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मध्यप्रदेश में आर्थिक अपराधों पर नकेल कसने के लिए ईओडब्ल्यू (EOW) और राज्य जीएसटी विभाग ने 16 स्थानों पर छापेमारी की। इस छापेमारी में लगभग 20 करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी का खुलासा हुआ। अधिकारियों ने पाया कि कुछ कारोबारी फर्जी बिलों के माध्यम से इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) प्राप्त कर रहे थे, जिससे राज्य को भारी राजस्व का नुकसान हुआ।
फर्जी बिलिंग और इनपुट टैक्स क्रेडिट का खेल
यह मामला एक बड़ा टैक्स चोरी स्केम उजागर करता है। फर्जी बिलों के जरिए बिना वास्तविक माल या सेवाओं के आयात के ITC का दावा किया जा रहा था। ईओडब्ल्यू को मिली जानकारी के अनुसार, यह टैक्स चोरी अनिल कुमार शाह द्वारा की जा रही थी।
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वह बैढ़न, जिला सिंगरौली से संबंधित थे। शाह ने कई फर्मों से बोगस इनपुट टैक्स क्रेडिट लिया और इसे स्थानीय व्यापारियों को उपलब्ध कराया। इसके बदले में शाह ने कमीशन लिया।
ईओडब्ल्यू और जीएसटी विभाग की संयुक्त टीम ने पहले सिंगरौली जिले में छापेमारी की और वहां से दस्तावेज और डिजिटल डेटा इकट्ठा किया। इस जानकारी के आधार पर, अन्य जिलों में भी छापेमारी की गई। शुरुआती जांच में यह स्पष्ट हो चुका है कि लगभग 20 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी हुई है, जो राज्य को राजस्व का भारी नुकसान पहुंचा रही थी।
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छापेमारी और जांच की प्रक्रिया
ईओडब्ल्यू की टीम द्वारा जब्त किए गए दस्तावेजों और डिजिटल डेटा का परीक्षण किया जा रहा है। इस आधार पर टैक्स चोरी का स्तर और बड़ा हो सकता है। अधिकारियों ने विभिन्न फर्मों और व्यक्तियों से पूछताछ की है। प्रारंभिक जांच में फर्जी बिलिंग और संदिग्ध लेन-देन के दस्तावेज मिले हैं, जिनका परीक्षण किया जा रहा है।
ईओडब्ल्यू रीवा के पुलिस अधीक्षक अरविंद सिंह ठाकुर और जीएसटी के सहायक आयुक्त दीप खरे की निगरानी में 10 से अधिक अधिकारी और कर्मचारी इस जांच में जुटे हैं।
पहले भी हुआ था टैक्स चोरी का खुलासा
यह पहली बार नहीं है जब मध्य प्रदेश में इस तरह की टैक्स चोरी पकड़ी गई है। इससे पहले इस साल, ईओडब्ल्यू ने ITC के माध्यम से जीएसटी चोरी के एक अंतरराज्यीय नेटवर्क का खुलासा किया था, जिसमें 34 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी का अनुमान था।
मंदसौर और आगर में ED की छापेमारी
ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने मंदसौर और आगर मालवा जिलों में आबकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की। मंदसौर में स्थानांतरित जिला आबकारी अधिकारी बीएल दांगी के घर पर छापेमारी की गई, और उन्हें दतिया स्थानांतरित कर दिया गया।
आगर-मालवा में जिला आबकारी अधिकारी डॉ. राजीव प्रसाद द्विवेदी के शासकीय आवास पर ईडी ने दस्तावेजों की जांच की। यह कार्रवाई इंदौर में शराब ठेकेदारों और आबकारी अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी चालान जमा करने के मामले में हो रही है।