MP News: मध्य प्रदेश में तंबाकू सेवन बढ़ रहा है। जागरुकता के बावजूद लोग इसे छोड़ नहीं रहे। तंबाकू से होने वाले कैंसर के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार देश में हर साल 10 लाख लोग तंबाकू के कारण कैंसर होते हैं। एमपी में यह संख्या 66 हजार से अधिक है। राजधानी भोपाल में पुरुषों के साथ महिलाओं में भी ओरल कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। यह गंभीर स्वास्थ्य समस्या प्रदेश के लिए चिंता का विषय बनी हुई है।
भोपाल में तंबाकू बना मौत की वजह
भोपाल में तंबाकू सेवन का स्तर बेहद चिंताजनक है। यहां हर दिन लगभग 10 लाख रुपये के पान मसाले की खपत होती है। बीड़ी और सिगरेट का आंकड़ा इससे भी ऊपर है। रिपोर्ट बताती है कि भोपाल देश में मुंह के कैंसर के मामलों में दूसरे नंबर पर है। यहां हर एक लाख लोगों में से 24 व्यक्ति मुंह और जीभ के कैंसर से पीड़ित हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आंकड़ा हर साल 3.8% की दर से बढ़ रहा है।
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पुरुष ही नहीं महिलाएं भी चपेट में
तंबाकू की आदत अब केवल पुरुषों तक सीमित नहीं है। भोपाल में बड़ी संख्या में महिलाएं भी पान मसाला और तंबाकू का सेवन कर रही हैं। इससे महिलाओं में ओरल कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार पुरुषों में 56% और महिलाओं में 19% कैंसर रोग पाए जा रहे हैं। यह स्थिति सामाजिक और स्वास्थ्य दोनों दृष्टि से गंभीर है।
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पान मसाले में छिपे हैं 28 घातक जहर
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, पान मसाले में 28 प्रकार के हानिकारक केमिकल्स पाए जाते हैं। ये सभी रसायन कैंसर उत्पन्न करने वाले (कार्सिनोजेनिक) हैं। सीसा, तांबा और अन्य भारी धातुएं इसमें सामान्यतः मिलती हैं। जहां सीसा नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है, वहीं तांबा शरीर के जीन्स पर विपरीत प्रभाव डालता है। ये केमिकल्स शरीर में लंबे समय तक जमा होकर कैंसर का कारण बनते हैं।
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तंबाकू से कई प्रकार के कैंसर का खतरा
विशेषज्ञों के अनुसार तंबाकू सेवन से मुंह, फेफड़े, गला, अग्न्याशय, किडनी और गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर हो सकता है। तंबाकू उपभोक्ताओं में 50% से अधिक को सब म्यूकस फाइब्रोसिस होता है। यह रोग बाद में ओरल कैंसर में बदल सकता है। तंबाकू से हार्ट की कोरोनरी आर्टरी सिकुड़ जाती है। इससे हृदयाघात, उच्च रक्तचाप और लकवा जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
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वैज्ञानिक चेतावनी और सामाजिक जिम्मेदारी
स्वास्थ्य संस्थानों की चेतावनियों के बावजूद तंबाकू और पान मसाले के सेवन में कमी नहीं आई है। सरकार और समाज दोनों को मिलकर जनजागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है। विशेष रूप से युवाओं और ग्रामीण आबादी को इसके दुष्प्रभावों से अवगत कराना अनिवार्य है। स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक स्थलों पर तंबाकू-विरोधी संदेशों को प्रभावी ढंग से फैलाना आवश्यक है।
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