भजिए-चाय बेचकर बच्चों को पढ़ाया, जानिए सीएम मोहन यादव के पिता पूनमचंद यादव का संघर्ष

पूनमचंद यादव की सादगी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब उनसे पूछा गया कि मोहन अब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए हैं, कैसा लग रहा है? इसके जवाब में उन्होंने इतना भर कहा था कि अच्छा लग रहा है। महाकाल का आशीर्वाद उन पर बना रहे... 

Advertisment
author-image
Ravi Kant Dixit
एडिट
New Update
thesootr
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

BHOPAL. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पिता पूनमचंद यादव नहीं रहे। सौ वर्ष की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत नासाज थी। उन्हें इलाज के लिए उज्जैन के अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां 3 सितंबर की शाम उन्होंने अपनी देह त्याग दी। 

भजिए-चाय की दुकान चलाते थे पूनमचंद

पूनमचंद यादव अपनी सादगी के लिए जाने जाते थे। उनका शुरुआत जीवन संघर्षों के बीच बीता। वे मिल में काम करते थे। यहां शिफ्ट पूरी करके अपने भाई शंकरलाल यादव के साथ मालीपुरा क्षेत्र में भजिए, चाय की दुकान चलाते थे। मोहन यादव भी अपने पिता और चाचा के काम में उनका हाथ बंटाते थे। परिवार की ​आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं होने के बावजूद भी पूनमचंद यादव ने अपने बेटे मोहन यादव और बेटियों को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यही वजह है कि आज उनका पूरा परिवार उच्च शिक्षित है। 

ये खबर भी पढ़ें...

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के पिता पूनमचंद यादव का निधन

अच्छा लग रहा है...

पूनमचंद यादव की सादगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब उनसे पूछा गया कि मोहन अब मुख्यमंत्री बन गए हैं, कैसा लग रहा है? इसके जवाब में उन्होंने इतना भर कहा था कि अच्छा लग रहा है। महाकाल का आशीर्वाद उन पर बना रहे। 

ये खबर भी पढ़ें...

रोचक किस्से : जब सीएम मोहन यादव ने मांगे पैसे तो पिता ने थमाई 500 के नोट की गड्डी

मूल रूप से रतलाम के रहने वाले 

दरअसल, सीएम डॉ. मोहन यादव का परिवार मूलत: उज्जैन का नहीं है। वे रतलाम के रहने वाले थे। बाद में उज्जैन आ गए। पूनमचंद यादव उज्जैन की हीरा मिल में नौकरी करते थे। यहां उनकी वेतन ज्यादा नहीं थी। लिहाजा, उन्होंने अपने भाई के साथ चाय, नाश्ता की दुकान खोल ली थी। 

ये खबर भी पढ़ें...

सीएम मोहन यादव और उनके पिता के बीच के रिश्ते को बयां करतीं ये तस्वीरें

शरीर साधना सिखाई

पूनमचंद यादव ने अपने बच्चों को शरीर साधना भी सिखाई। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव स्वयं कई मंचों से यह बात कह चुके हैं कि उनके पारिवारिक संस्कारों में शरीर साधना भी थी। ये संस्कार उन्हें अपने पिता से ही विरासत में मिले। यही वजह है कि उन्होंने शतायु होकर अपनी देह त्यागी।

 

CM Mohan Yadav Poonamchand Yadav Bhajie tea shop Poonamchand Yadav struggle