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Photograph: (THESOOTR)
JABALPUR. अब सरकारी शिक्षकों को लगानी होगी ई-अटेंडेंस। इस व्यवस्था के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी गई है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के आदेश को वैध ठहराया है।
मामले की जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की। इस दौरान स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता ई-अटेंडेंस को चुनौती देने का कोई ठोस कानूनी आधार प्रस्तुत नहीं कर सके। इस पर शिक्षकों की ओर से दायर याचिका वापस ले ली गई।
मोबाइल ऐप से दर्ज करना होगी उपस्थिति
राज्य सरकार ने इस साल 20 जून 2025 को आदेश जारी कर सभी शासकीय शिक्षकों के लिए मोबाइल ऐप से ई-अटेंडेंस लगाना अनिवार्य किया था। आदेश के खिलाफ जबलपुर निवासी मुकेश सिंह वरकड़े सहित प्रदेशभर के 27 शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
शिक्षकों ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क की समस्या, मोबाइल ऐप की तकनीकी खराबी, और स्मार्टफोन या डेटा पैक की कमी के कारण उन्हें उपस्थिति दर्ज कराने में कठिनाई हो रही है।
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सरकार ने कहा- नेटवर्क कोई समस्या नहीं
राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि अधिकांश स्कूलों में नेटवर्क की समस्या नहीं है, क्योंकि वहीं पदस्थ अधिकांश शिक्षक पहले से ही ऐप के जरिए उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं। शासन ने आंकड़ों के साथ बताया कि प्रदेश के करीब 73 प्रतिशत सरकारी शिक्षक मोबाइल ऐप से ई-अटेंडेंस लगा रहे हैं।
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तकनीकी असुविधा आदेश को अमान्य नहीं बना सकती
हाईकोर्ट ने यह माना कि तकनीकी दिक्कतें होने के बावजूद यह कारण आदेश को अवैध घोषित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। अदालत ने सरकार के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार करते हुए कहा कि व्यवस्था पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के उद्देश्य से लागू की गई है। इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने खुद ही पिटीशन वापस ले ली।
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अब सभी शिक्षकों को मानने होंगे ई-अटेंडेंस के नियम
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब प्रदेश के सभी सरकारी शिक्षकों को मोबाइल ऐप के माध्यम से ई-अटेंडेंस लगाना अनिवार्य हो गया है। इस व्यवस्था का उद्देश्य स्कूलों में समय पर उपस्थिति सुनिश्चित करना और शिक्षा व्यवस्था को अधिक पारदर्शी बनाना है।
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