इंदौर की पूजा गर्ग को राष्ट्रपति से मिलेगा सम्मान, जानें दुर्घटना से पैरा एथलीट बनने तक का सफर

इंदौर की पूजा गर्ग को 2025 में "श्रेष्ठ दिव्यांगजन" के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार उन्हें उनके साहस, संघर्ष और दिव्यांगों के अधिकारों के लिए किए गए योगदान के लिए दिया जाएगा।

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Jitendra Shrivastava
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Photograph: (THESOOTR)

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INDORE. इंदौर की बेटी पूजा गर्ग को 3 दिसंबर को राष्ट्रपति सम्मान दिया जाएगा। अपने साहस और कारनामों से पूृजा कइयों को प्रेरणा देने वाली रोल मॉडल बनी हैं। 2010 में एक दुर्घटना के कारण पूजा का निचला हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 13 सर्जरियों के बाद उन्होंने पैरा खेलों में भाग लिया और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का नाम रोशन किया। 

पूजा गर्ग ने एशियन पैरा कैनो चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीते और 2024 में नाथुला पास पर भारतीय तिरंगा फहराकर एक नया रिकॉर्ड भी बनाया। वे दिव्यांगों के अधिकारों के लिए भी आवाज उठा रही हैं।

पूजा अपनी संस्था "पंखों की उड़ान चैरिटेबल फाउंडेशन" के माध्यम से समाज में जागरूकता फैलाने का काम कर रही हैं। उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दिल्ली के विज्ञान भवन में 3 दिसंबर को "श्रेष्ठ दिव्यांगजन" पुरस्कार देंगी। यह सम्मान उनके साहस और संघर्ष का परिचायक है।

पूजा गर्ग की प्रेरणादायक यात्रा

पूजा गर्ग की कहानी संघर्ष, साहस और आत्मविश्वास की मिसाल है। 2010 में एक दुर्घटना में रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट के बाद उनका निचला हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था। इस कठिन परिस्थिति के बावजूद, उन्होंने तीन साल तक बिस्तर पर रहते हुए भी हार नहीं मानी। मुश्किल रिहैबिलिटेशन, 13 सर्जरियों और कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का सामना करने के बावजूद, वे एक अंतरराष्ट्रीय पैरा एथलीट बनीं और देश का नाम रोशन किया।

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दिव्यांगों की सशक्त आवाज

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पूजा गर्ग का जीवन और संघर्ष दिव्यांगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है। उन्होंने अपनी कठिन यात्रा से यह साबित कर दिया कि यदि हौसले बुलंद हों तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती।

पूजा गर्ग अब दिव्यांगों की सशक्त आवाज बन चुकी हैं। वे एक Motivational Speaker और Social Changemaker के रूप में देशभर में वर्कशॉप्स और प्रोग्राम्स ऑर्गेनाइज करती हैं, जिससे लाखों लोगों को आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास मिलता है।

पूजा ने कैंसर जागरूकता और दिव्यांगों के अधिकारों के लिए कई अभियानों चलाए हैं। उन्होंने अपनी संस्था “पंखों की उड़ान चैरिटेबल फाउंडेशन” के माध्यम से हजारों लोगों को आत्मनिर्भरता, आत्मविश्वास और सुरक्षा का संदेश दिया है।

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नाथुला पास पर फहराया तिरंगा 

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2024 में पूजा गर्ग ने नाथुला पास (सिक्किम) पर भारतीय तिरंगा फहराया। वे यह ऐतिहासिक कार्य करने वाली भारत की पहली पैराप्लेगिक महिला बनीं। उनके इस अभियान को “World Book of Records - London” में दर्ज किया गया और उन्हें दिल्ली में सम्मानित भी किया गया।

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पूजा गर्ग को मिलेगा राष्ट्रीय सम्मान

पूजा गर्ग को 2025 में "श्रेष्ठ दिव्यांगजन" श्रेणी में राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार उनके साहस, संघर्ष और दिव्यांगजनों के अधिकारों के लिए किए गए योगदान के लिए है।

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दिव्यांगों के लिए समान अवसर

पूजा गर्ग दिव्यांगजनों के लिए समान अवसर की वकालत करती हैं। वे UNESCO के "Safeguarding Manual for Sports" Advisory Group की सदस्य हैं, जहां वे खेलों में दिव्यांग खिलाड़ियों की भागीदारी बढ़ाने के लिए योगदान दे रही हैं।

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