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Photograph: (THESOOTR)
BHOPAL. राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने मध्यप्रदेश सरकार को ठोस कचरा प्रबंधन (Solid Waste Management) में लापरवाही पर कड़ी चेतावनी दी है। भोपाल स्थित केन्द्रीय क्षेत्र पीठ ( central sector bench ) ने मामले की सुनवाई की। राज्य को ठोस कचरा प्रबंधन नियम 2016 का सख्ती से पालन करने और पुराने कचरा ढेरों के निपटारे के निर्देश दिए गए हैं।
पर्यावरण और जनस्वास्थ्य पर मंडरा रहा खतरा
NGT ने कहा कि प्रदेश के कई हिस्सों में बिना संसाधित ठोस कचरा और पुराने डंप साइट अब पर्यावरण सुरक्षा (environmental protection) और जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन चुके हैं। इन डंपिंग ग्राउंड्स से निकलने वाली गैस और दुर्गंध न केवल लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है, बल्कि भूजल और मिट्टी की गुणवत्ता पर भी विपरीत असर डाल रही है।
एनजीटी ने राज्य सरकार को समयबद्ध, जवाबदेह और मिशन मोड में कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं ताकि यह समस्या केवल योजनाओं तक सीमित न रहे, बल्कि जमीन पर इसका ठोस असर दिखे।
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हर जिले में बनेगा वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट
एनजीटी ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि सभी जिला मुख्यालयों, अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में आवश्यकतानुसार ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण एवं उपचार संयंत्र (Waste Processing & Treatment Plants) की स्थापना की जाए।
यह कदम इसलिए जरूरी माना गया है क्योंकि फिलहाल अधिकांश नगरपालिकाओं और पंचायतों में कचरे के वैज्ञानिक निस्तारण की सुविधा उपलब्ध नहीं है, जिसके चलते खुले में डंपिंग का चलन बना हुआ है।
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पुराने डंप साइटों की जमीन का होगा उपयोग
अधिकरण ने पुराने कचरा ढेरों (legacy waste sites) की भूमि के उपयोग को लेकर भी एक विस्तृत योजना निर्धारित की है। इसके अनुसार-
- एक-तिहाई भूमि पर घने वन या पौधरोपण किया जाएगा, जिसके लिए CAMPA फंड का उपयोग किया जा सकेगा।
- एक-तिहाई भूमि पर एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन सुविधाएं (Integrated Waste Management Facilities) स्थापित की जाएंगी।
- जबकि शेष एक-तिहाई भूमि को अन्य अनुमेय उपयोगों जैसे सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए धन जुटाने या नगर विकास योजनाओं में शामिल करने के लिए रखा जाएगा।
यह मॉडल पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ भूमि के पुनरुपयोग का भी उदाहरण बनेगा।
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राज्य स्तर पर बनेगा सिंगल विंडो सिस्टम
एनजीटी ने कहा कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़ी योजनाओं के बेहतर समन्वय के लिए राज्य सरकार को सिंगल विंडो तंत्र (Single Window Mechanism) स्थापित करना होगा।
इसकी अध्यक्षता अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) करेंगे, जबकि इसमें नगरीय विकास, ग्रामीण विकास, पर्यावरण, कृषि, जल संसाधन, मत्स्य और उद्योग विभागों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। यह तंत्र राज्य में नीति, वित्त और तकनीकी स्वीकृतियों के लिए एक समन्वित प्लेटफॉर्म के रूप में काम करेगा।
निगरानी और दंडात्मक कार्रवाई का आदेश
एनजीटी ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल (SPCB) को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि यदि कोई निकाय नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाए और पर्यावरण क्षतिपूर्ति (Environmental Compensation) वसूली जाए।
साथ ही दतिया नगर निगम को विशेष रूप से निर्देशित किया गया है कि वह अपनी डंप साइट की फेंसिंग, आवारा पशुओं की रोकथाम, अग्निशमन व्यवस्था और मृत पशुओं के वैज्ञानिक निस्तारण की समुचित व्यवस्था करे।
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यूएडीडी और केंद्र सरकार को भी सौंपी जिम्मेदारी
एनजीटी ने यूएडीडी, भोपाल (Urban Administration & Development Department) को निर्देशित किया है कि वह राज्यभर में लंबित DPR (Detailed Project Reports) को शीघ्र स्वीकृत करे और आवश्यक पर्यावरण स्वीकृतियों (Environmental Clearances) को प्राप्त करने में नगर निकायों की मदद करे।
इसके अलावा, आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA), पर्यावरण मंत्रालय (MoEF&CC) और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) को भी समन्वय की भूमिका में रखा गया है, ताकि राज्य स्तरीय कार्यवाही की निगरानी की जा सके और स्वच्छ भारत मिशन व AMRUT 2.0 जैसी योजनाओं की निधियों को प्रदर्शन से जोड़ा जा सके।
पर्यावरण सुरक्षा के लिए ‘एक्शन टाइम’ शुरू
एनजीटी के इन निर्देशों के बाद राज्य सरकार पर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और पुराने कचरा ढेरों के निस्तारण की दिशा में वास्तविक प्रगति दिखाने का दबाव बढ़ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह आदेश ईमानदारी से लागू किए गए, तो मध्यप्रदेश में स्वच्छता, पर्यावरण सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य की दिशा में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
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