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भोपाल. मध्यप्रदेश में हर घर नल-जल योजना अब घोटाले का शिकार होती दिख रही है। मऊगंज जिले की एक पंचायत में हुए गोलमाल की आंच अब पूरे प्रदेश पर आ रही है। जब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के सामने यह मामला आया तो उन्होंने नाराजगी जताई। इन सबके बाद पंचायत विभाग ने प्रदेश की आठ हजार पंचायतों में जांच बिठा दी है।
क्या है पूरा मामला?
दो दिन पहले सीएम मोहन यादव समाधान ऑनलाइन कार्यक्रम में जनता की शिकायतें सुन रहे थे। प्रदेश के 12 जिलों से जुड़े मामलों पर सीधी सुनवाई हो रही थी। इसी दौरान मऊगंज जिले की नईगढ़ी ब्लॉक की ग्राम पंचायत गेरुआरी सेगरान की आवेदिका राजकुमारी की शिकायत आई। उसने सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराई थी। उसका कहना था कि गांव में ग्रामीणों को पानी की सुविधा नहीं मिली है। सीएम ने तुरंत पीएचई विभाग के प्रमुख सचिव पी.नरहरि से जवाब—तलब किया। जवाब आया कि गांव में सिर्फ 42 घर हैं और वहां तकनीकी दिक्कत को मैकेनिकल विंग ने सुलझा दिया है।
लेकिन असली बम तब फूटा, जब आवेदिका ने मुख्यमंत्री को बताया कि साहब, नल-जल योजना का लाभ ही नहीं मिल रहा है। इस पर सरपंच और सचिव से जवाब-तलब किया गया, उन्होंने बताया कि जब हमें नल जल योजना हैंडओवर ही नहीं हुई है तो हम क्या करें। इस पर उन्हें कागजात दिखाए तो पता चला कि उनके फर्जी साइन किए गए हैं। इस तरह यह पूरा मामला सीएम के सामने खुल गया।
क्या होना था और क्या किया?
नियम साफ है कि जब पीएचई विभाग किसी पंचायत में नल-जल योजना का काम पूरा करता है, तो उसे आईएसए (Implementation Support Agency) के जरिए पंचायत को सौंपना होता है। उसके बाद पंचायत को इसका संचालन करना होता है। लेकिन मऊगंज की गेरुआरी सेगरान पंचायत में तो पूरी कहानी ही उलट थी। कागजों में योजना का हैंडओवर दिखा दिया गया। पंचायत प्रतिनिधियों के नकली साइन कराए गए। असल में नल-जल योजना गांव के लोगों तक पहुंची ही नहीं।
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8 हजार पंचायतों पर बैठी जांच
मऊगंज का यह मामला सामने आने के बाद पूरा शासन-प्रशासन हिल गया है। पंचायत विभाग की पीएस दीपाली रस्तोगी ने तत्काल एक्शन लेते हुए प्रदेश की उन 8 हजार पंचायतों की जांच का आदेश दे दिया है, जहां कहा जा चुका है कि नल-जल योजना पंचायतों को सौंप दी गई है।
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'द सूत्र' ने की पड़ताल
द सूत्र ने जब इस पूरे मामले पर संबंधित अधिकारियों से बात करनी चाही, तो रीवा ईई ने कहा कि मामला जांच में है। वहीं, आईएसए कंट्रोलर पंकज से संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने फोन उठाना ही मुनासिब नहीं समझा।
प्रदेश में करोड़ों का बजट खर्च कर बनाई गई नल-जल योजना आखिर किसके लिए है? जनता के लिए या भ्रष्टाचारियों की जेबें भरने के लिए? मऊगंज का यह खुलासा तो बस शुरुआत है। अगर 8 हजार पंचायतों में भी इसी तरह का खेल सामने आया, तो यह बड़ा मामला होगा।