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INDORE. मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) प्रदेश में भर्ती के लिए सबसे बड़ी एजेंसी है। अब यह अपने सबसे बुरे हाल से गुजर रहा है। आयोग कोशिश कर रहा है कि परीक्षा और भर्ती को ट्रैक पर लाया जाए।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव लगातार ढाई लाख भर्ती की बात कर रहे हैं। वहीं, समस्या की जड़ पर कोई नहीं जा रहा है। आयोग को किसी भी भर्ती के लिए अंतिम चरण इंटरव्यू कराना होता है। इसमें बोर्ड के एक सदस्य का बैठना अनिवार्य होता है।
वहीं, जुलाई माह से आयोग के पास चेयरमैन सहित केवल तीन सदस्य हैं। जबकि संवैधानिक तौर पर 5 सदस्यों का बोर्ड होता है। हालत यह है कि साल 2026 अभी से ही पूरी तरह पटरी से उतरता दिख रहा है।
दो परीक्षा के इंटरव्यू में ही चाहिए 5 महीने
आयोग को केवल दो परीक्षाओं के इंटरव्यू कराने हैं, इसमें कम से कम सात महीने लगेंगे। मेडिकल ऑफिसर के पद 1832 हैं। साथ ही, असिस्टेंट प्रोफेसर 2024 में (स्पोर्ट्स ऑफिसर व लाइब्रेरियन भी मिलाकर) 1900 से ज्यादा पद हैं।
मेडिकल ऑफिसर में करीब पांच हजार और असिस्टेंट प्रोफेसर में छह हजार से ज्यादा उम्मीदवार हैं। इन दो भर्ती के इंटरव्यू में कुल 11 हजार उम्मीदवार होंगे। एक बोर्ड औसतन एक दिन में 20 उम्मीदवारों के इंटरव्यू लेता है। ऐसे में तीन बोर्ड एक दिन में 60-70 उम्मीदवारों के इंटरव्यू ले सकेंगे। यानी एक साल 2026 में से आधा साल तो केवल इन दो भर्ती परीक्षाओं के इंटरव्यू में लगेंगे।
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फिर दूसरी भर्ती का क्या होगा
अब सवाल यह है कि साल 2025 की मेन्स कब होंगी। उनके इंटरव्यू कब होंगे। इसके लिए कम से कम 20-25 दिन का समय चाहिए। फिर यदि साल 2026 की परीक्षा एक साल में करानी है, तो उसके लिए साल के अंत में एक माह का समय भी जरूरी होगा।
इसके अलावा, फूड एंड सेफ्टी ऑफिसर के 67 पदों की परीक्षा 14 दिसंबर को हो रही है। इसके इंटरव्यू भी रहेंगे। इसके साथ ही आयोग की आगे माइनिंग ऑफिसर, दंत चिकित्सा परीक्षा 2024, सहायक पंजीयक परीक्षा 2024, परिवहन उप निरीक्षक 2025 के इन सभी के भी इंटरव्यू होंगे। आगे यदि राज्य वन सेवा, एडीपीओ जैसी भर्ती व अन्य भर्तियां भी आती हैं, तो फिर इनके इंटरव्यू भी रहेंगे।
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ऐसे तो दो से तीन साल लगेंगे
असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती 2022 की भर्ती तीन साल में हुई थी। ऐसे में अब असिस्टेंट प्रोफेसर 2024 के भले ही रिजल्ट आ गए हैं। वहीं, इंटरव्यू शेड्यूल करने और हर विषय के इंटरव्यू कराने में लंबा समय लगने वाला है। ऐसे में यह भर्ती भी लंबी खिंचने की संभावना है।
आयोग की रिपोर्ट में यह है
आयोग ने साल 2024-25 के अपने प्रतिवेदन में बताया कि उन्होंने 6260 उम्मीदवारों के इंटरव्यू किए थे। इसके जरिए 1479 उम्मीदवारों के चयन की अनुशंसा की गई थी। यह तब था जब आयोग में कम से कम चार बोर्ड थे। अब जुलाई 2025 से केवल तीन बोर्ड ही हैं।
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आयोग के सदस्यों की हालत
सूत्रों ने पिछले 20 सालों का रिकॉर्ड खंगाला है। इन सालों में आयोग में कभी भी पूरे पांच सदस्य नियुक्त नहीं हुए। वर्तमान चेयरमैन डॉ. राजेश लाल मेहरा हैं। यह बतौर सदस्य जुलाई 2017 में आयोग में आए थे। फिर 2020 तक सदस्य रहे और इसके बाद चेयरमैन पद पर हैं।
आयोग में सदस्य डॉ. कृष्णकांत शर्मा हैं। वह दिसंबर 2021 में सदस्य बने थे। एक और सदस्य प्रोफेसर नरेंद्र कोष्ठी हैं, जो 1 मार्च 2024 को सदस्य बने थे।
देखिए, हालत 20 साल में कभी पांच योग्य उम्मीदवार नहीं मिले
अब सरकार की हालत देखिए, पिछले 20 सालों में आयोग में केवल 13 सदस्य नियुक्त हुए। 2005-06 से लेकर 2025 तक, आयोग में कभी भी पूरे पांच सदस्य नहीं रहे हैं। हमेशा तीन-चार सदस्यों (चेयरमैन सहित) के साथ ही आयोग का काम चलता रहा है।
20 सालों में केवल इनकी हुई नियुक्ति...
2006 में- शोभा पैठणकर
2007- प्रकाश भर्तुनिया
2012- विपिन ब्योहर, एनके तनेजा, एसपी गौतम
2016- भास्कर चौबे
2017- आरएल मेहरा, सीमा शर्मा
2019- चंद्रशेखर रायकवार
2020- देवेंद्र सिंह मरकाम और रमन सिंह सिकरवार
2021- डॉ. कृष्णकांत शर्मा
2024- नरेंद्र कोष्ठी
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क्यों जरूरी है आयोग में सभी सदस्य
आयोग में बाकी प्रशासनिक काम तो चलते रहते हैं, भले ही सभी पांच लोग पूरे हों या नहीं। वहीं, इनकी सबसे अहम जरूरत होती है इंटरव्यू के लिए। किसी भी इंटरव्यू के लिए आयोग के एक सदस्य की उपस्थिति होना अनिवार्य होती है।
यदि चेयरमैन सहित चार सदस्य होते हैं तो कुल पांच बोर्ड सदस्य बन सकते हैं। इसके बावजूद जैसे अभी केवल तीन लोग हैं, तो बोर्ड तीन ही बन सकते हैं। औसतन एक बोर्ड में हर दिन औसतन 15 अभ्यर्थियों के इंटरव्यू हो सकते हैं।
इसका मतलब यह है कि जो इंटरव्यू हर दिन 70-80 के हो सकते थे, वह अभी केवल 50 तक ही सीमित हो जाएंगे। ऐसे में इंटरव्यू की प्रक्रिया लंबी चलेगी, इसके चलते अंतिम चयन प्रक्रिया में देरी होना तय है।
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