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INDORE. मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग की 158 पदों की राज्य सेवा परीक्षा 2025 ( mppsc 2025) अब अटक गई है। इसकी मेंस परीक्षा 9 जून को शुरू होने वाली थी, लेकिन कोर्ट में केस होने से मामला बिगड़ गया। परीक्षा नियम 2015 को लेकर हाईकोर्ट में बेवजह एक याचिका दायर की गई है। बेवजह इसलिए क्योंकि इसी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले पहले से ही हैं। इस याचिका के कारण हाईकोर्ट ने स्टे दे दिया है। इसके बाद, मेंस परीक्षा को रोक दिया गया। अब एक और बुरी खबर आई है।
कितने उम्मीदवारों का है मामला
इस परीक्षा में 158 पद हैं। प्री का रिजल्ट मार्च में आया था। इसमें 87 फीसदी कैटेगरी में 3866 सफल हुए। वहीं 13 फीसदी उम्मीदवारों में से 828 सफल हुए। यानी कुल मिलाकर 4694 उम्मीदवार मेंस के लिए मार्च से इंतजार कर रहे हैं।
अब इस साल मेंस होना मुश्किल
बुरी खबर यह है कि मेंस के शेड्यूल को लेकर चीफ जस्टिस की बेंच में 9 अक्टूबर को केस लगा था, लेकिन सुनवाई आगे बढ़ गई। अब हाईकोर्ट की साइट पर नई तारीख 10 नवंबर आई है। इसका मतलब है कि एक महीने का और इंतजार होगा।
अब यह सवाल है कि मेंस इस साल 2025 में होगी या नहीं? कारण है कि आयोग को परीक्षा कराने के लिए कम से कम 35-40 दिन चाहिए। यदि हाईकोर्ट 10 नवंबर को शेड्यूल मंजूर कर देता है, तो परीक्षा दिसंबर अंत में हो सकती है। नहीं तो फिर यह अगले साल 2026 में होगी।
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इतनी तारीख और ऐसे बढ़ती गई मेंस
आयोग ने 158 पदों के लिए भर्ती निकाली थी। पहले प्री परीक्षा जल्दी कराई गई और 5 मार्च को रिजल्ट जारी किया गया। मेंस का शेड्यूल 9 जून को रखा गया था। आयोग का प्लान था कि तीन-चार महीने में मेंस का रिजल्ट दे देंगे। वहीं, दिवाली के बाद इंटरव्यू कराए जाएंगे। फिर इसी साल भर्ती पूरी कर अंतिम रिजल्ट जारी कर दिया जाएगा।
25 मार्च को हाईकोर्ट में परीक्षा नियम 2015 को लेकर दो याचिकाएं दायर हुईं। इसके बाद हाईकोर्ट ने प्री रिजल्ट पर रोक लगा दी। 2 अप्रैल को यह पता चला कि रिजल्ट जारी हो चुका है। फिर हाईकोर्ट ने मेंस पर रोक लगा दी। साथ ही, प्री के कटआफ की पूरी जानकारी मांगी। 15 अप्रैल को आयोग ने कटआफ पेश कर दिया, लेकिन मेंस पर रोक नहीं हटी। इसके बाद आयोग ने 9 जून से होने वाली मेंस को स्थगित कर दिया।
21 जुलाई को चीफ जस्टिस की बेंच में सुनवाई हुई। बेंच ने कहा कि जब आपने प्री का कटआफ दे दिया है, तो मेंस कराइए। आयोग ने बताया कि हाईकोर्ट ने दो अप्रैल के आदेश से रोक लगा रखी है, इसलिए आपकी मंजूरी लगेगी। इस पर बेंच ने कहा कि आप मेंस का शेड्यूल अगली तारीख में पेश करें।
अगली तारीख 5 अगस्त को लगी, लेकिन केस नहीं लगा। फिर 23 सितंबर को डे मिनट सुनवाई हुई। इसमें आयोग के वकील ने निवेदन किया कि मेंस शेड्यूल ओके किया जाए। पांच महीने की देरी हो चुकी है, लेकिन समय और बढ़ा दिया गया। फिर 9 अक्टूबर की तारीख भी लगी, लेकिन केस सुनवाई पर नहीं आया। अब नई तारीख 10 नवंबर आई है।
यह है परीक्षा नियम 2015 का विवाद
यह नियम 2000 से चल रहा है। इसके अनुसार, यदि आरक्षित कैटेगरी वालों ने छूट ली है, तो उन्हें उसी कैटेगरी में रखा जाएगा। वे अनारक्षित कैटेगरी में शिफ्ट नहीं होंगे। इसमें प्री के अंक, आयु सीमा जैसी छूट शामिल है। इस नियम को याचिका में चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि मेरिट के आधार पर उम्मीदवार को शिफ्ट किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट दे चुका फैसला, हाल में त्रिपुरा केस में भी दिया
कुछ दिन पहले द सूत्र ने इस मुद्दे पर रिपोर्ट दी थी। रिपोर्ट में बताया गया था कि सुप्रीम कोर्ट में भी यह मामला उठ चुका है। वहां से इस नियम को मंजूरी मिल चुकी है। द सूत्र ने टीना डाबी सहित अन्य मामलों का उदाहरण दिया था। इसी आधार पर सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) भोपाल ने रिपोर्ट बनाई। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में रख रहे हैं। यह परीक्षा नियम आज का नहीं, 2000 से है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने त्रिपुरा हाईकोर्ट के एक केस में इस नियम को सही ठहराया। कोर्ट ने कहा कि भर्ती विज्ञापन में दी गई छूट को बदल नहीं सकते।
मप्र राज्य सेवा परीक्षा नियम 2015 आज से नहीं, बल्कि नवंबर 2000 में दिग्विजय सिंह की सरकार के समय बने थे। तब यह नियम तय किया गया था कि आरक्षित वर्ग को कई तरह की छूट दी जाएगी, जैसे उम्र में छूट, कटआफ में छूट और शुल्क व व्यय में छूट। इसका मतलब यह है कि यदि किसी आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार को उम्र या कटआफ में छूट मिलती है, तो उसे मेरिट के आधार पर अनारक्षित वर्ग में नहीं जाना चाहिए। उसे उसी आरक्षित वर्ग में रहकर भर्ती में शामिल होना चाहिए। इस नियम के आधार पर हमेशा भर्ती होती रही है।
टीना डाबी सहित कई अन्य केस में सुप्रीम कोर्ट ने लगाई है मुहर
टीना डाबी ने यूपीएससी 2015 में टॉप किया था। फिर भी उन्हें एससी कैटेगरी की सीट मिली। उन्हें अनारक्षित में नहीं शिफ्ट किया गया। इसका कारण था कि एससी का कटआफ 94 था, जबकि अनारक्षित का 107 था। टीना को प्री में 96.66 फीसदी अंक मिले थे। वह एससी के कटआफ अंक छूट के साथ पास हुई। वह मेंस में टॉपर बनीं और 2025 में से 1063 अंक हासिल किए। फिर भी वह अनारक्षित में शिफ्ट नहीं हुईं। उन्हें अपना होम टाउन नहीं मिला और वह राजस्थान कैडर की आईएएस बनीं। इसी तरह दीपी विरुद्ध भारत सरकार का केस भी था। उन्होंने ओबीसी से अनारक्षित में जाने की मांग की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ओबीसी छूट लेने के कारण वह अनारक्षित में नहीं जा सकतीं।
डीओपीटी ने भी बना रखा है नियम
केंद्र के डिपार्टमेंट ऑफ पर्सोनेल एंड ट्रेनिंग का भी यही नियम है। यदि एसटी, एससी, ओबीसी के उम्मीदवार परीक्षा में किसी तरह की छूट लेते हैं, तो वे अनारक्षित में शिफ्ट नहीं होंगे। यही नियम मप्र सरकार ने भी अपनाया है।
इस तरह की छूट मिलती है
केंद्र की छूट के अनुसार, अनारक्षित कैटेगरी में परीक्षा देने के मौके कम होते हैं। वहीं, आरक्षित कैटेगरी में कई बार परीक्षा दे सकते हैं। इसके अलावा, प्री कटआफ अंक, उम्र सीमा और अन्य छूट भी मिलती हैं। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जब कोई छूट ली है, तो उसी कैटेगरी में रहना चाहिए। वही कैटेगरी में मेंस, इंटरव्यू और अंत में सफलता पाई जाती है।
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राज्य सेवा 2023 का अंतिम रिजल्ट भी ऐसे अटका
MPPSC राज्य सेवा परीक्षा 2023 के रिजल्ट पर भी कानूनी रोक है। प्री, मेंस और इंटरव्यू सब हो चुके हैं। लेकिन रिजल्ट पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। प्री के दो सवालों को लेकर आपत्ति आई थी। उम्मीदवारों के हक में फैसला आया था, फिर आयोग रिट अपील में गया। इसके बाद स्टे हो गया। इस केस की सुनवाई पूरी हो चुकी है। आर्डर एक सितंबर से रिजर्व है। जब तक आर्डर नहीं आ जाता है, आयोग अंतिम रिजल्ट नहीं जारी कर सकता। वहीं, 110 पदों के लिए हुई MPPSC राज्य सेवा परीक्षा 2024 का रिजल्ट आ चुका है। लेकिन 2023 का रिजल्ट न आने तक उन्हें जॉइनिंग नहीं मिलेगी। पहली बैच को पहले जॉइनिंग दी जाती है, नहीं तो सीनियरिटी का इश्यू आता है।
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उधर असिस्टेंट प्रोफेसर पर सुनवाई आज
वहीं, असिस्टेंट प्रोफेसर 2024 का रिजल्ट भी हाईकोर्ट के आदेश से रुका है। इस मामले में 13 अक्टूबर को सुनवाई हो सकती है। केस चीफ जस्टिस की बेंच में 26वें नंबर पर लिस्टेड है। इसमें आयोग ने लिखित परीक्षा का रिजल्ट जारी करने की राहत मांगी है।