संजय गुप्ता, INDORE. पीआईबी (pib) यानी केंद्र सरकार का औपचारिक प्रेस इन्फार्मेशन ब्यूरो की फैक्ट चेक यूनिट को सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल बंद करने के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ बताया है। इसी तरह की यूनिट मप्र में जनसंपर्क विभाग की भी जनसंपर्क फैक्ट के नाम से चल रही है, जो लगातार सरकार के खिलाफ आने वाली न्यूज का खंडन करने का काम करती है।
पहले देखते हैं, पीआईबी पर क्या हुआ
पीआईबी की फैक्ट चेक यूनिट को एडिटर्स गिल्ड ने सेंसरशिप बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। इस यूनिट का उद्देश्य फर्जी खबरों को चेक करना और उसे रोकना बताया गया। सीजेआई डीवीई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ बताया। साथ ही आदेश दिए कि केंद्र सरकार इस फैक्ट चेक यूनिट को बंद करे।
ये खबरें भी पढ़ें...
Indore bawadi accident : बावड़ी हादसे में 36 मौत की जिम्मेदारी ट्रस्ट अध्यक्ष, सचिव ने नगर निगम पर डाली
नकुलनाथ ने छिंदवाड़ा से दाखिल किया नामांकन, कमलनाथ बोले होगी सच्चाई की जीत
व्यापमं घोटाले में जेल गए नानेश को कांग्रेस ने बनाया जिलाध्यक्ष
RGPV : यूनिवर्सिटी में 19.48 करोड़ रुपए की गड़बड़ी का मामला, रजिस्ट्रार राजपूत का खुलासा
कमलनाथ सरकार गिरने के बाद बनी थी यह यूनिट
मप्र में इसी तरह मप्र सरकार की जनसंपर्क फैक्ट चेक यूनिट है। यह विविध सोशल मीडिया पर मौजूद है। इसे साल 2020-2021 में कमलनाथ सरकार गिरने और वापस बीजेपी में शिवराज सरकार के गठन के बाद शुरू किया गया। इसका मूल काम है जो भी समाचार पत्र, ऑनलाइन न्यूज, वाट्सअप संदेश सरकार के खिलाफ चले, उनका खंडन डालना और बताना कि यह यह सूचना गलत और भ्रामक है, सही फैक्ट यह है।
केवल पांच विभाग को फॉलो करती है यह यूनिट
मप्र जनसंपर्क विभाग की यह यूनिट सोशल मीडिया X पर भी है। यहां यह केवल पांच एकाउंट को फॉलो करता है। इसमें पीआईबी मप्र, जीएडी मप्र, पीआईबी फैक्ट चेक, सीएम मप्र और जनसंपर्क मप्र शामिल है। इनकी न्यूज को शेयर और रीट्विट करने का काम भी यह विंग करती है।