2800 रुपए हारने पर बच्चे ने जान दी, विशेषज्ञ बोले- छोटी विफलता बच्चों को असहनीय लग रही

इंदौर में सातवीं कक्षा के छात्र ने ऑनलाइन गेम्स में 2800 रुपए हारने के बाद आत्महत्या कर ली। इस मामले को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को विफलता से निपटने की क्षमता विकसित करने और परिवार से सही सपोर्ट की जरूरत है।

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The Sootr
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Photograph: (The Sootr)

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BHOPAL. मध्यप्रदेश के इंदौर में सातवीं के छात्र द्वारा ऑनलाइन गेम्स में 2800 रुपए हारने पर सुसाइड कर लेना एक खतरनाक और गहराई से सोचने लायक संकेत है। यह केवल गेम की लत का मामला नहीं है, बल्कि बच्चों की भावनात्मक परिपक्वता, आत्मसम्मान और पारिवारिक संवाद की गुणवत्ता पर सवाल उठाता है।

प्रदेश के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ.सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं, ऑनलाइन बैटल गेम्स जैसे फ्री फायर न केवल तेज डोपामिन रिवार्ड सिस्टम से बच्चे को जोड़ते हैं, बल्कि जीत-हार और रिवॉर्ड को उनकी पहचान व आत्मसम्मान से जोड़ देते हैं। जब कोई बच्चा उसमें पैसे हारता है तो उसे न केवल आर्थिक हानि बल्कि "मैं फेल हो गया" जैसी तीव्र आत्मग्लानि होती है।

त्रिवेदी का कहना है कि यदि बच्चा आर्थिक हानि के बाद यह सोचकर जान दे कि अब डांट पड़ेगी, मुझे माफ नहीं किया जाएगा तो यह पारिवारिक संवाद की विफलता को दर्शाता है। बच्चों के साथ डर की बजाय भरोसे का रिश्ता जरूरी है। उन्हें गलती के बाद भी सुनने और समझने वाला घर चाहिए।

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कम उम्र में आत्महत्या करने वाले बच्चों में अक्सर भावनात्मक लचीलापन नहीं होता। एक छोटी विफलता भी उन्हें असहनीय लगती है। स्कूलों में इमोशनल कोपिंग स्किल्स और डिजिटल हेल्थ की शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए।

बच्चा गलती छुपा रहा है तो...

त्रिवेदी आगे कहते हैं, पैसे खर्च करने या गलती करने पर गुस्से के बजाय चर्चा का वातावरण बनाएं। अगर बच्चा गलती छुपा रहा है तो यह डर की निशानी है। बच्चे के व्यवहार में बदलाव, मोबाइल पर बढ़ा समय, अकेलेपन की प्रवृत्ति आदि संकेतों को नजरअंदाज न करें।

हमें यह समझना होगा कि बच्चों का आत्महत्या तक पहुंचना केवल एक व्यक्तिगत घटना नहीं बल्कि सामूहिक सामाजिक विफलता है जिसमें परिवार, स्कूल, समाज और शासन-प्रशासन सभी शामिल हैं।

हर स्क्रीन के पीछे एक संवेदनशील मन है। बच्चे जब ऑनलाइन दुनिया में उतरते हैं तो उन्हें तकनीक नहीं साथ चाहिए। अभिभावक, शिक्षक और समाज तीनों को मिलकर इस डिजिटल दौर में बच्चों के भावनात्मक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी होगी। ऑनलाइन गेम की लत

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