अब आउटसोर्स कर्मियों के साथ अंशकालीन, भृत्य और चौकीदारों ने भी खोला मोर्चा

आउटसोर्स कर्मचारी रविवार 22 सितंबर को अपना हक मांगने भोपाल पहुंचे। नीलम पार्क में हुए आउटसोर्स कर्मियों के जमावड़े को प्रदेश के अंशकालीन-अस्थाई कर्मी और पंचायत के चौकीदारों के संगठनों ने भी समर्थन दिया।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL : सरकार की बेरुखी और ठेकेदारों द्वारा किए जा रहे शोषण से नाराज आउटसोर्स कर्मचारी रविवार 22 सितंबर को अपना हक मांगने भोपाल पहुंचे। नीलम पार्क में हुए आउटसोर्स कर्मियों के जमावड़े को प्रदेश के अंशकालीन-अस्थाई कर्मी और पंचायत के चौकीदारों के संगठनों ने भी समर्थन दिया। आउटसोर्स, अशंकालीन और अस्थाई कर्मचारियों के संगठनों ने एक मंच से न्यूनतम वेतन, तृतीय-चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के खाली पड़े हजारों पदों पर संविलियन की मांग बुलंद की। कर्मचारियों के प्रदर्शन को कांग्रेस ने भी अपना खुला समर्थन दिया है। कांग्रेस के पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा और मुकेश नायक प्रदर्शन में मंच साझा करने भी पहुंचे। उधर कर्मचारियों को नियंत्रित करने दिनभर भारी पुलिस बल जहांगीराबाद क्षेत्र में तैनात रहा। प्रदर्शनकारी संगठनों के प्रतिनिधिमंडल की श्रम मंत्री से चर्चा  विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक हुई है।

भृत्य-चौकीदारों की भर्ती भूली सरकार

आउटसोर्स, अंशकालीन-अस्थाई और पंचायत कर्मी चौकीदार संघर्ष मोर्चा के प्रदर्शन के दौरान सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाए गए। कर्मचारी नेता वासुदेव शर्मा ने कहा सरकार 20 साल में भृत्य चौकीदार जैसे चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नियुक्ति नहीं कर पाई है। इन पदों पर ठेकेदारों के माध्यम से आउटसोर्स कर्मी रखकर काम लिया जा रहा है। सरकार के अधिकांश विभागों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के हजारों पद खाली हैं। इन पदों पर पूर्व में भी अस्थाईकर्मियों को अनुभव और योग्यता के आधार पर नियमित किया जाता रहा है। लेकिन बीते 20 साल में सरकार ने ठेकेदारों को बढ़ावा दिया है।

सरकारी विभागों का 80 फीसदी निजीकरण

सरकारी विभागों का 80 फीसदी निजीकरण हो चुका है। इनमें निजी कंपनियों से कर्मचारी लिए जा रहे हैं। सरकारी काम भी ठेके पर देकर कराया जा रहा है। जो कर्मचारी कंपनी के माध्यम से सरकारी विभागों में काम कर रहे हैं ठेकेदार उनको न्यूनतम वेतन तक नहीं देते। जबकि कलेक्टर रेट पर वेतन दिलाना सरकार की जिम्मेदारी है। बीते सालों में हजारों शिकायत कलेक्टरों से की जा चुकी हैं लेकिन अफसर आउटसोर्स कर्मियों के पक्ष में नहीं कंपनी  के पक्ष में खड़े दिखते हैं। सैकड़ों बार मांग करने के बाद भी सरकार अनसुना करती आ रही है। अब आउटसोर्स, अंशकालीन और अस्थाई कर्मचारी लामबंद हुए हैं। यदि सरकार हक नहीं देगी तो प्रदेश में कामगार क्रांति आंदोलन के जरिए वे अपनी आवाज बुलंद करेंगे। 

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सरकार के इशारे पर उलझा न्यूनतम वेतन का मामला

कांग्रेस नेता सज्जन सिंह वर्मा ने कहा पूरी सरकार कंपनियों के भरोसे चल रही है। कर्मचारियों के हक की किसी को चिंता नहीं है। आईएएस, आईपीएस जैसे अफसरों की भर्ती की जाती है लेकिन भृत्य-चौकीदार जैसे पदों पर नियुक्ति नहीं होती, क्योंकि अफसरों से कमाई होती है। गरीब कर्मचारी उन्हें क्या दे पाएंगे। पूर्व मंत्री ने सरकार को चेतावनी दी गरीब की आंखों से बहने वाला सैलाब सरकारों को बहा ले जाता है। पूर्व मंत्री मुकेश नायक ने कहा बीजेपी सरकार ने विधानसभा चुनाव में वोट जुटाने झूठा वादा किया था लेकिन न्यूनतम वेतन नहीं दिया। लोकसभा चुनाव के समय राजपत्र का प्रकाशन कराया और सरकार के इशारे पर हाईकोर्ट में याचिका लगवाकर इस मामले में कानूनी अड़ंगा डाल दिया गया।

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मंत्री से मोबाइल फोन पर चर्चा के बाद माने प्रदर्शनकारी

प्रदेश के लगभग हर जिले से हजारों अस्थाई-अशंकालीन कर्मचारी, चौकीदार रविवार को आउटसोर्स कर्मियों के आंदोलन में शामिल होने भोपाल पहुंचे थे। आंदोलन के दौरान अव्यवस्था न फैले इसके लिए प्रशासन भी अलर्ट रहा। सैकड़ा भर पुलिसकर्मी दर्जनभर वाहन लेकर प्रदर्शन स्थल पर तैनात किए गए थे। प्रदर्शन के उग्र होने पर पुलिस अफसरों ने गिरफ्तारी के इंतजाम भी पहले ही कर लिए थे। श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल द्वारा मोबाइल फोन पर की गई चर्चा के बाद प्रतिनिधिमंडल और अधिकारियों की बैठक हुई। बताया जाता है बैठक में आउटसोर्स, अंशकालीन और अस्थाई कर्मियों की कई मांगों पर सहमति बनी है। न्यूनतम वेतन को लेकर न्यायालय में फंसे मामले की बाधा दूर करने के संबंध में भी अधिकारियों ने आश्वासन दिया है। जल्द ही सरकार के स्तर पर इन मांगों को लेकर बैठक कर समाधान तलाशा जाएगा।

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