BHOPAL. कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) सिवनी जिले के धनौरा लोकसभा प्रत्याशी ओमकार सिंह मरकाम ( Omkar Singh Markam ) के पक्ष में सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा, आदिवासी इस देश के और इस जमीन के पहले मालिक हैं। आप सब यहां दूर-दूर से मेरी बात सुनने आए हैं। यहां आदिवासी वर्ग के काफी सारे लोग मौजूद हैं, कांग्रेस पार्टी आपको आदिवासी कहती है, दूसरी ओर बीजेपी, पीएम मोदी और अमित शाह आपको वनवासी कहते हैं। राहुल ने कहा कि इन शब्दों के पीछे दो अलग-अलग विचारधारा है। आदिवासी शब्द का मतलब, वो लोग जो इस देश के इस जमीन के पहले मालिक थे। राहुल ने आगे कहा कि वनवासी का मतलब वो लोग जो जंगलों में रहते हैं, वनवासी शब्द के पीछे एक विचारधारा है। सबसे पहले आपका जो इतिहास है, आपकी भाषाएं हैं, आपके जीने का जो तरीका है, उसको ये शब्द मिटाने की कोशिश करता है। जब हम आपको वनवासी कहते हैं तो उसके अंदर ये छिपा हुआ है कि वनवासियों को ना जमीन का ना जल और ना ही जंगल का अधिकार मिलना चाहिए। क्योंकि वनवासी का मतलब आप जंगल में रहते हो, जंगल में आपको कैसे अधिकार मिलेगा।
मोदी सरकार पर जमकर बरसे राहुल गांधी
राहुल गांधी ने कहा है कि मोदी सरकार निशाना साधते हुए कहा कि, मोदी हिंदुस्तान के दो-तीन अरबपतियों के लिए काम करते हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस किसान, दलित, आदिवासी, गरीब, वंचितों के लिए काम करते हैं। ये दो विधारधारा की लड़ाई है। मोदी जी के राज में 22 लोग अरबपति हैं। इनके पास उतना धन है जितना देश के 70 करोड़ लोगों के पास है। मोदी ने इनको इतना अमीर बना दिया।
अरबपतियों का 16 लाख करोड़ माफ किया: राहुल
आदिवासी युवाओं की शिक्षा के लिए कर्ज माफ नहीं किया। किसानों का कर्जा माफ नहीं किया। मगर सबसे बड़े अरबपतियों का 16 लाख करोड़ माफ किया। इतना पैसा मनरेगा को चलाने में 24 साल में खर्च होता। आप कर्जा लेने जाते हैं आपको भगा देते हैं। दो हिंदुस्तान बन रहे हैं। एक अरबपतियों का, यहां पलायन होता है। यहां रोजगार नहीं मिलता। अमीरों के यहां काम करते हैं। ये अमीर लोग कुछ भी सपना देख सकते हैं।
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राहुल ने किया युवाओं से ये वादा
राहुल ने युवाओं को 30 लाख सरकारी नौकरी, एससी, एसटी और ओबीसी के छात्रों को दोगुनी स्कॉलरशिप, किसानों को एमएसपी और गरीब महिलाओं के खाते में हर साल एक लाख रुपए जमा करने का वादा किया। राहुल ने आदिवासी वोटरों पर फोकस किया। उन्होंने कहा जहां 50 प्रतिशत आदिवासी आबादी है, वहां छटवीं अनुसूची लागू करेंगे, ताकि आदिवासी अपने निर्णय खुद ले सकें।