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क्या कोई व्यक्ति सैकड़ों दिन तक बिना कुछ खाए केवल पानी पर जिंदा रह सकता है? विज्ञान कहता है नहीं, पर मध्यप्रदेश के संत दादा गुरु (भैया जी सरकार) विज्ञान को चुनौती दे रहे हैं। बीते 1650 से ज्यादा दिन से वे बिना अन्न, फल, दूध या किसी सप्लीमेंट के सिर्फ नर्मदा जल पर जीवित हैं। खास बात ये कि उनकी सेहत बिलकुल सामान्य है। अब 11 जुलाई 2025 को उनके निराहार व्रत के 1700 दिन पूरे हो जाएंगे।
दादा गुरु के इस आश्चर्यजनक जीवन को अब वैज्ञानिक और डॉक्टर भी समझने की कोशिश कर रहे हैं। मध्यप्रदेश सरकार ने उनकी सेहत पर वैज्ञानिक आधार पर स्टडी कराई है। उसकी रिपोर्ट अब सामने आई है। इसमें कई ऐसे तथ्य हैं, जो मेडिकल साइंस की सीमाओं को लांघते नजर आते हैं। दादा गुरु की इस अविश्वसनीय आध्यात्मिक तपस्या को सदी की बड़ी महाव्रत साधना बताया जा रहा है।
'द सूत्र' के पास यह रिपोर्ट है, जिससे हम अपने पाठकों को बताएंगे दादा गुरु के जीवन का रहस्य! पढ़िए ये खास रिपोर्ट...
सरकारी शोध में चौंकाने वाले तथ्य
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मध्यप्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने वीडियो के जरिए इस रहस्य से पर्दा उठाया है। उन्होंने बताया कि दादा गुरु पर की गई रिसर्च की रिपोर्ट 3 जून को पचमढ़ी में हुई कैबिनेट बैठक में मान्य की गई है। विशेषज्ञों की ओर से तैयार की गई यह 124 पन्नों की रिपोर्ट बताती है कि दादा गुरु के शरीर के सभी जैविक पैरामीटर सामान्य हैं।
मंत्री पटेल ने कहा, यह मानव शरीर की सीमाओं से परे का मामला है। इस रिसर्च को अब देश-विदेश की शोध संस्थाओं को भेजा जाएगा, ताकि दादा गुरु के प्रकृति आधारित जीवन के रहस्यों की व्यापक जांच की जा सके।
नर्मदा जल पर जीवित रहने वाले कौन हैं दादा गुरु?
साधना, सेवा और संयम का अपूर्व संगम हैं दादा गुरु। उनका जीवन नर्मदा को समर्पित है। उनका दावा है कि वे न तो अन्न लेते हैं, न फल, न दूध, न कोई पूरक आहार। सिर्फ नर्मदा जल और वही उनकी जीवन रेखा है। उनकी साधना अब आध्यात्मिक रहस्य से आगे वैज्ञानिक चुनौती बन चुकी है। डॉक्टर्स, फिजियोलॉजिस्ट और बायोलॉजिकल साइंटिस्ट्स अब इस पर सवाल नहीं, शोध करना चाहते हैं।
2.5 लाख किमी की पदयात्रा कर चुके दादा गुरु
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लंबे अरसे से दादा गुरु निराहार व्रत पर हैं, लेकिन उनका तप यहीं नहीं थमता। वह नर्मदा नदी की परिक्रमा में निरंतर जुटे हैं। बीते वर्षों में वे करीब ढाई लाख किलोमीटर पदयात्रा कर चुके हैं। अभी वे अपनी तीसरी नर्मदा परिक्रमा पर हैं। उनका कोई स्थायी निवास नहीं है। वे जबलपुर स्थित अपने आश्रम से इस अद्भुत जीवनयात्रा पर हैं। खास बात यह है कि वे निराहार होने के बावजूद रक्तदान भी कर रहे हैं।
दादा गुरु पर आई 124 पन्नों की रिपोर्ट
दादा गुरु पर मेडिकल यूनिवर्सिटी, जबलपुर और एम्स भोपाल की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन इसकी प्रमुख बातें सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों ने साझा की हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, दादा गुरु के शरीर में मेटाबॉलिज्म, हॉर्मोनल बैलेंस और इम्यून सिस्टम पूरी तरह सामान्य है। कोई डिहाइड्रेशन, मसल लॉस या न्यूरोलॉजिकल डिसफंक्शन नहीं दिखा। यह मानव जीवन की ज्ञात सीमाओं से बाहर की घटना है।
जानिए वो सब कुछ जो रिपोर्ट में है...
रिसर्च टीम में कौन-कौन?
यह अध्ययन मध्यप्रदेश सरकार के निर्देश पर 22 से 29 मई 2024 के बीच नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज, जबलपुर में किया गया। एम्स भोपाल के विशेषज्ञों का भी सहयोग रहा। जांच करने वाली टीम में प्रोफेसर डॉ.आर.एस.शर्मा (हृदय रोग विशेषज्ञ और पूर्व कुलपति), प्रो.पी.पुनीकर (मेडिसिन विभाग) और प्रो आर महोबिया (पैथोलॉजी विभाग) शामिल रहे। उनके साथ रेजिडेंट डॉक्टर्स, पैरामेडिकल स्टाफ और पुलिस कर्मियों का भी सहयोग रहा।
इस तरह की गई रिसर्च
शोध की अवधि में हर दिन तय समय पर दादा गुरु के शरीर, मन, खून की जांच और अन्य मेडिकल परीक्षण किए गए। उनकी निगरानी लगातार CCTV कैमरों, वीडियोग्राफी और पुलिसकर्मियों ने की। शोध का आखिरी दिन 29 मई 2024 को रात 8 बजे सारे डाटा को इकट्ठा कर वैज्ञानिक तरीके से विश्लेषण किया गया। आठ दिन की अवधि में दादा गुरु ने कोई खाना या पोषक आहार नहीं लिया। वे सिर्फ नर्मदा नदी का 300 से 1000 मिलीलीटर पानी प्रतिदिन पीते रहे। हर दिन सुबह 7 बजे से 25-30 किलोमीटर की नर्मदा परिक्रमा करते थे, वो भी 45 डिग्री तक के तापमान के बीच। इसके बावजूद उनकी तबीयत सामान्य रही। शरीर और मन दोनों ठीक थे।
जांच में अधिकतर रिपोर्ट नॉर्मल
जांचों में अधिकतर रिपोर्ट नॉर्मल आईं। केवल कुछ जगह मामूली बदलाव दिखे। जैसे दो बार शुगर का स्तर थोड़ा कम (57 और 65 mg/dL) मिला, पर उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई। बिना इलाज के यह अपने आप सामान्य हो गया। कुछ टेस्ट में किडनी से जुड़ी रिपोर्ट जैसे ब्लड यूरिया और क्रिएटिनिन थोड़ा बढ़ा हुआ दिखा, लेकिन इसका भी कोई असर नहीं दिखा और आगे नहीं बढ़ा। सफेद रक्त कणिकाओं और प्लेटलेट्स में भी थोड़ी गड़बड़ी दिखी, लेकिन ये भी अपने आप सामान्य हो गई। डॉक्टरों ने इसे 'नॉन-स्पेसिफिक' यानी कोई खास वजह न बताने योग्य माना।
सबसे चौंकाने वाली बात ये रही
जो बात सबसे चौंकाने वाली रही, वो ये कि दादा गुरु बिना खाए इतने दिन तक इतनी लंबी पैदल यात्रा और शारीरिक मेहनत कैसे कर पा रहे थे? ये सामान्य इंसान के लिए नामुमकिन जैसा है। शरीर विज्ञान कहता है कि जब शरीर को ऊर्जा नहीं मिलती तो शुरुआत में खून में मौजूद ग्लूकोज इस्तेमाल होता है। इसके खत्म होने पर शरीर लिवर, किडनी और मांसपेशियों में जमा ग्लाइकोजन जलाकर ऊर्जा बनाता है। फिर फैट (वसा) और अंत में प्रोटीन का इस्तेमाल होता है, लेकिन दादा गुरू के शरीर में ग्लूकोज का स्तर ज्यादातर समय सामान्य रहा।
खून में 'कीटोन बॉडीज' (जो फैट से ऊर्जा बनने के बाद बनती हैं) की मात्रा भी सामान्य रही। यूरिन में कीटोन नहीं मिला, यानी फैट जलने के बाद बनने वाला रसायन शरीर से नहीं निकल रहा था।
इसका मतलब ये है कि दादा गुरु का शरीर बेहद कम मात्रा में ऊर्जा खर्च कर रहा था, लेकिन फिर भी वो पूरी तरह स्वस्थ और सामान्य तरीके से चल-फिर रहे थे। यानी उनके शरीर के अंग और कोशिकाएं बहुत ही कम ईंधन में काम कर रही थीं।
दादा गुरु क्या कहते हैं...
मुझे ऊर्जा पेड़-पौधों, नदियों, पत्थरों, जमीन और हवा से मिलती है। नर्मदा परिक्रमा के दौरान मैं कुछ नहीं खाता-पीता, सिर्फ हवा से ऊर्जा लेता हूं। तेज धूप में भी मुझे परेशानी नहीं होती। उल्टा मुझे सूर्य से ज्यादा ऊर्जा मिलती है। मेरा गला भी सूखता नहीं। परिक्रमा के बाद नर्मदा जल पीता हूं। महसूस करता हूं कि उसमें अपार ऊर्जा है। अगर आप निष्काम भाव से और शुद्ध आत्मा के साथ रहेंगे तो प्रकृति खुद आपको ऊर्जा देगी। हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए। उसके संपर्क में रहना चाहिए। नर्मदा, उसके घाट, जंगल और पहाड़ ऊर्जा के भंडार हैं। प्रकृति शरीर को ठीक रखने में बहुत मदद करती है।
पानी की भी जांच कराई
अब सबसे खास बात। दादा गुरु जो नर्मदा जल पीते हैं, उसका क्वालिटी कैसी है? यह समझने के लिए रिसर्च टीम ने नर्मदा जल की भी जांच कराई। दादा गुरु पर हुए शोध के दौरान उन्होंने जो जल (पानी) पीया उसका बारीकी से परीक्षण किया गया। यह जांच जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज और भोपाल की एम.पी. काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (MPCST) ने मिलकर की। रिपोर्ट से पता चला कि यह पानी बहुत शुद्ध और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।
पानी की जांच से जुड़ी अहम जानकारियां...
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स्वाद और गंध: पानी का स्वाद और खुशबू ठीक और पसंद आने लायक थी।
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पीएच लेवल: इसका पीएच 7.4 पाया गया, जो हल्का क्षारीय (alkaline) होता है और शरीर के लिए बेहतर माना जाता है।
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मिनरल्स: पानी में घुले हुए ठोस पदार्थ (Total Dissolved Solids- TDS), कैल्शियम, मैग्नीशियम और नाइट्रेट जैसी चीजें सही और सुरक्षित मात्रा में थीं। आयरन, क्लोराइड, फ्लोराइड और सल्फेट ये सभी जरूरी तत्व भी संतुलित मात्रा में पाए गए, जो शरीर के लिए हानिकारक नहीं हैं।
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पानी की जांच में हानिकारक धातुएं नहीं मिलीं, जैसे कैडमियम, सीसा (लेड), मरकरी या कोई खतरनाक जैविक रसायन (ऑर्गेनिक कंपाउंड)। फिनॉल, सल्फाइड, बोरॉन और कीटनाशक ये सभी खतरनाक तत्व पानी में बिल्कुल नहीं थे।
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सूक्ष्मजीव परीक्षण: इसमें मामूली मात्रा में कोलीफॉर्म बैक्टीरिया मिले, लेकिन ई-कोलाई जैसा हानिकारक बैक्टीरिया नहीं पाया गया।
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अन्य हानिकारक रसायन: सायनाइड, अमोनिया, बेरियम, सेलेनियम, मोलिब्डेनम, एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन और एल्युमिनियम जैसी चीजें भी नहीं मिलीं।
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रेडियोधर्मी तत्व: पानी में कोई भी रेडियोधर्मी (radioactive) पदार्थ नहीं पाया गया।
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ग्लूकोज, सुक्रोज, प्रोटीन: ये ऊर्जा देने वाले तत्व पानी में नहीं थे, लेकिन सोडियम और पोटेशियम जैसे जरूरी खनिज बहुत ही कम मात्रा में पाए गए।
FAQ- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
संत दादा गुरू | sant dada guru | नर्मदा जल से जीवित हैं संत दादा गुरु | प्रहलाद पटेल | कैलाश विजयवर्गीय
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FAQ- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
नर्मदा जल पर जीवित रहे वाले दादा गुरु के बारे में बताइए?साधना, सेवा और संयम का अपूर्व संगम हैं दादा गुरु। उनका जीवन नर्मदा को समर्पित है। उनका दावा है कि वे न तो अन्न लेते हैं, न फल, न दूध, न कोई पूरक आहार। सिर्फ नर्मदा जल और वही उनकी जीवन रेखा है। उनकी साधना अब आध्यात्मिक रहस्य से आगे वैज्ञानिक चुनौती बन चुकी है। डॉक्टर्स, फिजियोलॉजिस्ट और बायोलॉजिकल साइंटिस्ट्स अब इस पर सवाल नहीं, शोध करना चाहते हैं।दादा गुरु का शरीर किस प्रकार से इतने दिनों तक शारीरिक मेहनत और यात्रा को सहन करता है?दादा गुरु का शरीर बहुत कम ऊर्जा (energy) का उपयोग करता है और उनकी शारीरिक स्थिति पूरी तरह से सामान्य रहती है। उनके शरीर का मेटाबोलिज्म (metabolism) और इम्यून सिस्टम (immune system) सामान्य है, जो इस प्रक्रिया को संभव बनाता है।नर्मदा जल की गुणवत्ता कैसी है, जो दादा गुरु पीते हैं?नर्मदा जल का पीएच (pH) 7.4 पाया गया, जो हल्का क्षारीय (alkaline) होता है और शरीर के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसमें कोई हानिकारक तत्व जैसे कैडमियम (cadmium) या सीसा (lead) नहीं पाए गए हैं।