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MP News : जबलपुर के विजय नगर क्षेत्र में स्थित कीमती जमीन पर धोखाधड़ी से कब्जा करने की साजिश में फंसे कांग्रेस नेताओं जतिन राज और मनोज नामदेव को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। जबलपुर बेंच में जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने दोनों आरोपियों की अग्रिम जमानत अर्जी को स्वीकार करते हुए उन्हें गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि फिलहाल यह प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि आवेदक केवल संदेह के आधार पर आरोपी बनाए गए हैं और उनके खिलाफ कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, इसलिए उन्हें सशर्त जमानत दी जाती है।
जमानत आदेश में हाईकोर्ट ने क्या कहा
न्यायालय ने आदेश किया है कि यह अग्रिम जमानत आवेदन भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 482 के अंतर्गत प्रस्तुत किया गया था, जिसमें आवेदकों ने अपनी गिरफ्तारी की आशंका जताई थी। ओमती थाना, जबलपुर में दर्ज एफआईआर में उन पर भारतीय न्याय संहिता, 2023 की विभिन्न गंभीर धाराओं - धारा 216, 319(2), 319, 31(4) और 338- के तहत अपराध में संलिप्त होने का आरोप है। कोर्ट ने यह भी माना कि मामले की विवेचना प्रारंभिक अवस्था में है और जब तक यह सिद्ध नहीं हो जाता कि आरोपियों की भूमिका साजिश में सक्रिय थी, तब तक उन्हें गिरफ्तारी से संरक्षण देना न्यायोचित होगा। हालांकि कोर्ट ने यह भी चेताया है कि यदि आवेदक जांच में सहयोग नहीं करते या किसी अन्य अपराध में लिप्त पाए जाते हैं, तो दी गई जमानत रद्द हो जाएगी।
इन शर्तों के साथ दी गई अग्रिम जमानत
हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि अग्रिम जमानत कुछ सख्त शर्तों के साथ दी जा रही है। इसके अंतर्गत दोनों आरोपियों को 50-50 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत राशि भरनी होगी। साथ ही उन्हें हर माह के पहले सप्ताह में संबंधित थाना ओमती में उपस्थित होना होगा। इसके अलावा आरोपियों को जांच में पूरा सहयोग करना होगा, किसी भी गवाह को प्रभावित नहीं करना होगा और बिना अनुमति देश छोड़ने पर रोक रहेगी। यदि इन शर्तों का उल्लंघन होता है, तो जमानत स्वतः निरस्त मानी जाएगी।
जमीन कब्जा ने रची थी साजिश
यह पूरा मामला तब उजागर हुआ जब जबलपुर विकास प्राधिकरण के कार्यालय में एक व्यक्ति पहुंचा , जो खुद को के.पी. लटोरिया का बेटा रोहित लटोरिया बता रहा था। यह व्यक्ति एक जमीन के नामांतरण के लिए दस्तावेजों के साथ उपस्थित हुआ था। भूखंड क्रमांक 571 योजना क्रमांक-14, विजय नगर में स्थित है, जो स्व. के.पी. लटोरिया को आवंटित किया गया था, के.पी. लहेटिया और उनकी पत्नी की मृत्यु हो चुकी है, और अब यह जमीन उनके वैध वारिसों के नाम दर्ज की जानी थी। इसी नामांतरण के लिए 18 मार्च 2025 को रोहित लटोरिया नामक व्यक्ति ने संबंधित दस्तावेजों के साथ नामांतरण हेतु आवेदन दिया था।
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फर्जी दस्तावेज लेकर JDA पहुंचा था छोटू ठाकुर
17 अप्रैल 2025 को मनोज नामदेव और छोटू ठाकुर के साथ आए एक युवक ने खुद को रोहित लटोरिया बताया, लेकिन उसकी गतिविधियों और प्रस्तुत दस्तावेजों पर जब कार्यालय के लिपिक शुभम चौबे को संदेह हुआ तो उन्होंने संपदा अधिकारी रीति सोनबे के माध्यम से वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दी। जांच के लिए जब युवक के आधार कार्ड और वोटर आईडी का ऑनलाइन सत्यापन किया गया, तो वे फर्जी पाए गए। पूछताछ में युवक ने अपना असली नाम शुभम उर्फ गोलू ठाकुर बताया, और यह भी स्वीकार किया कि उसने यह पूरा षड्यंत्र जतिन राज, मनोज नामदेव और छोटू ठाकुर के साथ मिलकर रचा था। इस मामले में दो आरोपियों को तो जमानत मिल चुकी है लेकिन अभी छोटू ठाकुर की जमानत जिला अदालत में ही लंबित है। हालांकि छोटू ठाकुर मौके पर ही पकड़ा गया था तो अभी उसे और लिपिक शुभम ठाकुर को जमानत मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे है।
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अधिकारियों के शक पर पकड़ी गई थी साजिश
इस घटनाक्रम के दौरान जब मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्य कार्यपालन अधिकारी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे, तब उन्होंने शुभम ठाकुर से गहन पूछताछ की। पूछताछ में फर्जीवाड़े की पूरी परतें खुलती गईं और पता चला कि किस प्रकार एक मृतक की जमीन पर कब्जा जमाने के लिए पूरी टीम ने मिलकर आधार कार्ड, वोटर आईडी, समग्र आईडी और फर्जी शपथ पत्र तक तैयार करवा दिए थे। तत्काल एफआईआर के निर्देश दिए गए और ओमती थाना पुलिस ने इस आधार पर आपराधिक मामला दर्ज कर जांच शुरू की।
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साजिश में शामिल कांग्रेस नेताओं को मिली अस्थायी राहत
इस मामले में जतिन राज और मनोज नामदेव सहित अन्य के खिलाफ FIR दर्ज होने के बाद आरोपी फरार थे जिनकी गिरफ्तारी पर जबलपुर एसपी ने इनाम भी घोषित किया था। ऐसे में उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली और अग्रिम जमानत की गुहार लगाई। कोर्ट ने संपूर्ण दस्तावेजों और दलीलों को सुनने के बाद उन्हें फिलहाल गिरफ्तारी से राहत दे दी है, लेकिन यह राहत जांच में सहयोग करने और अन्य कानूनी शर्तों के पालन के अधीन होगी। अगर किसी भी प्रकार की शर्तों का उल्लंघन होता है, तो उन्हें फिर से गिरफ्तार किया जा सकता है।
फर्जीवाड़ा | मध्यप्रदेश