मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में लगातार बढ़ रहे मामलों और जजों की कमी का असर साफ दिख रहा है। वर्तमान में यहां लगभग 4 लाख 62 हजार मामले लंबित हैं, जबकि न्यायाधीशों के स्वीकृत 53 पदों में से केवल 33 जज काम कर रहै हैं। इससे जजों पर मामलों के निपटारे का दबाव लगातार बढ़ रहा है।
एक जज पर औसतन 14 हजार मामले
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की मुख्य पीठ जबलपुर के साथ तीनों पीठों में कुल 4 लाख 62 हजार से ज्यादा मामले लंबित हैं। न्यायाधीशों की कमी के चलते औसतन एक जज पर 14 हजार से ज्यादा मामलों का बोझ है, जो पेंडिंग मामलों की बढ़ती संख्या का एक मुख्य कारण है।
2025 में 9 जजों की रिटायरमेंट
2025 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के साथ ही 8 दूसरे जज रिटायर हो रहे हैं, जिसके बाद हाईकोर्ट की कार्यक्षमता पर और दबाव बढ़ सकता है।
नई नियुक्तियों की संभावना
हालांकि, नए साल में नई नियुक्तियों की उम्मीद जताई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, हाईकोर्ट कॉलेजियम ने वकीलों के नाम सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को भेजे हैं। सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बाद इन नामों को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।
कानूनी प्रक्रिया में देरी
कुछ समय पहले, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी ने केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से मुलाकात कर न्यायाधीशों के रिक्त पदों को भरने की मांग की थी। वहीं, पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा भेजे गए कुछ नाम अब भी कानून विभाग के पास लंबित हैं।
न्यायिक सुधार की आवश्यकता
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में जजों की कमी के कारण न्यायिक प्रक्रिया में देरी हो रही है और इससे आम लोगों के न्याय पाने में भी दिक्कतें आ रही हैं। इस स्थिति को सुधारने के लिए जल्दी ही जजों की नियुक्ति जरूरी हो गई है, ताकि पेंडिंग मामलों को निपटाया जा सके और न्यायिक प्रणाली को तेज किया जा सके।
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