूबर 2025 के आंकड़ों में, 55 में से 51 जिले (93%) रोजगार लक्ष्य से पिछड़े।

  • इंदौर (63% खाली), भोपाल (83% खाली) और राजगढ़ (93% खाली) जैसे बड़े जिले पीछे हैं।

  • डिंडोरी (94.03%), राजगढ़ (92.54%) और शहडोल (90.34%) सबसे ज्यादा पिछड़े हैं।

  • बैंक से ऋण न मिल पाना वैकेंसी पूरी न होने का एक प्रमुख कारण है।

  • गुना, अशोकनगर, खरगोन और शिवपुरी ने लक्ष्य पूरे कर सफलता हासिल की है।

प्रदेश के बड़े और घनी आबादी वाले जिले भी सूची में

मध्य प्रदेश के बड़े जिले भी इस समस्या से अछूते नहीं हैं। इंदौर, भोपाल, जबलपुर, रीवा और सतना जैसे जिले भी पीछे चल रहे हैं। यह स्थिति बताती है कि योजनाओं का लाभ ठीक से युवाओं तक नहीं पहुंच रहा। गुना जिला रोजगार अधिकारी बी.एस. मीना के अनुसार, बैंक से ऋण न मिलना भी एक बड़ी वजह है। सरकार अब वित्तीय वर्ष  के अंत तक लक्ष्य पूरे करने पर जोर देगी। एमपी में रोजगार के आंकड़े हर के एक को चौका रहे हैं। 

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एमपी में रोजगार लक्ष्य पूरा न कर पाने वाले टॉप 10 पिछड़े जिले (अधूरी रिक्तियां)

क्रमांक (S. No.)जिला (District)अधूरी रिक्तियां प्रतिशत में (%) (Percentage Unfilled)
1डिंडोरी (Dindori)94.03%
2राजगढ़ (Rajgarh)92.54%
3शहडोल (Shahdol)90.34%
4अलीराजपुर (Alirajpur)90.00%
5झाबुआ (Jhabua)89.54%
6नीमच (Neemuch)88.24%
7खंडवा (Khandwa)85.46%
8सीधी (Sidhi)85.05%
9भोपाल (Bhopal)82.89%
10धार (Dhar)81.47%

प्रदेश के सभी 55 जिलों में डिंडोरी बेरोजगारी में अव्वल नंबर पर है। यहां 94% वैकेंसी खाली है। 

भोपाल की स्थिति चिंताजनक, 83% पद खाली

भोपाल की स्थिति चिंताजनक, 83% पद खाली राजधानी भोपाल की स्थिति भी काफी चिंताजनक है। यहां 8 हजार 324 वैकेंसी में से 83% पद अधूरे हैं। वहीं, इंदौर में 13 हजार  570 रिक्तियों में से 63% सीटें खाली हैं। दमोह में भी 17 हजार  188 में से 58% पद अधूरे पड़े हैं। राजगढ़ में तो 3 हजार 965 रिक्तियों में से 93% पद नहीं भरे जा सके हैं। डिंडोरी (94.03%) और राजगढ़ (92.54%) सबसे पिछड़े जिलों में हैं।

जिला (District)कुल रिक्तियां (Total Vacancies)अधूरे/खाली पद (Vacancies Unfilled)अधूरे पदों का प्रतिशत (%) (Percentage Unfilled)
भोपाल (Bhopal)8,324जानकारी उपलब्ध नहीं83%
इंदौर (Indore)13,570जानकारी उपलब्ध नहीं63%
दमोह (Damoh)17,188जानकारी उपलब्ध नहीं58%
राजगढ़ (Rajgarh)3,965जानकारी उपलब्ध नहीं93%
डिंडोरी (Dindori)जानकारी उपलब्ध नहींजानकारी उपलब्ध नहीं94.03%
राजगढ़ (Rajgarh)जानकारी उपलब्ध नहींजानकारी उपलब्ध नहीं92.54%

सिर्फ इन 4 जिलों ने मारी बाजी

 मध्य प्रदेश में रोजगार देने के मामले में सिर्फ 4 जिलों ने अपने लक्ष्य पूरे किए हैं। ये जिले हैं गुना, अशोकनगर, खरगोन और शिवपुरी। इन जिलों में स्वरोजगार योजना ऋण वितरण और ऑफर लेटर जारी करने की स्थिति बेहतर रही। खरगोन (+262%) और गुना (+255%) ने तो निर्धारित लक्ष्य से कहीं ज्यादा उपलब्धि हासिल की है।

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