संजय गुप्ता @ INDORE. इंदौर जिला पंजीयन विभाग ( Indore District Registration Department ) में 50 करोड़ की जमीन पर खरीदी-बिक्री के काम में एक जबरदस्त खेल हुआ है। मध्य प्रदेश शासन के सबसे वरिष्ठ व दबंग मंत्रियों में एक ने इस खेल को रोकना चाहा, लेकिन वरिष्ठ जिला पंजीयक डॉ. अंबरेश नायडू, जिला पंजीयक 3 इंदौर समरथ राठौर ने आखिरकार खेल कर डाला। इस मामले में बाद में उलझी सब रजिस्ट्रार प्रमिला गुप्ता, जिन्हें बेवजह सस्पेंड कर दिया गया।
पहले देखते हैं विवाद क्या और किस जमीन का है
विवाद पिपल्याकुमार की सर्वे नंबर 62 व 63 के विविध बटांकन कम 4.419 हेक्टेयर जमीन का है। जिस पर राजविहार कॉलोनी काटकर 1000-1000 वर्गफीट के प्लॉट काटकर बेचे जा रहे हैं। इस जमीन की कीमत 50 करोड़ रुपए से ज्यादा की है। इसमें वारिज कासलीवाल ने शिकायत करते हुए कहा कि यह जमीन मूल रूप से उनकी है और इस पर अवैध क्रय-विक्रय कॉलोनी काटकर हो रहा है, इसलिए इसमें रजिस्ट्री नहीं हो। कासलीवाल ने इसकी शिकायत कई स्तर पर की।
बात मध्य प्रदेश शासन के मंत्री तक गई, रजिस्ट्री रुकवा दी गई
इसकी शिकायत मप्र शासन के एक वरिष्ठ मंत्री तक गई, उन्होंने भी मामले को गलत माना और पंजीयन विभाग के अधिकारियों को फोन कर कहा कि रजिस्ट्री रोकी जाए। शिकायत कलेक्टर आशीष सिंह के पास भी पहुंची और उन्होंने मामला एसडीएम जूनी इंदौर धनराज धनगर को परीक्षण के लिए दे दिया।
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अब हुआ नायडू, राठौर का खेल शुरू
इसके पहले इस कॉलोनी में रजिस्ट्री कई सब रजिस्ट्रार द्वारा की जा चुकी थी। इंदौर 3 की सब रजिस्ट्रार प्रमिला गुप्ता भी शिकायत सामने आने तक रजिस्ट्री कर रह थी, बाद में वारिज कासलीवाल की शिकायत सामने आने पर पेश हुई तीन रजिस्ट्री रोक दी गई। एक रजिस्ट्री भावना गौर और दो कुसुम गौर के नाम पर होना थी। गुप्ता ने इसके लिए जिला पंजीयक इंदौर तीन समरथ राठौर को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा, जिस पर सिर्फ यही कहा गया नियमानुसार कार्रवाई की जाए।
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1. 20 फरवरी को राठौर ने मौखिक आदेश गुप्ता को दिए कि एक जज महोदय, सीनियर सब रजिस्ट्रार के परिवार को लोग है, इनसे सभी दस्तावेज ले लिए जाएं और जांच पूरी होने तक रजिस्ट्री होल्ड कर ली जाए। गुप्ता ने दस्तावेज ले लिए और रजिस्ट्री होल्ड कर ली ।
2. सात दिन बाद ही 27 फरवरी को फिर गुप्ता को मौखिक आदेश दिया कि इनकी रजिस्ट्री कर दी जाए।
4. 28 फरवरी को गुप्ता ने रजिस्ट्री कर दी और तीनों को रजिस्ट्री के दस्तावेज भी दे दिए।
5. इसके बाद तीन मार्च को फिर राठौर ने गुप्ता से कहा कि राजविहार कॉलोनी के दस्तावेज का पंजीयन अभी नही करना है, ऐसा नायडू सर ने आदेश दिया है। इसके लिए कोई लिखित आदेश नहीं दिया। गुप्ता ने फिर रजिस्ट्री होल्ड कर दी।
6. उधर प्रशासन ने जांच शुरू कर दी, पंजीयन विभाग से रिकार्ड तलब किया कि इस कॉलोनी में अभी तक कितनी रजिस्ट्री हुई, पता चला कुल 90 रजिस्ट्री हो चुकी है।
7. यानि केवल 3 रजिस्ट्री कराने के लिए नायडू और राठौर ने मौखिक आदेश देकर काम कराया और रजिस्ट्री करा दी गई, जबकि कॉलोनी जांच में थी। जिला प्रशासन की ओर से 7 मार्च को एसडीएम धनगर ने पत्र जारी कर कॉलोनी की खरीदी-बिक्री पर रोक का औपाचारिक आदेश भी जारी कर दिया। इस मामले की जांच हुई तो नायडू ने गुप्ता के खिलाफ ही जांच रिपोर्ट बना दी और उनके खिलाफ भोपाल रिपोर्ट पहुंचा दी। इसके बाद 6 मार्च को गुप्ता को सस्पेंड करने के आदेश भोपाल से हो गए।
गुप्ता भोपाल गईं, बात रखी, फिर जांच, लेकिन बहाल नहीं हुई
इस मामले में सस्पेंशन का आदेश आने पर गुप्ता ने फिर आईजीआर के पास अपना पक्ष रखा, लिखित में भी सभी बातें रखी। लेकिन मामले में फिर नायडू से ही रिपोर्ट मांगी गई। लेकिन इस सबके एक महीना बीत जाने के बाद भी गुप्ता की अभी तक बहाली नहीं हुई।
जमीन का नामांतरण में तहसीलदार कर गए 420 का खेल
यह जमीन 2020 के पहले वारिज, अंबुज पिता अभयकुमार, विकास, नितिन, मुकुल पिता शंभूकुमार के नाम पर थी लेकिन तहसीलदार जूनी इंदौर ने खेल करते हुए इसमें आवेदक शूंभकुमार के आवेदन पर तहसीलदार ने सभी के नाम हटाते हुए इसमें कंपनी मेसर्स केयू इंटरप्राइजेज प्रालि तर्फे डायरेक्टर शंकरलाल के राजस्व रिकार्ड में दर्ज करा दी। यह पूरा चार सौ बीसी का खेल हुआ। वारिसों को पता ही नहीं चला और वह जमीन से बेदखल हो गए। इसमें कंपनी रजिस्टर्ड होने व अन्य प्रक्रिया का कोई पालन ही नहीं हुआ। इस मामले में वारिज कासलीवाल की शिकायत पर मामला अब एसडीएम जूनी इंदौर ने अपील में ले लिया है और नामांतरण खारिज करने की अपील पर राजस्व केस दर्ज कर लिया है।