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Photograph: (the sootr)
INDORE. इंदौर हाईकोर्ट में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की जनहित याचिका पर गुरुवार को आधे घंटे लंबी बहस हुई। इसमें पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने खुद अपनी ओर से पैरवी की। उन्होंने करीब 20 मिनट तक याचिका को लेकर अपने तर्क रखे।
याचिका की सुनवाई दोपहर करीब 1 बजे शुरू हुई। इसी दौरान अधिवक्ता ने लाइव स्ट्रिमिंग का दुरुपयोग की बात कहते हुए इसे बंद कराने की मांग की। इसके बाद इसे बंद कर दिया गया। सिंह की याचिका में पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता रविंद्र सिंह छाबड़ा और अधिवक्ता अमन अरोरा कर रहे है। हालांकि गुरुवार को सिंह ने ही अपने तर्क रखे।
यह बोले दिग्विजय सिंह
हाईकोर्ट डबल बैंच के सामने सिंह ने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन कराया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट गाइडलाइन जारी की है। उपद्रव होने, धार्मिक रैली, जुलूस को लेकर इनका पालन नहीं हो रहा है।
पीड़ितों को कैसे मुआवजा मिलेगा, पीड़ित जिले में किस पुलिस अधिकारी से संपर्क करे, यह सब नहीं हो रहा है। मस्जिदों के बाहर लाउडस्पीकर बजाए जाते हैं, डीजे बजाए जाते हैं। पुलिस, प्रशासन मूक बना रहता है। किसी पर कार्रवाई नहीं होती है।
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शासन की ओर से यह कहा गया
शासन की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है। इस मामले में जो मामले याचिका में बताए गए हैं, इसमें जिम्मेदारों पर भी कार्रवाई की गई है। इस पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि हम चाहते हैं कि ऐसा है तो शासन इस पर स्टेटस रिपोर्ट जारी करे। इस संबंध में कहीं कोई जानकारी नहीं है। या फिर न्यायमित्र नियुक्त किया जाए। सभी पक्ष सुनने के बाद हाईकोर्ट ने मामला हियर्ड एंड रिजर्व में रख लिया है।
याचिका में इन सभी को बनाया गया पक्षकार
पूर्व सीएम सिंह की याचिका में मप्र शासन, पीएस गृह विभाग, डीजीपी को पक्षकार बनाया है। इनके साथ ही इंदौर, उज्जैन, मंदसौर कलेक्टर व एसपी को भी पक्षकार बनाया है।
दिग्गी ने राममंदिर को लेकर यह कहा है याचिका में
सिंह ने याचिका में इंदौर, उज्जैन, मंदसौर में दिसंबर 2020 की घटनाओं का उदाहरण दिया। उन्होंने एफआईआर के साथ गंभीर आरोप लगाए। सिंह ने कहा है कि श्री राम मंदिर के पवित्र निर्माण कार्य के दौरान दान संग्रह किया गया। इस दौरान इंदौर, उज्जैन व मंदसौर में इसकी आड़ में साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुई। इससे शांति सद्भवा खत्म हुआ और संपत्तियों का नुकसान हुआ।
सिंह ने् कहा कि हम राम मंदिर निर्माण के पवित्र काम का समर्थन करते हैं। लेकिन फंड कलेक्शन स्वैच्छिक होना चाहिए। दान देने के लिए अल्पसंख्यक वर्ग पर दबाव नहीं हो और ना ही धमकाना चाहिए। दान देने की आड़ में कुछ संगठनों ने अल्पसंख्यक वर्ग को टारगेट किया।
धन संग्रह रैलियों के दौरान आयोजकों ने सुनियोजित तरीके से हिंसा फैलाने का काम किया। लेकिन इसके बाद भी अधिकारियों ने लापरवाही बरती और कोई कारर्वाई नही की। इस मामले में शासन को भी रिप्रेजेंटेश दिया लेकिन कुछ नहीं हुआ,इसलिए याचिका दायर की है।
पूर्व सीएम की मॉब लिंचिंग रोकने की मांग
पूर्व सीएम सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के तीन फैसलों को लागू करने की मांग की। सिंह ने मॉब लिंचिंग और मॉब वायलेंस पर कड़ी कार्रवाई की अपील की। उन्होंने धार्मिक रैलियों और जुलूसों के दौरान शांति बनाए रखने की मांग की। सिंह ने जिले में नोडल पुलिस अधिकारी और टास्क फोर्स बनाने की सलाह दी। इन अधिकारियों को इंटेलिजेंस जानकारी और हेट स्पीच पर निगरानी रखने का काम सौंपा जाए।
इंदौर के इस विवाद का उदाहरण दिया
याचिका में सिंह ने इंदौर में चंदनखेड़ी में 29 दिसंबर 2020 को हुए विवाद का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि यहां लोग पूर्व विधायक मनोज चौधरी के नेतृत्व में तलवार,स्टिक व अन्य हथियार लेकर निकले। अल्पसंख्यकों पर हमले हुए लेकिन पुलिस व प्रशासन ने कुछ नहीं किया।
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मुझ पर भ्रष्टाचार के केस नहीं है- दिग्गी
बहस के दौरान शासन पक्ष की ओर से यह भी कहा गया कि यह पीआईएल मेंटेनेबल नहीं है। खुद याचिकाकर्ता दिग्विजय सिंह पर 11 एफआईआर दर्ज है। इस पर सिंह ने कहा कि मैं 55 साल से जनसेवा, सार्वजनिक जीवन में हूं। कई जगह रैलियों में आयोजनों में जाता हूं। इसके चलते यह केस हुए हैं। इन केस में अब तक कोई भ्रष्टाचार का, सांप्रदायिक बात करने का या इस तरह के केस नहीं है। यह सभी राजनीतिक केस हैं, जो जनहित के मुद्दे उठाने के चलते हुए हैं।
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