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INDORE. इंदौर के चंदननगर थाने के एक आरोपी पर चार की जगह आठ झूठे केस लगाए गए थे। इस मामले में इंदौर पुलिस बुरी तरह घिर गई है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सख्त रुख अपनाया है।
पहले एडिशनल डीसीपी दिशेष अग्रवाल और टीआई चंद्रमणि पटेल से बुलाकर हलफनामा मांगा था। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गंभीर टिप्पणी की है। कोर्ट न सीपी इंदौर के साथ ही एडिशनल डीसीपी, टीआई को भी पक्षकार बनाने के आदेश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने यह दिए आदेश
इस मामले में 25 नवंबर को हुई सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट अहम आदेश दिए हैं। यह सुनवाई जस्टिस अशानुद्दीन अमानउल्लाह और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच में हुई। इसमें कहा गया है कि हमने अपने पिछले आदेश दिनांक 04.11.2025 के अनुसार दायर हलफनामे का अध्ययन किया है। यह हलफनामा दिशेष अग्रवाल, ए.डी.सी.पी. (प्रभारी अधिकारी) और संबंधित पुलिस स्टेशन के एस.एच.ओ. (टीआई) इंद्रमणि पटेल की ओर से दायर किया गया था।
यह गंभीर मुद्दे पुलिस के आचरण के मूल और मुख्य मुद्दे से संबंधित हैं। उनके जरिए धारित कार्यालय/पद के अधिकार जिसका सीधा असर पुलिस पर पड़ता है। यह जनता के विश्वास से जुड़ा है। इसलिए वर्तमान दो अधिकारियों दिशेष अग्रवाल और इंद्रमणि पटेल को भी पार्टी प्रतिवादी संख्या 3 और 4 के रूप में शामिल करने की अपेक्षा करेंगे।
सीपी को भी इस तरह पक्षकार बनाने के आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि चूंकि एडीसीपी का यह पक्ष है कि आई.ए. क्रमांक 301315/2025 में जिन तथ्यों को कहा गया है, वह कल ही उनके संज्ञान में लाए गए हैं। इसलिए निवेदन करते हैं कि वह इसे तत्काल वरिष्ठ डी.सी.पी. तथा इंदौर पुलिस आयुक्त को भी फारवर्ड करेंगे। इसे देखते हुए पुलिस आयुक्त, इंदौर को भी उनके पद के आधार पर प्रतिवादी संख्या 5 के रूप में पक्षकार बनाया जाए। अब 9 दिसंबर को सुनवाई होगी।
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इस तरह खुली थी पुलिस के झूठे हलफनामे की पोल
मामला आरोपी अनवर हुसैन की जमानत से जुड़ा हुआ है। इसमें आरोपी पर अन्य जिले में दर्ज केस को भी पुलिस ने हुसैन के साथ जोड़कर शपथनामा पेश कर दिया। इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 4 नवंबर को सुनवाई की थी।
इसके बाद लिखित आदेश में कहा कि- नागरिक के जीवन और स्वतंत्रता से जुड़े मामले में कोर्ट के सामने गलत दस्तावेज पेश किए गए। इस पर पुलिस थाने के एडिशनल डीसीपी दिशेष अग्रवाल और टीआई इंद्रमणि पटेल को नोटिस जारी करना उचित समझते हैं। उनकी इस लापवाही भरे आचरण के लिए उन पर कार्रवाई क्यों ना की जाए। मामले की सुनवाई 25 नवंबर को होगी।
आरोपी अनवर हुसैन पिता इशाक हुसैन के जमानत केस में अहम खुलासा हुआ। इसके हलफनामे में बताए गए आठ में से चार मामलों में, अनवर हुसैन आरोपी ही नहीं है। जबकि पुलिस ने उस पर यह फर्जी केस बताए। जब सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, तो बताया गया कि यह गलती कंप्यूटर से हुई। दरअसल, आरोपी और उसके पिता का नाम दूसरे आरोपी और उसके पिता से मिलते-जुलते थे।
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ADCP अग्रवाल और TI पटेल का ऐसा था शपथपत्र
अनवर हुसैन पर कुल चार केस हैं। तीन केस मल्हारगंज थाने में हैं। वहीं, एक चंदननगर थाने में है। मल्हारगंज थाने में केस क्राइम नंबर 214/18, 480/23 और 282/24 हैं। इन केसों में धारा 323, 294 और आवश्यक वस्तु अधिनियम की धाराएं लगाई गई हैं। चंदननगर थाने में केस नंबर 1302/23 है, जिसमें धारा 294, 323 और 506 लगाई गई है।
यह केस फर्जी जोड़े गए
वहीं सुप्रीम कोर्ट में 28 अक्टूबर 2025 को हलफनामे पेश किए गए थे। इसमें अनवर हुसैन पर आठ केस बताए गए थे। फिर 4 नवंबर को उन्होंने गलती मानी और इसे कंप्यूटर की मिस्टेक बताया था। मंडलेश्वर, खरगोन में क्राइम नंबर 282/08 है, जिसमें धारा 379 लगाई गई है। वहीं, क्राइम नंबर 283/08 में आर्म एक्ट 25 की धारा लगाई गई। सनावद, खरगोन में केस नंबर 419/09 है, जिसमें धारा 379 आईपीसी लगाई गई।
यह तीनों केस अनवर हुसैन पिता इशाक हुसैन के नाम पर हैं। यह व्यक्ति करीब 32 साल का है, जिस पर यह केस है। वहीं पुलिस अधिकारियों ने जो तर्क बताए कि आरोपी और पिता का नाम एक जैसे होने से यह हुआ। इसमें सुप्रीम कोर्ट में आपत्ति हुई। इसमें कहा गया कि अनवर हुसैन और अनवर खान एक जैसा नाम कैसे हो गया है। वहीं उम्र एक की 32 साल, दूसरे सही आरोपी की 60 साल है। वहीं दोनों के पते अलग-अलग हैं। मूल आरोपी अनवर हुसैन तो कभी खरगोन जिले में गया ही नहीं और ना ही रहता है।
चौथे केस में तो हद ही कर दी, दुष्कर्मी बताया
उधर चौथा फर्जी केस आरोपी अनवर पर बताया गया। इसमें तो पुलिस ने हद कर दी। चंदननगर थाने में क्राइम नंबर 300/23 जो करण पंवार नाम के 23 साल के युवक पर है। वह भी आर्म एक्ट 25 में उसे शपथपत्र में पुलिस ने आरोपी अनवर हुसैन के नाम पर होना बता दिया।
साथ ही इसमें धाराएं भी आर्म एक्ट की जगह दुष्कर्म की धारा 376 के साथ ही अन्य गंभीर धाराएं 276(2), 506 और 34 जोड़ दी। जबकि इस क्राइम नंबर पर तो केस करण पंवार के नाम पर है। केस भी केवल आर्म एक्ट का है, जिसमें इतनी गंभीर धाराएं दिखाई गईं।
यह है पूरा केस
यह पूरा केस आवश्यक वस्तु अधिनियम का है। जिला प्रशासन की फूड टीम ने 19 अक्टूबर 2024 में मयूर बाग जवाहर टेकरी चंदननगर के वेयरहाउस पर छापा मारा। यहां उन्हें पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) का गेहूं-चावल मिला। इसे जब्त किया गया।
यह वेयरहाउस राजेश पहाड़िया ने किराए पर लिया था। इसमें अनवर हुसैन, आसिफ, यश राठौर, संदीप कुमार और राजेश पहाड़िया को आरोपी बनाया गया। जबकि इसमें अनवर का कहीं नाम, बिल नहीं मिले थे।
इस मामले में अधिकारियों ने चंदननगर थाने में 24 अक्टूबर 2024 को एफआईआर कराई। इसके बाद तत्कालीन कलेक्टर आशीष सिंह ने अनवर पर पुराने इसी तरह के मामले देखते हुए 8 नवंबर 2024 में डिटेंशन ऑर्डर जारी कर दिया। हालांकि इसे हाईकोर्ट ने गलत मानते हुए 24 फरवरी 2025 को क्वैश कर दिया। बाकी आरोपियों को एक-एक कर जमानत मिल गई। वहीं, अनवर हुसैन पर अधिक केस के चलते नहीं मिली। फिर मामला सुप्रीम कोर्ट गया, जहां पर यह गलत हलफनामा पुलिस अधिकारियों ने पेश कर दिया।
अग्रवाल और पटेल दोनों ही पहुंच वाले अधिकारी
एडिशनल डीसीपी दिशेष अग्रवाल और टीआई इंद्रमणि पटेल दोनों ही पहुंच वाले अधिकारी माने जाते हैं। अग्रवाल इसके पहले जूनी इंदौर सीएसपी, देवास सीएसपी रह चुके हैं। अब इंदौर में एडिशनल डीसीपी हैं। वहीं पटेल एक आईपीएस के रिश्तेदार हैं जो राज्यपाल के ओएसडी भी रहे हैं। यह इंदौर के लसूडिया, बाणगंगा थाने में रह चुके हैं और अब चंदननगर थाना प्रभारी हैं।
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