पटवारी पर मेहरबान जिला प्रशासन! तीन बार केस दर्ज, अब चौथी बार करोड़ों की धोखाधड़ी का आरोप

इंदौर के पटवारी गोपाल रातडिया पर चौथी बार करोड़ों की धोखाधड़ी का आरोप लगा है। उसने बिल्डर अनिल बोहरा के साथ मिलकर फर्जी विक्रय अनुबंध के आधार पर विजय भट्ट से 2 करोड़ 2 लाख रुपए ठगे। इससे पहले भी उसके खिलाफ तीन मामले दर्ज हो चुके हैं।

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Rahul Dave
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Photograph: (thesootr)

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INDORE. जमीन के सौदों में फर्जीवाड़े के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। वहीं, इंदौर जिला प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। जिले में पटवारी गोपाल रातडिया पर पहले से तीन केस दर्ज हैं इसके बावजूद न तो विभाग ने सस्पेंड किया न जांच आगे बढ़ी। अब पटवारी रातडिया पर चौथी बार करोड़ों की धोखाधड़ी का गंभीर आरोप लगा है। इसमें तुकोगंज पुलिस ने पटवारी और एक अन्य पर केस दर्ज किया है। 

विजय भट्ट स्व. गोपालकृष्ण भट्ट निवासी ट्रेड सेंटर 18 साउथ तुकोगंज ने पुलिस को दर्ज कराई है। रिपोर्ट में बताया कि अनिल बोहरा और उसके साथी पटवारी गोपाल रातडिया ने मिलकर ठगी कर ली। इसमें 3.378 हेक्टेयर (8.34 एकड़) जमीन बेचने के नाम पर 2 करोड़ 2 लाख 50 हजार रुपए की धोखाधड़ी की गई है। यह पूरा फर्जीवाड़ा एक ऐसे अनुबंध पर आधारित था, जिसे बाद में मूल किसान ने पूरी तरह झूठा बताया।

ऐसे रची करोड़ों की ठगी की साजिश

विजय भट्ट के मुताबिक आरोपी अनिल बोहरा ने एक कूटरचित विक्रय अनुबंध दिखाया। इसमें दावा किया गया था कि उसने मूल किसान रईस पिता अब्दुल रशीद, निवासी नलखेड़ा से जमीन खरीदी है। इस अनुबंध पर रईस के हस्ताक्षर भी लगे हुए थे, पर बाद में पता चला कि ये पूरी तरह नकली हस्ताक्षर थे।

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दोगुनी राशि ली

अनिल बोहरा ने इस फर्जी दस्तावेज की फोटोकॉपी देकर भट्ट को भरोसा दिलाया कि वह पूरी जमीन उनके नाम रजिस्ट्री करवा देगा। फर्जी अनुबंध में एक करोड़ एक लाख रुपए लेना लिखे गए थे, लेकिन बोहरा ने भट्ट से इससे दो गुना यानी 2 करोड़ 2 लाख 50 हजार रुपए ले लिए।

पटवारी खुद ऑफिस से ले गया चेक

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पूरे खेल में पटवारी गोपाल रातडिया की सक्रिय भूमिका सामने आई। वह स्वयं भट्ट के ऑफिस आया। उसने रईस के नाम का 9 लाख का चेक अपने हाथों से लिया।

बाद में जांच में पता चला कि यह चेक मूल किसान के खाते में जाने की बजाय किसी फरनाज शेख के खाते में जमा हुआ। इसकी सीसीटीवी फुटेज और कॉल रिकॉर्डिंग भी भट्ट के पास मौजूद है। इससे यह साफ पता चलता है कि पटवारी आरोपी का साझेदार था और उसकी सरकारी कुर्सी इसी फर्जीवाड़े को मजबूत करने का माध्यम बनी।

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अलग-अलग ट्रांजेक्शन में पूरी ठगी

भट्ट ने 2023 के फरवरी से दिसंबर के बीच चैक, आरटीजीएस और नकद के माध्यम से कुल 2,02,50,000 दिए। हर भुगतान का विवरण पुलिस को दिए आवेदन में है, जिससे स्पष्ट है कि यह ठगी योजनाबद्ध थी और धीरे-धीरे पूरी की गई।

किसान बोला- हमने अनुबंध नहीं किया

जमीन के सौदे में फर्जीवाड़े की शंका पर जब विजय भट्ट ने मामले की तह में जाकर किसान रईस से संपर्क किया, तो सच्चाई सामने आ गई।  किसान ने बताया कि उसने कभी भी अनिल बोहरा के साथ कोई अनुबंध नहीं किया। न तो उसने बेची गई भूमि पर बोहरा को कोई अधिकार दिया, न ही 1 करोड़ 1 लाख की कोई राशि प्राप्त की। यानी बोहरा द्वारा दिखाए गए दस्तावेज पूरी तरह फर्जी थे और एक सरकारी पटवारी की मिलीभगत ने इस ठगी को आसान बना दिया।

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दोनों पर दर्ज किया केस 

तुकोगंज पुलिस ने जांच उपरांत अनिल बोहरा और पटवारी गोपाल पर 318 (4), 338, 336(3),340(2), 61 बीएनएस में प्रकरण दर्ज किया है। मामले में आगे की कार्रवाई की जा रही है। वहीं मामले में विजय भट्ट  कहना है कि मामले में अनिल बोहरा और पटवारी गोपाल को तुरंत गिरफ्तार किया जाए। 1,000 रुपये के स्टाम्प पर बनाया गया दूसरा अनुबंध भी कानूनी अपराध है, उस पर अलग केस दर्ज हो और उनसे ठगे गए  2,02,50,000 वापस दिलाए जाएं। 

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पटवारी पर कार्रवाई क्यों नहीं?

यह पूरा मामला प्रशासन पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगाता है। जब एक पटवारी पर पहले ही तीन केस दर्ज थे, तो उसे संवेदनशील पद पर क्यों बनाए रखा गया? उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई क्यों नहीं हुई? यदि समय रहते विभाग ने कदम उठाए होते, तो यह चौथी बड़ी ठगी शायद रुक सकती थी।

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