मध्य प्रदेश के अस्पतालों में हर तीसरे-चौथे मरीज को दी जाने वाली मल्टीविटामिन टेबलेट की गुणवत्ता पर सवाल उठ गए हैं। जांच में सामने आया है कि यह दवा अमानक है और इसकी गुणवत्ता बेहद खराब पाई गई है। यही नहीं, स्पाइनल एनेस्थीसिया के लिए इस्तेमाल होने वाला बूपीवाकाइन डेक्सट्रोज 80 एमजी इंजेक्शन भी फेल हो गया है। स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित कंपनियों से जवाब मांगा है।
अस्पतालों में दी जा रही मल्टीविटामिन दवा फेल
मध्य प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों, जिला अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों को दी जाने वाली मल्टीविटामिन टेबलेट की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठे हैं। केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला, कोलकाता में हुई जांच में यह टेबलेट अमानक पाई गई है।
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कैसे हुई गड़बड़ी?
गुणवत्ता परीक्षण के दौरान पाया गया कि दवा की स्ट्रिप से निकालने पर टेबलेट फूट रही थी। इस दवा में सभी जरूरी विटामिन्स के साथ-साथ कैल्शियम और फोलिक एसिड का मिश्रण होता है।
यह दवा कोटेक हेल्थ केयर कंपनी द्वारा आपूर्ति की गई थी। इसका बैच नंबर CHT 40560 था और इसकी एक्सपायरी डेट अक्टूबर 2025 थी।
हर तीसरे-चौथे मरीज को दी जा रही थी यह दवा
डॉक्टर लगभग हर मरीज को यह मल्टीविटामिन दवा देते हैं, ताकि उनकी पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। भर्ती मरीजों के लिए यह दवा अत्यंत आवश्यक मानी जाती है। लेकिन अब इसकी गुणवत्ता को लेकर डॉक्टर और मरीज दोनों चिंतित हैं।
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स्पाइनल एनेस्थीसिया इंजेक्शन भी अमानक
मरीजों को सुन्न करने के लिए सर्जरी और डिलीवरी के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाला बूपीवाकाइन डेक्सट्रोज 80 एमजी इंजेक्शन भी गुणवत्ता परीक्षण में फेल हो गया है।
कैसे हुआ खुलासा?
सिविल सर्जन उज्जैन द्वारा केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला, कोलकाता को भेजे गए सैंपल की रिपोर्ट में इस इंजेक्शन के दो अलग-अलग बैच अमानक पाए गए।
इन बैचों की एक्सपायरी डेट...
- एक बैच की मई 2026
- दूसरे बैच की अगस्त 2026
क्यों होता है इस इंजेक्शन का इस्तेमाल?
यह एनेस्थीसिया इंजेक्शन छोटी-बड़ी सर्जरी और डिलीवरी के दौरान मरीज को बेहोश करने और दर्द से राहत देने के लिए दिया जाता है। लेकिन अब इसकी गुणवत्ता पर सवाल उठने के बाद, इसका उपयोग करना खतरनाक साबित हो सकता है।
स्वास्थ्य विभाग का एक्शन
मप्र पब्लिक हेल्थ सप्लाई कारपोरेशन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित दवा कंपनियों से जवाब मांगा है।
क्या होगा यदि कंपनियां संतोषजनक जवाब नहीं देतीं...
- उस बैच की दवाओं की पूरी कीमत कंपनियों को चुकानी होगी।
- भविष्य में इन कंपनियों को दवा सप्लाई के लिए ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है।
सुरक्षा उपाय और सरकार का अगला कदम...
- अस्पतालों को निर्देश दिया गया है कि वे अमानक दवाओं को तुरंत हटा दें।
- नई खेप की आपूर्ति से पहले हर बैच की जांच की जाएगी।
- अस्पताल प्रशासन को मरीजों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश दिए गए हैं।