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पहले 5 प्वाइंट में समझें क्या है पूरा मामलामध्यप्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कार्पोरेशन (MPSEDC) में छुट्टी के नियम बदल गए हैं। अब सीएल के लिए तीन दिन पहले आवेदन देना जरूरी होगा। अर्न लीव पॉलिसी की अधिकतम सीमा 60 से घटाकर 30 दिन कर दी गई है। संविदा कर्मचारियों की अर्न लीव असंतोषजनक काम पर शून्य की जा सकती है। अटेंडेंस में कमी या गड़बड़ी पर उस दिन की सैलरी काटी जाएगी। | |
नई सीएल पॉलिसी: अब ‘आकस्मिक’ भी पहले से बतानी होगी
पहले कर्मचारी अचानक जरूरत पर सीएल ले लेते थे। अब नियम है कि सीएल के लिए भी तीन दिन पहले आवेदन देना होगा। कर्मचारी पूछ रहे हैं कि अचानक बीमारी या पारिवारिक इमरजेंसी में क्या होगा। उन्हें लगता है कि आकस्मिक जरूरत की परिभाषा ही बदल दी गई है।
अर्न लीव आधी, असर दोगुना
अब तक कर्मचारियों के पास 60 दिन तक अर्न लीव जमा हो सकती थी। नए आदेश में यह सीमा घटाकर 30 दिन कर दी गई है। कर्मचारियों को डर है कि आगे उनकी प्लान्ड छुट्टियां मुश्किल हो जाएंगी। कई लोग इसे सेवा शर्तों में बड़ा हस्तक्षेप मान रहे हैं।
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संविदा कर्मचारी सबसे ज्यादा दबाव में
संविदा स्टाफ पर अलग तरह की सख्ती रखी गई है। अगर उनका काम ‘असंतोषजनक’ माना जाएगा, तो अर्न लीव शून्य की जा सकती है। यानी लीव बैलेंस पूरी तरह खत्म होने का खतरा रहेगा। संविदा कर्मचारी इसे अनुचित और पक्षपाती प्रावधान मान रहे हैं।
अटेंडेंस चूकी तो सीधे सैलरी कट
नए आदेश में अटेंडेंस पर खास जोर दिया गया है। उपस्थिति में किसी भी तरह की चूक पर उस दिन की सैलरी कटेगी। कर्मचारियों का कहना है कि तकनीकी गड़बड़ी में भी नुकसान उन्हीं को होगा। उन्हें सिस्टम में मानवीय समझ की कमी महसूस हो रही है।
ऑफिस टाइमिंग और बदलते नियमों की शिकायत
कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि ऑफिस टाइमिंग बार‑बार बदली जा रही है। उनका कहना है कि समय तय होने के बाद उसे स्थिर रहना चाहिए। लगातार बदलाव से निजी और पारिवारिक प्लान बिगड़ते हैं। इससे कर्मचारी और प्रबंधन के बीच दूरी बढ़ रही है।
कर्मचारियों की सबसे बड़ी नाराजगी क्या है?
कर्मचारी कह रहे हैं कि नियम बिना उनसे बात किए लागू किए गए। छुट्टी के आवेदन पर 48 घंटे में निर्णय का नियम पहले से है। उनका आरोप है कि अधिकारी समय पर मंजूरी नहीं देते। ऐसे में तीन दिन पहले आवेदन देने का नियम व्यावहारिक नहीं दिखता।
एमडी की दलील: वीकेंड की जुगाड़ रोकनी थी
एमडी आशीष वशिष्ठ ने नियम बदलने की वजह भी बताई है।उन्होंने बताया कि कुछ कर्मचारी शुक्रवार को आधा दिन छुट्टी लेते थे। फिर सोमवार को भी सेकेंड हाफ में ही दफ्तर पहुंचते थे। इससे बीच के दिनों में कामकाज पर असर पड़ता था।
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कर्मचारियों पर संभावित असर
नियमों से कई कर्मचारियों की छुट्टी की प्लानिंग बदल सकती है। लंबी छुट्टी या परिवार संग यात्रा की योजना मुश्किल हो सकती है। संविदा स्टाफ पर नौकरी सुरक्षित रखने का अतिरिक्त दबाव आएगा। कुल मिलाकर, ऑफिस माहौल अधिक औपचारिक और सख्त होता दिख रहा है।
आगे क्या हो सकता है?
कर्मचारी यूनियन नें इस मुद्दे पर चर्चा की तैयारी कर रही हैं। संभव है कि वे प्रबंधन से कुछ शर्तों में नरमी की मांग करें। अगर विरोध बढ़ा, तो नियमों में आंशिक बदलाव भी हो सकते हैं। फिलहाल सभी की नजरें MPSEDC की अगली बैठक पर हैं।
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